पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७१

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• यमबल-अयमल. · सापक तामलेपमें निषा है कि पहले म | स्वर्ण १ सोला, नोह : मासा, गण-४ मामा, इनको यंग महामामन्त मात्र थे। म जयमटने समुद्र कुलवर्ती एकवीट कर धनी पोर फालि ( सिर के बने गुजरात पीर काठियावाड़में घोरतर युद्ध किया था। रसम, दशमून चोर चिरायते कायमें कम तोन चार मागम होता है किइन्होंने पहिले पहल ययार्थ राजपद | भावना दे कर दोरत्तोके बराबर गोलियां धनामो चाहिये। पाया था, क्योंकि इनके पुत्र श्य दहने अपने को महाराजा पनुपान-जोरेका युकनो पोर मनु । मझा मेपर .. धिराज उपाधि द्वारा विभूपित किया है। खेड़ामे ग्राम | करनेसे नाना प्रकारका धानुस्य वर नट हो जाता है। . पगुमानपत्रके पदनमे मालूम होता है कि, २य जय- याविषम और जो बरको उत्पाट पोषध है। भटके पिता श्य दहने नागवंशीय राजाओं पर पाक्रम कर बहुतमे स्थान अधिकार किये थे। परन्तु वे भी सामंत चिकित्सासारसंग्रहके मतानुसार रसको प्रश्नः । माव पड़ा और नौसारोमे प्राम ताम्रलेख में लिखा प्रणाली-हड़, बहेड़ा, पावला, पीपल, प्रत्येक २ मामा, . है कि, श्य अयमटके पिता ४थै दहले बलभी राजाको लौ ४ मासा, पन १ मासा, साम २ मामा, रोमा सम्माट योपदेयके हायसे बचा कर मक्षासुस्थाति भजन | रत्ती, स्वर्ण ५ रत्ती । रस.पोर गम्भककी कमलो कर को यो। इन्होंने पेदि सम्बत् १८०से ३८५ तक पर्यात | इनका पर्पटी पाक कर लेना चाहिये। फिर उसमें ४मामे १२प्से तक्र राज्य किया था। इस समय से कुछ ] पपंटो डाल कर निमातिषित प्रोपोंमें मावना दे कर . पहले इपदेवने यसभौराज्य पर पाक्रमण किया था, ऐसा मूग धराधर गोलियां धनानो चाहिये। 'पनुपान- मात म होता है। कुछ भी हो. भरुफच्छाधिपतिक साय! गुलमोके पत्ते का रम और मधु। भावनाके लिए- .यभीराजको मित्रता बहुत दिनों तक नहीं रहने पाई | जयन्तोपत्रका रस, विजयाका रस, चोतका रम, तुसमो. यो। पाकि. ५४८ में मरकच्छ को बलभोराम ध्र या कारम, पदरकका रम, कैंगराज ( मगरिया) का रस, मेनके पधिसत होते पोर यहां के जय स्कन्धायारसे बलमो. भृङ्गाराजका रम, निगडोका रम, प्राय फका परिमाण राओके गासनपत्र मिलते दिखाई देते हैं। दो तोला है। यह पोषध.मोघमर पोर सदा विषम नयमात (मं.पु. ) जय एष मनानं यस्य, जयेन महल वरमें प्रयोजा है। (पिरिसासारसंग्रह ) ' . . . यमादिति या राजयाहन योग्य हस्ती राजाके सवार | अयमझती-महिमर राज्यमें बहनेवाली एक नदो। या शेने योग्य दायी। यह हायो शिम पर रामा विजय देवरायदुर्ग नामक पर्पतमे निकाल कर तरको भोर करने के उपरान्त समार हो कर निकले। ५५ पक रामकुड़ जिले कोत गिरि तालुकले मातरमे पेक्षा आतोय नामविगेप, साल के साठ भेदाममे एक। सिले के उत्तर पिनाकिनी नदो ना.मिसी। सो जयमाम-जयमिकको ममाके एक पण्डित । नहाने वातामय गर्भ में स्थित कपिनी नामक कप पानोरे नयमिरहे पादेशानुसार (२०१४मे १९४३२ मोतर)। प्रेतों में पानो मजा आता है। . . . कपिगिया मामक एक शत पसवार पन्य रपा | अयमन-१ एक प्रमिर राजपूतवीर और मनोरके पति.. मा। पति। ये मवार में एक प्रधान मामना समझे जति । २ प प्रभा रोकाकार | समको रचित काय निम ममय सहरापाले पुन कायर उदयमिर पकवर मौर सूर्यगतको टोका मित्ततो है। भोजोटोषित, भयमे चितोर छोड़ कर पसे गये थे, हम समय २६. . मादि पुरुषोत्तम पादिन इनका उप किया। मोरके जयमम पोर कैसवाके पुराने पितोरको, गमा नयमासर (म.पु.) जयेन रोगजयेन मासं यला मिए यादगारके विरुण पमिधारण की यो। । । सामोरमायरमाम,पोरधाम बनानो विधि- उन दोनों महायोसको समाधारण नोकताको Rगुमका म, गधा, सभागेको मम, सांधा, गादेय पर गुगमगेनापतियों भोलट गये । पापित, सेम्बर पोर मरिग, पंखा, मामा, पत जयमग पपनी उमभूमिक सिप में