पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६२

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नलौल- जलेश बड़ी विपत्ति आती थी, इस बजहसे १८५५ ई० में गव- | जलेवा (हि.पु.) वदी जलेयो। मण्टने इसे बन्द कर दिया। | जलेबी (हि. स्त्री० ) १ इमरतीकी भाति एक प्रकारको जलील (प्रवि०)११च्छ, वैकदर। २ अपमानित, जिसे / गोत मिठाई । इमकी प्रस्तुत प्रणाली नाना स्थानमि नाना नीचा दिखाया गया । प्रकार है। यहां एक प्रकारको प्रक्रिया लिही जाती जलोल-हिन्दी के एक कवि। इनका पूरा नाम अन्दल है-चनाको टान्त भिगो कर उसे बीमसे है और फिर अलील बिलग्रामी था। १७३८ संवत्में इनका जन्म हुधा उसमें चावलका बारीक पाटा और थोड़ा पानी मिला था। हरिवंशमिश्रसे इन्होंने हिन्दी पढ़ी थी । औरङ्गजेब । कर फेंटते हैं। मच्छी तरह फेंटे जाने के बाद सछिद्र बादशाह इनका ख व सम्मान करते थे। मोटे वस्त्र में या किसी पात्र में रख कर उस पात्रको घोको जलुका (स' स्वी०) जले तिष्ठति जल वाहुलकात्-उक। कड़ाहीके ऊपर रख कर इम तरह घुमाते हैं कि उमको जलीका, जोक। धार निकल कर कुण्डलाकार होतो जाती है। भली जल का ( स० स्त्री०) जन्तमेको यस्याः पृषोदरादित्वात् | भाति सिक सुकने पर धीमेसे निकाल कर रम या सीरे साधुः। नौक, जलोका । में छोड़ देनेसे जलेबी बन जाती है। कहीं कही चावल अन्त म ( अ० पु०) किसी उत्सवमें बहुतमे मनुष्योका सज के पाटके बदले मंदा भी काममें लाते हैं तथा कहीं धज कर विशषत: किसी सवारी के साथ किसो निर्दिष्ट कहीं खमीर उठाये हुए पतले मदेसे भी जलेबी बनाते स्थान पर जाना वा शहरके चारो ओर घूमना। हैं। २ बियारेकी भांतिका एक प्रकारका पौधा। यह जलेचर (स' पु.) मले चरति घर-ट । १ जलचर पक्षी, चार पांच हाथ ऊंचा होता है । इसमें पीले रंगके फल संस, वक प्रभृति । इनके मांसके गुण-गुरु, उष्ण, निग्ध, लगते हैं। इसके फलके भीतर कुण्डलाकार बहुत छोटे मधुर, वायुनाशक और शुक्रवद्धिकर ।(त्रि.) २ जल- छोटे बीज रहते हैं। ३ कुगइली, गोलघेरा लपेट । चारी, नो पानी में चलता हो । | जलेभ ( स० पु०) जलजात-मः। जलहस्ती। जलेमा ( स्त्री० ) जलमति जल-इकिप जलेन जलहस्ती देसो। जस्तपत्रस्थान तत्र शेते उद्भवति शो-अच स्त्रियां टाप । जलेयु (म० पु. ) पुरुष शोय रोद्राख नृपतिके एक पुत्र. हस्तिशण्डा वृक्ष, हायो सूइ नामका पौधा । यह पानी में का नाम । (भाग० ..lk ) उपजता है। जलेरुह - उडिसाक एक प्राचीन गजा । तारानाय प्रणोत मलेज (स'• क्लो) जले जायते जन-ड । १ पर, कामल । मगधराजवंशावळी-चरितमें इनको उड़ियाका प्रबन्न (वि.)२ जलजाता जो पानी में उपजता हो। पराक्रमी राजा बतलाया गया है। जलेजात (स. लो०) जले जात' मप्तम्या प्रलुक । जलेरहा (म० सी० ) अले गेइति उद्यति सहक सम- १ पन, कमल। (वि.)२ अलेजात, पानी में होनेवाला। ग्याः अलुक। १ कुटुम्बिनी वृक्ष, सूरजमुखी नामक जलेन्द्र (स'. पु.) जलस्य इन्द्र अधिपतिः। १ वरुण ।। फलका पौधा । (वि.)२ जलजात, पानोमें होने २महासमुद्र । ३ जन्मलास्थ महादेव । ४ पूर्व यक्ष। | वाला। (मेदिनी) | जलेला (म' स्त्रो०) कुमारानुचर माटभेद, कार्तिकेयकी जलेन्धन (R० पु. ) तान्य वन्धनानि यस्य 1१ बाड़ अनुचरो एक माटका नाम । यानि ।२ मीर विधुतादि तेज, वह पदार्थ जिसको जलेवाह ( पु.) जले जलमध्ये वाहते जलमग्न गरमोसे पानी सूखता है। द्रव्यस्य लाभार्थे प्रयतते । १ वह मनुष्य जो पानीम गीता जलेतन (हिं० वि०) १ चिड़चिढ़ा, जिसे बहुत जल्द शोध लगा कर चीजें निकालता हो, गोताखोर । २ जल. पा जाता हो । २ जो डाह, ई भादिके कारण बहुत कुछ ट, पानीका मुरगा। मतता हो। | जलेग ( पु.) भलस्य ईसा, इतत् । १वरण।२ Vol. VIIL..87