पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२००

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जहाज १४ सौदागरके प्रधान जहाजका नाम मधुकर था। किसी को यहां भेजा था। उन्होंने म गहरर्क अवस्था किमी पोथीमें लिखा है, कि मधुकर नामक जहाजमें नका विवरण लिखा है। उममे पहले १३४४ ई में १२०० डांड़ थे। हिज वंशीदासके 'मनसार भामान में | यनबतूता नामक एक मूर परिव्राजक मनधार उप. लिखा है, कि सिहलमे १३ दिन महासमुद्रमे चलनेके | मूलसे मालदीप स्पर्य करते हुए चट्टग्राम पाये थे और बाद भीषण तूफान उठा, तुलाराशिकी तरह फेनराशि | देशीय जहाज पर चढ़ कर चीन पहुंचे थे । उम ममयके नौकाके ऊपरसे जाने लगी, चाँदसौदागर 'मेरा मर्वस्व पन्य एक चीनपरिवाजक मान्द लिखते हैं, कि चट. इन्हीं नावों पर है' कह कर रोने लगे। भाखिर ये नाविक ) पामने उस समय तामलिमको भसिक्रम कर चोन और को पकड़ कर खींचातानी करने लगे, कहने लगे-'तुम | मलयदोपपुलके साथ वाणिज्य मम्यन्धका मानो ठेका इनका कुछ बन्दोवस्त करो।' माविकने उन्हें बहुत | वार लिया था। इम देशका प्रयम्यान पोर जहाज-निर्माण समझाया, पर उन्होंने एक न मानी। आखिर नाविकने । प्रणालो इतनी अच्छी थो कि हमके ममादने अपने 'मधुकर से कुछ तेलके पोपा निकाल कर ममुद्रमें डाल पलेकसन्द्रियाके जहाज पोर जहाजके कारखानेको दिये, जिमसे तूफान कुछ कुछ बन्द हो गया। दूरमें , नापमन्द कर इम चयामम जहाज बनवाया था। तोन सब जहाज दिखलाई देने लगे। चाँद सौदागर मारे। वर्ष पहले भी, कर्णफ लोनटो समुदईमोको तरह सुशीके फूले न समावे। ये थी यह देशीय जहाजों से ममा कय रहतो थो। च. ग्रामके दक्षिणमें हालिसहर, पतेडा प्रादि यामि देगोय इन पुस्तकोंके लिखे जानेको बाद भी, जिम ममय शिल्पियों के बहुत से जहाजके कारखाने थे। ये कारखाने केदारराय और प्रसापादिल्य खूब प्रबल हो उठे थे, उस रात दिन ज्योड़े को पायाजमे गूजा करते थे। इन समय वे सर्वदा ही जहाज ले कर युद्ध किया करते थे शिम्पपकि पूर्व पुरुप ईशान मिस्त्री एक दस पोर और कभी कभी दूर देशको जाया करते थे। किन्तु उस पमिह कारीगर ये प्रसिह ऐतिहामिक गटर मायका समय पुतं गीज जलद मानोंका एक दल उनका महायक कहना है, "दम जसराज के कारखाने हे १७७५ ई. तक था। इसके बाद भी, जब पाराकानके राजा और पु.. अपना माहात्मा अतुमा रखा था।" एमके फुछ पहले गोज जलदसा बङ्गालमें वधुत अत्याचार करने लगे थे, एक हिन्द्र सौदागरका "कमेपर" नामका जहाज एम उस समय बङ्गाली नाविककी सहायतासे ही गायम्ताखौने देशक नाविक द्वारा परिचालित हो कर स्करन्न गड़के उनका दमन किया था। "टुइड" तक सफर कर पाया था। जो राज्य ममुद्भेषा, जहाज निर्माण और ममुद्र तत्पर याणिज्य ! प्राकालमें, जब इम देगक जहाजने उत्तमागा पतरोप के लिए बङ्गालका चयाम पावहमान काल मे मिदेटन करते हुए सबसे पहले गले एक मगरके बन्दरम है। अब भी हम देश उपसम विभागमें बहसमे ऐमे | पहुंच कर संगह डाला या, नब गते पढ़ के विस्मित मनुष्य है, जो जलपथसे पृथिवीक भ्रमण कर पृथ्वोक | नरनारीके कण्ठसे जो निराया और की पावाज समस्त बड़े बड़े बन्दरों का स्पर्श कर पाये है। भारत | निकलो यो, धमका उल्लेख इट इण्डिया कम्पनौके पति- महाममुद्र के मालदीप, लाक्षादोप, 'पान्दामन, निकोवार हाममें पाया जाता है। जावा, सुमावा. पिनाडा, सिहल, वर्मा पादि जाना तो १८१५९० के मार्च माममे भो चयाम धनी ये माशरणके लिए 'ससुराल जाना था। भारत महा. मौदागर पबदुल रहमन दुभाषी मायका 'पमोना समुदके दोषपुनमे ले कर चीन, प्रदेश और प्रिमर तक वातुम' नामक एक मया देगोय यदा नहाज पानोमे सो उनका वाणिज्य मम्पर्क अनिवार्य धा । भारतवर्ष के छोड़ा गया था। इस जहाजको देख कर गवर्म मे गट के साथ अलपयमे याणिज्य-मम्बन्ध स्थायी करने के लिए मेरिन मरमेयरने स्वयं कहा था कि, "यह किमो प्रयमें . १४.५ में चोन मम्माट ने घोगरी नामक एक मनिष वितायती जहालकी पपेक्षा निर्माण कोगन नही