पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३१३

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बावा (यवोप) : . भारत कर हिनाम्बिाको दरकत कर रहा है। यहां जाग माधारणतः पूर्व भोर पयिम इन' . हिन्दगनको गौरवमाधि और योहाविर्भावये पद चट भागों में विभक्त है। पथिमागको मदिवा प्रशाला पर भी सवयन यमि चिनिन है। भारतमहामागीय उत्तम्माहिनी है. जिनमे जि-तार' और 'भिमानु' अन्यान्य ममम. होपों को अपेक्षा यहाको जनमत्या | ये दो नदो ही मसे बड़ी घोर विस्त । मदियो मम पधिभर यहाको प्रस्यमहिने इलेगाको नाम पाने प्रायः 'काली' गद जोर दिया जाता है। ऐवशालो बनाया है। इसके । मौन पूर्वा गर्म पूर्व जावाको नदियां घाणिज्यके लिए विगेप उपगेनी , अवस्थित बानिदोपको पाचात्य भौगोलिकगण आयाका हो है और दक्षिण जायाको नदियों मे सेमोमें बहत महायता पंग बतलाते हैं, और मोलिए उसका नाम छोटा | मिलती है। जानाके उत्तर उपयूनों माणिज्यबधान माया ( Little daro 'पड़ा है। पालिझोप देखो। यन्दर पादि है। यहाँको उपत्यका भूमि पचन उमेरा जावा हल गढ़ में चौगुना बड़ा है; इमका रकबा पोर नाना प्रकार शस्यममहिपूर्ण है। यहां कई तरारे । ५०३८. वर्गमोल है। जनसंख्या कुछ पधिक ३ करोड़ है। मिट्टी देखनेमें पातो है, जिममे पवद्रय पसुन होते यतमान समयमै भाषिक धादि गोलन्दाज भूतत्त्व है। एक तरहकी मिट्टीमे 'पोमि सेन' मनमोहै। यह विदोन महत्वको पर्यातीचना पर स्थिर किया है कि 'मे' नामक एक प्रकारको स्वादिष्ट होतो. दक्षिणपर्व एम्यिासे इस दोपका सर्वा शर्म मौमादृश्य जिमे यहाँक नोग ग्वाया करते हैं। किसो किमोनाको है। इस पोर लत्य देनेमे पनुमान होता है कि पति | मिष्टो घोर पोली भी होती है। हम पलाया यहां संग प्राचीनकालमें भाया और धानिहीप एमियामें ही मयुक्त | मम्मर, चूना परियामिटो, गन्धक पादि नाना प्रकारले था। यहां टर्टि पारी ( Tertiary ) युगमे गेलखण्ड नम्न दण्ड पाये जाते है। यात देखने में पाते हैं। जावाम पाग्ने यगिरिको पधि ममतल प्रदेशको जमोन दरियावरार ( Allarian) . फता देख कर भूतत्व विद्वानाने स्थिर किया है कि और गग शिकस्त ( Diluvium) है। कोई कोई स्याम' यहां के भू-पञ्जरमें बहुत कुछ परिवर्तन दुपा है और कई प्रवाल कोटके व मावोपमे परिपूर्ण है। नदी किनारे यार खण्ड प्रलय मो हुई है। अब भी प्राय: बोम सञोव | तथा दलदल जमोनमें बहुत धान्य उत्पथ होता है। मो पाग्ने यगिरि ममय ममय पर भोषण उपद्रव साय, लिए भारत के मोग जायाको भारतमागरोय रोपका पान्य दगीरण किया करते हैं पोर कभी कमो भूकम्पमा यस्यभाडार कहते हैं। दुपा करता है। __चारों पोरमे ममुद्रदेटिन पोर पिपुपरेखाके मविहित _जायाको भूगर्भम्य पग्निति पर भो कियायीन होने कारण यहाको अलवायु उग पोर मधुर या . पररणाम है । पर्वतमा पधिकांग भाग पग्निगिरिडोप याणिज्यवायुके प्रयासपर पर पयस्पिन है । याता. निषिम भूगर्भस्य पदार्य मे उत्पम दुपा है। भूतत्व धोयाके वैधालयम पायविद्याविषयक (Meteorolor विधानों का कहना है कि जिम ममय जावा मनुय यामक gical ) परीक्षा द्वारा निर्णोदुमा कि वर्ष में पोमत योग्य पा था, उस समय व सुगावा, योनि पो पादि ७८.८.१२ या होती है। यहां वेगापी पाशिनमा पाठ दोपाम विभत था। गमायपमै भो पावा थिय दक्षिणपूर्षीय पोर पातिकमे घेय तक उतरविमीय रमम ममगम्योपगोभित' ऐमा विमेपण पाया जाता है। यायु पनलो होतो । पथिम पोर मध्य जायाको अम. यदीप या प्राधाके पान यप म मर्वोच्च पोर मई वायु पूर्व जामे मम्प मिप है। कारण यह प्रधान समपर्वत। म मिस पोर मी रावणं, पूE-जाधाम वर्षा पधिक नही होतो । म्यानमा पन. सय, गभ..त्यादि नामक पग्निगन गिद्यमाम और ममुह मानिध्वरे फारच उत्ताप भी मारसम्य से । माधारणत: पताको खचाई २.० १८५पा करता है । यातायशेयाम माय: बारसो महोने पर्चा ./ोतो। वायुको गरमी कमी. भो (का) :