पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२१७

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१६२ जानो-मावलि साहनी (म. प्ली. ) जहा, आधा 1 बेनर गो नदी दक्षिण तट पर पस्थित पुखतीय मामिल आसपासक (म.वि.) हा द्वारा पाातजनक । गया है। लोकमण्या मायः १२१११ । प्रायोन कैमरों नधिमे घोट पहुंचानेवाला । राजापीक पधोम यह उत्कलको राजधानो रतामाकी जाहलायन ( म०ए०) प्रवर ऋपिका नाम। १६वीं गताम्दोम यहां हिन्दू पौरममनमानामि बहाशा आदि (म.वि.) अायो भवः जना । जमाभूम, दुपा था, जिसमे यह परबाद हो गया। यहां परदा. धिमे निकना दुपा। देवो तया वराहावतार मिणुका मन्दिर पोर विमान जाहिक (म. लि) जहाभिसरति इति ठन्। १८ष्ट्र, मर्यम्तम्भ, मो नगरमे १ मोल दूर है, देखने योग्य है। संट। २ योकारो इच । ३ योकारो नामफा मग|| सिधा के हिन्द देवदेपियों को यततो ऐमो मूnिt ४ जहाजोयो, या भिमको जीविका बहुत दौड़ने | मीर जिनको नाक काला पहाड़ने काट डामोयो। १० पादिमे चलती है, परक।। ५ प्रगत जलाविगिट, वो शतान्दोमें नवाब भायू ममीरको यनायो ममारिए निमी जाप पच्छो छ। भी अच्छी ।। १८६८०में जामपुर मनिमपानिटो जानिकाय (म'• पु.) योफारो मृग, एक प्रकारका | बनगर। हिरन । जाजपुर-हाजपुर दे।। जापक (वि जाजम (तुम्तो.) एक प्रकारको पादराम पान भोप मागनेवाला। बूटे पादि छ होते है पर यह फर्ग पर विज्ञान हे काम जाजगद-पजमेर गाज्यका एक नगर । कोटा नगरके । पातो पताणी, वाहने दे।। जामिमसिंहने १८०३ १. १स नगरको उदयपुरमे जानमक-युमा प्रदेश कानपुर जिले को कानपुर ता पलग कर दिया। ममें कुल ८४ लाम लगते हैं, जिनम मोनका पुराना नाम । मे २२ ग्राममि केवल मोना जाति के लोग रहते हैं। ये जाजमनार (हि. पु०) मम्म र्ष जातिका एहराम। लोग रूपमान, यनयान तथा बड़े ग ग्योर होते हैं। ये | इममें मय शुद्ध स्वर नगते हैं। रुपये देकर राजस्व नहीं तुकात, यरिक परिश्रम करके। आजार ( फा.पु.) पापाना, टो। इन लोगको गिनतो हिन्दू में होती है। ये समके मघ । माअल (म.पु.) प्रययेदको एक गापामा माम। जाजनि(म. पु.) एक विका नाम । ये पारि जानदेय-मयमद्रमूरि प्रयोग "मोर महाकाव्य" मामक यता पप्यकं गिण । हिमो समय भनि ममुही मलत प्रत्यमे यर्षित रणम्तम्भपुररान इग्मोरके किनारे घोरतर तपस्याका अनुठान किया। समय मेनापति। प्रभावमे विभयनभुमार कर हो'ने मन की मन मोका जाजम (म.वि.) योधगीम. युद्ध करने का जिसका कि, म अगत् में ही एक मात्र नपसी पन्तोष पभाव हो। यित गर्मनि उनके मनका भाव समझ कर करा- जामपुर-उदीमा प्रामाई करक जिमेका उत्तर-पपिम ! भद्रः सुम्माराम प्रकारका विचार करना मा सब डिविप्रम । यह पता. २०२८ तथा २१... पन्याय । वाराणसीमिधामी पनि रामाधामो पौरा० ८५°४२ एयर ३० पूरे मा परिणत म पामको कामे मिये माहम न करता , का मम २५१५ वामीम पोर मोसम | पातको गुन कर ये माधार निमने बिरामी मरे मायः १५.४.२ । म . मगर पोर १५८. पाम ! wri गुमधार भुपमै ममातन ifAmar पिपिप पागद अमग पुन कर में शामिलाम ! ( n) . . २ सीमा कटा निशानपुर मय डिविजन देशाजमि प्रापि प्रगर ) गदर पा३.५१३. और देगा. .! अप्रयापम यापित एक मा . शिवोपामक