पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५३७

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४ बैनधर्म परिता नामक मयां मरक। छठी पृथियो पर नारकी लोन मर्यदा पामर HTO.गुरु, TEH- मथयो मामय रठा नरक और मातयों पृथियो पर तर परिणामयुमा, परामता गरीरहे . धारक, परमतर मायो मामक या (पन्तिम) नरक है। ये मघ नएफ | वेदनायुमा पौर पराभतर यिक्रिया करनेवाले होते समनाह के भीतर हो, पर्थात् नारको ओर्योको है। निरन्तर उभ कर्माका उदय होते रह से को उत्पत्ति और मिवामान वमनाही भीतर ही है। उदयगत भाग, विचार भादि सयंदा पराम को रहत । पम नफीफा धन किया जाता है। । ये परम्पर एक दूमरेको पोड़ा देते रहते २. पर्याप कुमा ___ रवप्रभा पृयियीक तीन भाग हैं. १ खरभाग २ प. विनोकी तरह इमेग नड़त मिलते रहते हैं। नोमी . भाग चौर ३ पन्यहम्मभाग ।रभागको मोटाई १६.०० नरक तक पमुरकुमारदेव मा कर यह नारकियाँको योजन, पहभागी ८४... योजन और पवनभागकी मेहकी तरह नहात पौर तमाशा देखते हैं। मई मोटाई ८०००० पोतन से। इनमेमे गरमागर्म प्रसर । वाद चौयेमे मासवे नरक पयंस कोई भी भिड़ाता नो, कुमारके अतिरिक्त गैप नव प्रकारके भवनवासीटेय स्वय' ही मड़ा करते है। मारकियों को कुपवधिनानमें तथा राधमभेदके मिया गेप मात प्रकारके प्यन्तरदेव है। पहले जन्म जन्मान्तरीको गत्मा याद पानी पीर निवाम करते है। २ य पदमागमें घसुरफुमार और उमका बदला लेने के लिए सयंदा व्यस्त रहने हैं। इस राममा का वाम है । श्य पचहुलभागमे प्रग्रम नरक है। मैंने पहले नरकके पहले पटनमें उत्पन्न होनेवाले मार. उस मातो पृयियियों पर बमनाही के मध्य मातकियों के गरीरको अचाई हायको है। द्वितीय पादि नरक और उन सातो नरकों में नारकियो के रहने पटौम क्रममा चिसोशर पहने नरफ के १२ पटनमें म्यानलारूप सन्नघरों को भांति ४८ पटल है। प्रथम | मात धनुप और सवा तोगसाधकी चार पटे नरफम १३ पटम. ट्रमोमें ११, तामरे , चोमें नरक में जो उत्कट चार उसमे कुक्त पधिक टूमा ७, पापम ५, छठे और मातम १ पटलाये। नरक नारफियोको अवन्य ( फममे कम । अचा , पटल उस भूमियों के ऊपर-नोके एक एक हजार हितीय रतीय प्रादि नरकमि संचाई क्रमशः टूनो दूगी योजन छोद कर ममान अनार पर स्थित है। प्रथम होतो गई है और पनिम (०म) भरकम उत्कट मपाई ५.० धगुपकी शे गई है। नरक १ले पटनका नाम है सीमन्तक । म मीमन्न | पाने नरक, नारमियाँको टयाट (पधिकगे पधित) पटलमें १ माष योनन ज्यामगुक्त गोल इन्द्रका बिल (नरक) है। इस प्रकार प्रथम नरकम ३० नाम विला यु १ मागरको ६, टूमर २ मागरकी, 'तोसरेम दूमरे नरक में २५ साप, सोमरी नरक में १५ नाम.. मागरको, चोयम १० मागरकी, पाप १० मागरको. घोध नरफौ १. माण, पाच नरकम ३ लान, ठे कठेमें २२ मागरकी पोर मात नरकम उकट पागु नरकम ५ मनात पोर मात नरकम कुन्न पांच दी। २३ मागरकी है। उपर कहे ये पहले चार गरको नया पाच नरया के विम (नरक) है। ये गिम गोन, मित्रोण, चतुकोण मादि पाकार । मम कई मंग्यात पार कर पमः । मीयोगमे उपाताको सीम घेदमा । म नोचे पर्यात पांघर्ष के कुरा गर्म तथा पौर जय नरकम गीतको .प्यात योजन विम्त त । माnt नरकाई इन्द्रका | सीम घेदना । उता सनी पधिश होती योणिया पोरकीपक नरकों की मंग्या ८४ नारा । यांक नारकी यदि मयणममुद्रका जन पोमें को भी मारकी नोय ही रहते हैं। । उगको प्यास नही मुझनो चौर गोत भी पानी पादा मानवामियों के दामे, सपा-मुमार, नागमोकि समय ममान मोह मो गम माय मो सुमार, विगुन मार, मार, ममार, याममार, "पापर्य मी। शिशु भाकियों का किया और निमार, उरिद्वीपमारकरार FRONT भेद६.r-NIRTER, महो-10ोग गनुशिय मोगपतिको ऐसा करो। रr, गभर्न, , , माभोर किया कि पदम गिर माना जा , राम ।।