पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१२६

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जलगांव-जलगारं 'पू०मैं अवस्थित है । लोकसख्या प्रायः ८४८७ है । पाईन. जनगाव -मध्यपदेश के बड़वानो राज्य का एक प्रमान अकवरी में इमको नरनाल सरकारकै परगनेका शहर! परगना, इसका रकवा ६२७ वर्गमोल है। पम परगनेमें लिखा है। यह कई रूईको कले' और रूईका सतिया और मेलम नमक दो बड़े ग्राम है। बाजार है। लगार-दाक्षिणात्यवासी एक मोच जाति। किसीका जलगांव-१वम्बई, प्रान्त के पूर्व खानदेश जिलेका तालुका मत है कि, ये लोग नाविक जातिके हैं। यह अना० २०४७ तथा २१.११३० और देशा• % इम जातिको संख्या बहुत घोड़ो है। धारवार जिले में २४ एवं ७५.४५ पू. में अवस्थित है। क्षेत्रफन्न २१८ पहले ये ही नदोको बाल धो कर सोना निकाला करते वर्गमील है। इसमें २ नगर पौर ८ ग्राम बसे है। लोक थे। शोत ऋतुम जब कि मनरो सस्तो हो जाती है- संख्या प्रायः ८५१५१ है। मालगुजारो कोई २ लाख ये लोग कपोति पर्वत पर जा कर नदो ओर झरनामे ८ हजार और सेस १८०००) रूम पड़ती है। जलवायु ! बाल धो धो कर सोना संग्रह किया करते हैं। अन्य सचराचर स्वास्थकर हैं। समयमें सुनाकि दूकानों को रेतो धो कर सोने को चूर २ बम्बई प्रान्त के पूर्व खानदेश जिले में अलगाव | निकाला करते हैं। तान कका सदर। यह अक्षा. २१.१७० और देशा इस जातिके सभी लोग दरिद्र है। इस समय इनका ७५' ३५ पू० में ग्रेट इण्डियन पेनिनसुला रेलवे पर पड़ता रोजगार बिल्कुल मटो हो गया है। इसलिए मजदूरों है। जनसंख्या कोई १६२५६ है। ईसाको १८वीं | का काम किये बिना इनको गुजर नहीं होती। शताम्हों में इसका व्यापार खूब बढ़ा चढ़ा था। १८६२.५ ये लोग अब कनाड़ो भाषा बोलते हैं। ये कुटीर को अमेरिकन युद्ध के समय खानदेगी यह कईका या छोटे धरने वास करते है। ये बेल, कुत्ते और मुर्गे बड़ा बाजार था, किन्तु लड़ाई के बाद जब कई को दर पानते हैं। कंगनो ओर शाक-सलो इनका दैनिक पाहार घट गई तब शहरको महतो क्षति हुई थो। यहाँका है। मद्य मांस खाना भी इन्हें पसंद है। इनमें पुरुषगरण प्रधान वाणिज्य द्रव्य रुई. अनमो और तिल है। १९०३ | कानमें कुगइल पहनते है पोरतो को तो बात ही क्या ? ६ में यहां रुईके ६ पेव दो मिनौले निकालने के कारः। ये अयन्त परियमो, काटमहिणु और बहुत गन्दे खान एक रूई कातने को कल और एक कपड़े बुननेको होते हैं। कल घो। ये सब कलें वापसे चलाई जाती थीं। उसो जलवा, हुन्निगेवा पीर हनमाप्पा, ये तीनों जलगा- साल कई एम करघे भो मंगाये गये थे। इस कारण रोके कुलदेवता हैं । ये होनो, दशहरा पोर दिवालो यह शहर बहुत वहिण हो गया है ।२ मोल दूर मेहरु- आदि हिन्दुओंके उत्सवों को पालते हैं। देव और बायो नसे नलमें पानो पाता है। नेरो तक पको सड़क है। पर इनको यथेष्ट मतिया है। ये सभी धार्मिक अनु. १८६४ ई० में म्युनिसपालिटो हुई। यहां एक अप्रधान | छान ब्राह्मणों द्वारा कराते हैं । ये दयमवा पोर दुर्ग वा नजको अदालत, एक चिकित्सालय तया पांच विद्यालय | नामको ग्राम्य देवियों को भी पूजा करते हैं। भूत, मत, है। एनके सिवा अमेरिकन पलायन्स मोसन ( Ameri- डाकिंनो, देववाणो आदिम इनका विषाम नहीं और न 'can allance niission) को एक शाखा हालमें स्थापित ये हिन्दू मस्तारका ही पालन करते हैं। ____ मन्तान भूमिट होते ही ये शो हो उसको नाही जलगांव-मध्यप्रदेशके वर्धा जिले को भरवो तहसोलो । काट डानते है । बाद पांचवे दिन काममा देयो की पधोन एक बड़ा ग्राम | यह परयो करोब ३ कोस पूजा योरं जातिभोज कराते हैं। धारवार जिले में हम उत्तर प्रथिममें है। यहां खूपपुरन पान के बरौजे, कुछ दिन यमनूरके पोर राजा मगोवरको का पर एक मेंस मनोहर उद्यान पोर .. कूप है। यहाँको जनसंख्या चढ़ाई जाती हैं। . . करीब २५०० होगी। ..... __विवाह के दिन इनके तेल पढ़ता है। रमझे दूसरे