पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४८३

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लैनधर्म मानो नो स्मादि देयों द्वारा ममयगरपकी । एमा, या मिर्फ जातिमे की दिश। एट पार पिना हो गई। रियामा कारगर देगा। पौर दूरी पार क्रियापनि, म प्रकार दो जम प्रिय. __मान ममयगरगाने भरतपर्णीने अनेक प्रय} की उत्पत्ति हो, वजिरे एवं जो शिया धोर यि मीमभा ( ममबगरम में भगवान्न पामाई | | मन्धरहित है. यह ईयम नामधारप करनेपालाश मसामायिक धर्म या मार्गभर्मका प्रकार किया। यहींगे। है. यामाणिक नहीं।" पकी बारामदार किये जाने नाम परमपिशानो-मयम विभाग पा पर प्रजा भी एम योका गय पाटर करने मगो। म एम बाद, परवर्ती २६ तोहराने हम धर्मका प्रभाग वर्गक मनपा प्राय: यह याचार्य होत घे पोर गेय मीमा घिया, finा पास नफ भी हम भारतवर्ष के सर्वच अधिकांग मुनिधर्म प्रयत्नम्मनपूर्वक पपगी पण पार। अगला चपभदेयके पुत्र प्रपभमेग, मोमप्रभ ! पामाग्रति किया करते थे। ( भारिपुतग). पादिन दीसा दे घर मुनिधर्मका नया भगवान की पूर्वी मके कुछ दिन बाद भरतचक्रवर्ती भगवान् सरपमः। शालीदेवो पीर मुन्दरीलीन दोषा ग्रहण कर पार्यिका पके ममयगरण में गये पोर पपने सौ तथा प्राधन. UST Eमार किया। रम सोयंकर ऋपभयो समयमे या की म्यापनाका प्रत्तारा कहा । मगयानको दिन लगाकर पन्निमयदर यीमहावीरपामीम ममय तक द्वारा इस प्रकार. उपर मिसा-"यापि म माय अनधर्यमा प्रकाश मो नरम फैला रहा. भिमफा मंमित बामणांकी पायग्यकता घी, मिनु भमिषार्ग पर विगाण भाग वन पर "नयामर वा गुम' नामक तीर योगीतलनामे ममयगे ये धम द्रोदी पोरं हिंमा नीयलिनी हो शायर्ग तथा यादिम पाहिमा करेंगे।" सोपा ___ --म पयमविणीशान के प्रथम मानवहरती सन्दर्भ देगे।। हम पर भरतपयतीको बड़ा सकर्मी भरत महागजने, जिनके माममे यह देश पयाशाप दुपा, किन्तु क्या करती है जो सोमाया मोदी भारतपर्य कालाया, दिग्विजय यात्रा कर पगेक मेना। गया. यह मोच कर मन्तोष धारण किया पोर मंमारम । मस्ति दिग्विजयको प्रया प्रनित की। ये भरतपयले उटामोन हो कर राग्य करने लगे। भरता य. E ast पधिपनि घे। इन्होंने पपनो ममीका गमस्यायन्याम हो इसना बढ़ गया या कि, दोगामा दान करने वग्नमे एक दिन समस्त प्रजाको निमन्तण करते ही उन्हें केवलज्ञान प्राम हो गया था और हमारी दिया और गनप्रामादसे मार्ग में घाम पादि यो दी।/ तक मयंकायम्या मारके आर्योको पिदेश ३ मनमा अभिप्राय यर या कि, तो मति दयालु और कर प्रम निर्माण प्रामए । मत मerif देणे) - प्रमामयोग थे श्रीगरिमामे बचने के लिए हम मागमे नमक बाट महायोग्णामी ममय लग पाग मपाकर पवमा ही पन्य मार्गका पयमन करेंगे और यमान धारकप और उनका मधमा ये से गायन प्रागा मोने योग्य होंगे। पमनार ममार जोनाहा (Regum) मो भोग अग मागे न पावे. उॐ यशोयीम दिया गगा! या मातीर जम म t . पोर धान, माधयादि मानव शम का उपदेश दिया। तब उन है मगमे श्री माणो गाउपदेश नि:यत int गया। हो यह भी कहा कि "यद्यपि जामिनाम- उमझो शुत था मामा करने परायं काल मावि का उपयमे गनुगालि एकी६, तयापिजीविका समय में योरपाटयो मोर गगे पादपणाम भाग फोर पारमियमय पार पाम विमा .मागरम न मम्मामान पपिधिर काम पतालका महार सरपोर मामांगही मन मोर मया RESEARI .. सरपोराम रिमका मार माग गहरे और दो भारी ? Exiनगिने की मार द. पर होग, परिणम न या It wanामनगर faatm मारनी '