पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४२६

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नुमिया मग-नुयाङ्ग . पहनतो हैं, जिसमें फूल लगाये रहती हैं। मूगेका हार को प्रकट नहीं होता, क्योंकि इनमें विलासिता नहीं , इनको विशेष अादरणीय वस्तु है। है। बङ्गाली श्यापारोगण इनके पास ना कर परख विनि- कोई कोई कहते हैं, जुमिया में दाम्पत्यम मय करते हैं। योगा ग्रन्दमें विस्तृत विवरण देगी। बहुत बढ़ा चढ़ा है। विवाह के बादमे स्वामी-स्तीका मिल (फा पु०) एक प्रकारका घोड़ा। कमी विच्छेद नहीं होता, फिर भी प्रेम और पादर जुबिल्ला ( फा. पु.) कपड़े बुननको सपटमकी वाई ज्योंका त्यों रहता है। पोरका बूटा। इममें लपेटन म्तगी रहती है। - ये मरे हुए का अग्निसत्कार करते हैं। किमी के | जुमोरात (१० स्त्री०) स्पति, गुरुवार, बीफै। 'मरने पर पारमोय व्यक्ति मम एकत्र हो कर कोई | याङ्ग-(पतुपा) मिंहभूमके दक्षिरस्य उहिया के उमर . अन्त्य टिक्रियाका मन्त्र पढ़ते हैं और काठादि टोते वा ओर फेंकानलवामी एक चमभ्य वन्य शाति । नती परथी बनाते हैं। इन सब कार्यों में प्रायः २४ घण्टे | भापामे अनुमान होता है कि. यह जाति कोनजातिको बीत जाते हैं। पीछे प्रात्मीय लोग शवको श्मशानमें ले | हो कोई गाग्वा होगी। इनकी भाषा परियापैकी नाते हैं। आगे आगे याजमा और अन्यान्य व्यक्ति जाते | भापामे बहुत कुछ मिलती जुलती है, पर इसमें बहुत है तथा पीछे आत्मीय लोग शव और नूतन वस्खादि ले उड़िया पौर अन्यान्य शम्दोका प्रयेग हो गया। चलते हैं। मृत व्यक्ति धनाध्य हो तो उसकी परथी | ____ इनका शरीरायतन पोरापोनीको ताप कोटा है। गाड़ी पर जाती है। पुरुषों की चिता तिहरी और स्त्रियों-/ पुरुष लगभग ५ फुट और स्त्रियां ४ फुट ८श्वमे ज्यादा को चौहरी चिता लगाई जाती है। ये शवदाह होनेके । ऊँची नहीं हैं। इनका मुंह चटा, गाम्यि अंची, बाद उसकी मम्मको एकही करके गाड़ देते है पोर उम | ललाट कम चौड़ा, नोचा और नामिकामे ऊंचा, जगा वास गाड़ कर उसमें पताका लगा देते हैं। नामिकाकै छिट्र बडे, मुग्नुनिवर वड़ा, पीठाधर स्याल, इनकी बोलने की भापा माराकानी है और लिखने चिबुक (ठोदी) और नोधेको दन्तपति छोटी है। के पक्षर बरमावासियों के समान है। यान यदवरत पौर माधारणतः कपिशवर्ण (मटमेन्ले ) ये हिन्दुओं को दृष्टिमें बड़े नीच गिने जाते हैं। इन-है, शरीरका रंग उहियाके रुपको जमा है। सिंहभूम- के खान पानका कोई ठीक नहीं-गज, सुपर, मुरगी, | यासी हो रमणियां जुयान रमणियोंकी अपेक्षा बहुत हर एक तरहकी मछली, चूहे, गिरगिट, माप, अनेक ! बड़ी है। हो जातिके पुरुप भी जुयाङ्ग-पुरुपको अपेवा प्रकारके कोड़े, इनमें से कोई छूटा नहीं-सर वाले हैं। पड़े हैं। जयाझोंक गई होनिका कारण यव हो सकता स्त्री-पुरुष दोनों ही भराय पीते हैं। इन्हें भी जात्य है कि, वे बहुत पीढ़ियोंमे बोझ टोनेका कार्य करते पाये भिमान.है, ये किसी मगधीवर वा मालो धीयरके धुके। है। हो लोग भार दोना नहीं चाहते। को ते तया नहीं। ये लोग उथ श्रेणी के हिन्दुओं को | जुयाङ्ग-रमाणयां मुण्डा पोर परियों की सरह ललाट पवित्र मानते हैं और उनके घरका पानी पीते हैं। पोर नामिका पर तीन तीन गोदना गुदाती है। ये जमिया लोग प्रधागत: खेतीवारी कर जीविका वरिया की भांति यस्मीक (दीमक वोट )-को निर्वाह करते है। इनका कृषिकार्य बहुत ही विनमण | देयता मानते हैं। इससे पनुमान होता है कि जया और पार्यस्यपदेगके योग्य है। जूम देशे। खेतो-चारी | लोग मरिया, मुण्डा पार्दिक ममजातीय इंगि। परन्तु मिया इन्हें अङ्गाली देने और पन्यान्य यहुन प्रकार के इनको उत्पत्तिके विषय में भी तक कुछ मालूम नहीं फल फल मिल जाते है। ये लोग नदी के किनारे तमाङ्ग हुा। फो सेतो भी करते हैं। इसके मित्रा प्रत्येक मिया जयाका कहना है कि, केटमर को उनका पादिम जहीमे मकड़ी का यार मो कुछ पैदावारो फर ले १५ या रम्यान घा। एश दिन पग के देवनि गुमादागक उनको अवस्था माधारण महो। म फिनो ! पत पर. पाप रहला मान कुमारिरि मारा विकार Vol. lil.96