पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१२१

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जल कोमन नारियनका पानी पित्तन और भेदक, पके नारियल | लोहेको पोज भी उसके संगमे पकनापूर पोता . का पानो गुरुपाक, पित्तकर और कोडवर्डक होता है। बर्फ जनको पपंक्षा नको होती है। माना भोजन के उपरान्त प्राधी रात बीतने पर नारियन का जल | ०८४ मात्र है, इमोनिए यह पानों में तेरतो है ।यो . . पोना उचित नहीं। ताड़का जल गुरुणक, पित्तप्र. शक | पीय नोग जनको माधारणतः मोन भागों में विभव का जनक और स्तन्यतिकर है । पानीको दिन भर सूर्यको है जैसे-पम्तगेन जल, भीमजल पीर पनि त जमा । किरणमे गरम पोर रात भर चन्द्रमाको चांदनो हारा | प्रोम पादिका जन जो कि पाकायमे गिरता है, उसे प.. गीतान करनेमे उममें शष्टिके जलके ममान गुण प्रा | रोक कहते हैं। ममुद्र, नदो पोर जलाशय पाटिका पानी जाते हैं। भोनों का पानो अमृप्तकै ममान है । सुगन्धित भौम पोर खानमे निकला मा जनप्रमिज माता, जन्न टप्णानाशक, लघु पीर मनोहर है । गतिक पन्तमें | है। जल सम्पूर्ण विशडायम्याम नहीं मिला। उममें .. जन्न पोना काम, जाम, प्रतोमार, ज्वर, वमन, कटिरोग, | लावणिक, यायोय पनायमान जाग्तव पोर हिम कुठ, म घाबात, ठटररोग, पर्ग त्रयघ, गन, गिर. पदार्थ मियित रहते है। इनके तारतम्यामुमार जनगो वागो, नामा पौर चतुःरोगनागा है। पाकाश मेघ विभिम गुगा उत्पन्न होते हैं तथा एक सरकाबाद न रहने पर रात्रिके अन्तमें नामिका द्वारा जल पान घोर गन्ध मी होतो है । मनुष्य को प्राणिन्द्रिय नमो फरना बुद्धिकारक, चतुईितजनक और मर्म रोग नाशक प्रयन्न नहो कि जिम मे यह जम्न की गन्धका पमत । ६ नुगर, मेप, गगुर आदि शाद देखो। फर मके पास्वाद न पानेका मी यशे कारण कि पायान्य वैज्ञानिकों के मतमे-पहले जल प्राकृत | इंट मभूमि बहुत दूरमे जनको गन्धका पर .. जगत्के घार महाभूमि गिना जाता था। किन्तु पय | कर मकता है। ममुद्रा पर निम्न अनमें मायनिक हारोगन और प्रक्नि मन के मयोगमे जलको उत्पति। उपादान अधिक है, मोनिए इन दोगीका पाnिe स्थिर को गई है। इसलिए जन्न एक योगिक पदार्थ । गुरुत्त्व अधिक है। किमो शिमी महानदीम भी दम प्रा. राममें मन्टेशनहीं। जन सरल, याप्पोय पोर । तया पोर पोर पदार्या मधिक जम जानेगेम अका धन इम पपरवानों में देखा जाता है। यह वर्ग होग, पापेक्षिक गुरुत्त्व घट जाता है। प. गन्धहीन पोर म्यादधोन: नया साप पोर ___माधारण मोगका विमान है कि. वांका जम . विध का भमम्मण परिचानक है। वायुमण्डनके मधमे यि होता है, किन्तु यह भो म पूर्ण प्रविमिय अपाय एमका प्रमि मामान्य ही माचिस होता है। नहीं है। यायुमाउनमें जो कुछ विभिन्न पदार्थ त . . किमोके मतमे ४८ मा मागका पक भाग मात्र महः। वर्षा होते समय अन माया हो या फिर आने- पिस शेता है। इसका पातिक गुरुवारमी म सहमे हटि जलमें भो ययसागात पदा मप्याक पनुमार होपन्य मममा तरल पोर धन ट्रो फाग्न पार कोरिन, रम मिया पण घरावर पोष, का पाकिगुगल मितीत होता है। मम पायतन पाय | निकेन पोर मेगानिम तया एक प्रकारका पजामा को पता न ८१५ गुमा मारी। पन्यास नरम पदार्थ मियित रहता है। उसम्पमिमको तरफ माय . पदार्टीको भाति या भो याय को पधिकतामे प्रमारित धननगेटि भने दोषशान ( Phophoric acil) . होता डिसी फारमहरमें अन गोयनोभूम पर मोदिलामाई देता है। प्रमिह मायनिक मिति ३२ डिग्रोमे पति घनीभूत पो पाता है। म मरहे। मतमे-ममो परमातो वामीम पमोमिया ( मोवादा) जय मिना एतार दिया जाता है, ठराना हो या ताजो वस्य मारहोगमका मम का । . विस्तारित होता मार गियरी पधिक मोसन , पन्याम्य जनको पपेशा तरिका अम दिर होती . पमाहिम हो जामा म सनो प्रयासमनामशशिमोधमिर । . होम कठिमाहार धारण करना कि. म ममय रामायमि परोपाम रोम पिय उपयोगी