पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३९१

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३४ मोवग्रह--जीवपिटक उन्होंने भक्तिरमामृतके ममात होनेके विषय में पूछा। जीवनौषक (म पु० जीवजीयः साईं को। चोर यौपने उत्तर दिया-"जोवके चले जानेगे देर हो। पक्षी। "हन्या रकाने गांसानि मायते मीदवार रही है, वह रहता तो अब तक समाम हो जाता, उममें (मनु ), बड़ो महायता मिलती थी।" सनातनने जोवका सब जीवनीय ( पु.सी.) जीवं जीवति विपदी झाल पूछा। योरूयने म३ हाल कह सुनाया । इस पर नाशयति, बाहुनकात् खत् । १ चकोर पनी । २ एक मनाननने कहा-"प्रति ममय मुझे यनरी एक बालक दूसरे प्रकारका पही। ३ वृतविशेष एक पेशा दिखाई दिया था, गायद वही जीव होगा। जापो, ठमे । नाम । क्षमा कर दो, बहुत शिक्षा मिल चुको, म उमे ले जीवट (हिं. स्त्री०) माहम, हिग्मत, मरदामगी। पायो।" जीवतत्त्व ( स० ली० ) जोषस्य तत्त्वं यत्र, यानी ! या मनातन धौलपके गुरु थे। गुरुके आदेशानुमार | शास्त्र जिममें प्राणियों को जाति, स्वभाव, झिया तया , उन्होंने जोक्यो क्षमा प्रदान को । गुरु-गिप्यका पुनर्मिलन चरित्र प्रादि वणित है। जीयत्तोका (म' स्त्री०) जीवत् तोकं धपत्य यस्याः, जीवगोस्वामी की वंशायली। बनी। लीवत्पुत्रिका, वह स्त्री जिमको मन्तप्ति जगदगुरु ( कर्णाट के राजा १३.३ शक) जोती हो। प्रनिरा (१३३८ शकमें राजा हुए ) जीवत्पति (म स्त्री०) जीवन् पतियस्याः, यमो. . सौभाग्यवती स्त्री. मधवा सही, पर स्त्री जिसका पति रूपावर हरिहर जीवित हो। जीवत्पिता (म० वि०) जिमका पिता जीवित हो। . पप्रनाम (१३०८शकमें जन्म) जोवत्यिटक ( म. पु० ) जोवन् पिता यम्य, यो । वह जिमका पिता जीवित हो। पिता जीवित साने पुरुषोत्तम जगवाघ नारायण मुशार मुकुन्द पर घमासान, गया याड और दक्षिणको भोर मकर कुमार भोजन नहीं करना चाहिये, जो प्रमानानादि करता है । वह पिता होता है। (तिधितत्व ) . दोनों का नाम मालम नहीं मनातन रूप जीवपिटक यदि माग्निक ब्राह्मण हो, तो उमको थाहविशेपमें अधिकार है। न कि गिरग्नि होगे पर। जीवगोस्वामी जीवा (ये. पु० ) नघोन मोमपूर्ण । (निर्णयःसन्धु ) पितामहके जीवित होने पर भी याष्ठ जोधप्राइ (सं० पु०) बन्दो, वादो। पादि कर सकता है, किन्तु प्रपितामा यदि जोक्त की, जोधन ( मं• पु०) जोर एव घनो मूतिरस्य, बनी। तो नहीं कर मकता । हिरण्यगर्भ, ब्राया। ____प्रयोगपारिजात पादि स्मृतिनिबन्धकारी के मसगे- . " एREमा बीवधनात् परात्परन् ।" (प्रश्नोपनि०) माग्निक नीयपिटक हो याद भादि पिटकार्य कर सीवघोषबानी-एक मस्त बयाकरणका नाम | मकता है. निरग्निक नहीं। परन्तु यह मत विशद नहीं जीवन ( म० वि०) औयज्ञात, जिमने जीयन ग्रहण है। निरग्नि जीवस्पिटफ होने पर भी हियार कर फिया हो। मकता है. पर अन्य याद नहीं कर साता । (दारीत) ' . जीवीत (म.पु.) जीवन भस्य सीटादिना जीय. घोर भी बहुममे प्रमाण है जिनमे मित गति जीप पर यहा जीयनीय पोदरादित्वात् माधु: । जोमपिटका मिरग्निक होने पर मी पिया घर समा भोपत्रीय पक्षी, चकोर पड़ी। | और मानिक श्रीयपिटक सय या कर माता, . वनम