पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१७६

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महागौर मराय बनाने और कुएँ खुदवानेके लिए राजकर्मचारि- राजा मानमिहकी बहन जोधाबाई के गर्भ से सलीम. योको भी आदेश दिया। इसके अतिरिक्त यह नियम भी का खुमन नामका एक पुत्र प्रा। पकवरकी शेष बना दिये कि बपिकोंकी बिना अनुमतिके कोई भी दशा में इन्हीं को बादशाह बनानेको कोगिण फो गई धीं, व्यक्ति उनके पण्य द्रव्यको न खोल सकेगा, कोई भी पर सब व्यर्थ हुई। जहांगोरने मिहामन पर बैठ कर सैनिक या राजकर्मचारो घरमें न ठहर सकेगा, कोई सुसरूको कैद किया, पर छह माम पोळे एकदिन राविक व्यक्ति मादक वस्तु प्रस्तुत, व्यवहार और पंच न | समय खुसरूने अकबरको कन देखनेको इच्छा प्रकट केगा, कोई भी जागीरदार किसी भी प्रजाको सम्पत्ति को। जहांगोरके आदेश देने पर खुमहके साथ ५० 1 बलपूर्वक छीन न सकेगा, अथवा समाद को अनु पखारोको अनुचर जानेको तयार हुए। खुसरू उनके तिके बिना प्रजासाधारणके साथ मिल न सकेंगे। साथ पञ्जाबको तरफ चल दिये । खुमद के विद्रोही हो पहले बादशाहके हुक्ममे कभी कभी अपराधियों को कर भाग जानेको खबर सुनते हो वादगाहम ख फरीद क या कान काट लिये जाते थे। जहांगोरने इस वखारीको सनका अनमरण करने के लिए पाटिश टिया याको भी बिल्कुल बन्द कर दिया। और दूसरे दिन प्रात: काल ही उन्होंने खुद उनका अनु. पन्होंने प्रधान प्रधान शहरों में भस्पताल कायम किये। सरण किया खुगमने रास्ते में हुमेन वेग खकि साथ मिल और अच्छी चिकिरमा हो, इसलिए योग्य चिकित्सकीका कर उन्हें सेनापति नियुक्त किया और रुपये इकडे करने ो प्रबन्ध किया। मलाइमें दो दिन, वृहस्पतिवार के लिए वणिक् तथा राहगीरों का सर्वस्व लूटना शम महागोरके राज्याभिषेकका दिन) और रविवार (पक कर दिया। रफा जन्म दिवस)को पशुहत्या बन्द की गई। जहांगोर मागरमे चलते समय, तमाम राजकार्य का उन्होंने अपने पिताके रकडे हुए कर्मचारियों को भार प्रतिमाद होला पर छोड़ पाये थे। हिम्दाल नामक (णके अनुसार कुछ कुछ तनखा बढ़ा दी। तहुत । स्थान पर पहुंच कर उन्होंने दोस्त महामदको अपना दनों से जो कैदमें मड़ रहे थे, उन्हें मुक्त कर दिया। प्रतिनिधि बना कर आगरे भेज दिया। इधर दिनावर न्होंने अपने पिताझे हारा रक्खे गये कर्मचारियों में मे | खाने खुशहक पानेको खबर सुन अपने पुत्रको यमुना हुतों को ही अपने अपने पद पर रहने दिया, किन्तु पार हो कर बढ़ने के लिए काला भेजा और वे खुद जन्होंने प्रकवर-प्रवर्तित धर्म मतका अवलम्बन किया | लाहोरको तरफ चल दिये। दिलावर खो बहुत ही जम्दो II उनकी पदच्युत कर दिया। पहले जैसा इसलाम लाहोरको तरफ अग्रमर होने लगे और राहमें मयको म का प्राचार व्यवहार था. उसी नियमके अनुसार खुशतके विद्रोहो होनका सम्बाद हेते हुए सावधान लिमके लिए प्रजाको आमा दो गई । इन्होंने अपने प्रिय रहने के लिए कही चले। मेव सरोफखान्को. प्रधान मन्त्री और सैयदाँको २४ जेलज्ज-खगह के पांच पनु वर पकड़े गौर सम्राटके जायका भासनकर्ता नियम किया। मामने लाये गये । दयाहने उनमेमे दो को तो हाथी गादशाह जहांगोरने हरिदास.रायको विक्रमजितको | पर तले दबा कर मार देनेका पीर पम्य सोनो को उपाधि दे कर उन्हें गोलन्दाज सेनाका अधाच पोर | केद कर रखनेका हुक्म दिया। दिलावरान पपसर पजा मानसिके पुत्र भाजसिहको एक मनसबदार ] हो कर लाहोर टुग में प्रवेग किया और वे युहके लिए बना दिया। पोछे गफ रखेंगके पुत्र जमानावेग महयत तयार हो गये। इसके दो दिन बाद हो उपर माय की उपाधिसे विभूषित हो एक मुनसबदार हुए १२०० सेनाके माय लाहोर दुर्ग के पास उपस्थित चप। राजा नरमियदेव , नामक एक दोके राजपूतने खाल्ने अपने अनुचरों को नगरकै हारम पाग लगा पेख पवुसफजलको मार दिया जिससे जहांगोरने उन्हें देनेको पनुमनि दी और कहा कि, नगर पधित होने भी. उस पद दिया। . . | पर सेनाके लोग मात दिनों तक मगर नट सकेंगे।