पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३३५

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'नावा (यवहोप) "काय रामाय" रचा गया था। परना हमके रचयिता] "शुति" प्राच मोहिंगामा पनुरूप है। म . .. मशन नरी नामी थे, उन्होंने रामायगका उपास्यान मी उपदेशपूर्ण कविमाए । मोतिमा अन्य मोगा मुंभमे मुना था। ये गिव उपासक थे । गादि राजधर्म और "पष्टमा" मायने राजनीतिशायम श निवारण पालिशोर भोर विमापा गन्दो देखो। है। "गिव अन्य उप कोटिक यरियो के माग .. जायाके स्थानीय माहिती "मणिकमय" नामक प्यपहारको गीति लिया है। "नागरक्रम में भागरि प्रकागः गदापन्य विशेष प्रमिह है। इममें सरितत्त्वका शामन व्यवसाका उपदेश ।। "युद्धनागर"म देगो विषय बढ़ी विद्वत्ता माय वर्णित है। समान यवक्षोप. नोगों के प्राचार व्यवहारका यम है। "हाम" वामियों के लिए यही प्रधान नोकिक साहित्य है। इम मोतिगास्तविषयक गाय है। "वन्द्रमतात".प्रय गाय पुस्तकका माधारण भाम न होनेमे, यपदोपर्म कोई भी १३४० का रचा पपा। "अयानकार न्यौ शिक्षित नहीं कइला सकता। यही ग्रन्य यवदोषका विचारकाय नम्पन्धो मर्योत्तम मिधि व्यवसादिकापणेग . पादिपुराय है, साधारण भाषामे इसे "पेवाग्म" है। "युगम्तमुद"म मम्बियों के कंतप्याकप्या विचार कसे हैं। शिया गया है। इमझे रचयिता कालियापन . .. "सूर्यकेतु" नामक अन्यमें कुरुवं गोय एक राजाको मन्त्रो युगलमुद । कहानी"नासिगास कयि” नामक ग्रन्यमें नोमि. ___ "गजमदे"(-मन्यो गजमद यिरपिस) मन्धियां गर्मित १२३ शोक है। इस तरहको सुललित मोतिः । विषयक ग्रन्थ। “कापकाप"-विचारय्ययभार विषय कयिता मभो भाषापों के लिए महार स्वरूप है। ग्रन्य । "मयं पालम".-( राजमपात या पादिजिमुन पागम, पादिगमा पूर्यादिगम, सूर्य-फान्तार या मानव- रचित, ये मुमतमानो में मयमे पहले राजा ए ) गामा (मनुसंहिता), देयागम, माहेमरी, तत्त्वविधा, राजनोसि-मूलया अन्य । "जयालझार" उपन्यास-- मारमागम पादि पनेक प्राचीन पन्धोका प्राविष्कार हुपा (ममहागग भाम्पेन के ममयमें रचित ) उसनोनिमम . है। इनमें मानयशामाका कुछ पंग पोजीमें पनु. रूपक ग्रन्। "जघर मालिकाम्"-यतमान समयका यादित हुपा है। यह मानयगामा या मनुमाहिता १५० मयोप्या ट उपन्याम । म ग्रन्यको प्रयम तम प्रकार भागों में विभ। है-"यथार्य प्रेम पित्तको सर्वदा उदिन रपता है" प्राचीन साहित्यमे उपरोक पापी उस योग्य हैं। इनके जैमाकि सेक्सपीयरने कहा -" here love in असावा सन्मान यो नाम बालिशप भन्दमें देखना चाहिए । great the slighest doubts are itor" "अगर यतमाम लोकिक माहित्यमे उपन्यास पोर नाटक मासिकम्" (मयिकाका नाम )का परिय र पाटिका पमितत्व हो पधिक है। भांपा या साहित्य के लिए उपादेय है। . "पाप मा परागी"-रतिक्षाममूनक जयान. हार गत्वकालमे रमका प्रारभ । ४.० वर्ष तक राजत्व करते रहने पर भी गमनमाम "पनोमर्टनिन "-या पन्नो गोयनका. पात! मायाम अपने मारित्यफा प्रचार नहीं कर म। मि घटनावनोपूर्ण प्रतिसामानोमगद, पनो मारा। धर्म:विषयक कुछ अन्यों में मिया मालिन्य पम्य विमा. पु. पत्रीमियम्बट, पत्री जयकुसुम, पोटेनगि गौम परमो भाषाका प्रभाव विनम्न मोडरिगीपर गी: पसि. पनी नरम स्वादि पन्यो म पनीका जीयन. होता. यतमान ममय, रमकी मस्या प्रमा सानिया कहा जाता है ये पाय १५वी रही। प्रायः पौने दी मोय पसे प्रामामक मादम पररपे गये है। एक परयो विधान त्राया मापा गया पनुवार की रपमा 'वाम' या 'पदनाममे किया या नियमिनित पासा यार . . प्रमि ।