पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७२४

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पर द्वारा रोगों के मस्तकमे महमा सोमन्सवर मालम होने । होमियोपायि प्राटि भिव भिक मत प्रचमित है। एनी. नगता है यह चर अमाध है। पाधिक मतमें बरसे निदान घोर घिफिमाका वर्णन जिम ज्वरम गेगोको प्राभ्यन्तरिक दाह, पिपामा ! निम्नलिखित प्रकार- काग, ग्वास और अत्यन्त मलमासा उत्पय शेती है। सर किमको करी. उमा पिर निराय पमो सक उमको गम्भीर पर करते हैं। यूरोपियर्याम नहीं है। प्रोमदेगोय किसान गैमनने पर पहले, बीच प्रयका अन्त में कर्णमूलमें गोय गारोरिक उत्ताप-सधिको 'चर" कहा है। जमनदेगक जीनेमे चर यथाक्रममे अमाध्य, कच्छ माध्य पौर मुख प्रमिड डाफर भिरकोने ( Vircha ) का कि, मायु. माध्य दुपा करता है। मगरलोको क्रियामि विनमण होनमे शरीरको झिणियां जो व्वर वधुत कारणोंमे उत्पन भोर बनवान् मथा। 1ster ) ध्वम हो जाती पोर उममे शारीरिक बलमपाक्रान्त होता है, वह व्यर शेगोका जीवन ! उतार-वरिझोती है, किन्तु बामे पूर्वा दोनों कार. नष्ट करता है। जिस ध्वरको उत्पत्ति मावमे होरोगा गोंको नही मानते । कोई काई कही कि, शारीरिक को धतु पादिन्द्रियोंको गक्तियाँ गष्ट हो जाती हैं! रत यिपात होने पर शरीरको पक्षम्या परिवर्तन होतो वह ज्वर अमाध्य होता है। है पोर उममे वर उत्पन्न होता है। किन्तु पामिया ___ो व्यक्ति चरम सनान पोर विगतरूपंयुक्त होता विकिरसमिमे पधिकांग चिकित्सकों का कहना है कि, है, वत्थानति न रहने के कारण पतितकी भांति शय्या गारीरिक झिझिया नट भी जमिकं कारण दैहिक पर सोता रहता है तया अभ्यन्तरमें दाह पौर का गीत सापको सहि होती है पोर उमोमे यरको उत्पति दाग पोड़ित होता है, उसको मृत्य होती है। होती है। मंगेत: मागेदिक मनायीको _ जिम बुखार, रोगोका गरीर रोमानित चच रक्तवर्ण, शव्यरोत्पत्तिका नसण माना जा सकता पर उदयमें कठिन घेटना पौर मुखसे नाम निकलता है. होममे गागरिक मन्ताप घट्ने र मिया गाम पीर माडोके उसके जीनेको पाशा नहीं रहती है। जिम ज्वरमें गेगी. वेगको भी वृद्धि होतो नया बेदनिर्गम पोर मूयादि को हिचकी, हाम, पिपासा, मां, पत्तुका यिभ्रम पोर कक जाता है। होगता होतो तथा मटा नाम निकलता रहता है | पधुना मानयागेर जितम प्रकारको वडाए मोती यह यर रोगोका मा पनाग करता है। जिम ग्यरमे रोगो ६गममे व्यर गेगको मन्या सो घधिक। पोर की प्रभा पोर इन्द्रियगति को हीनता, गगैरम सोणता मानाविध बाभुत गोको मंग्या ममटिम पधिकांग पोर परुचि हो जातोर मया पर यदि पनि दु:मा मोग मग्यि-बामे पोहिन । मनेरिया का वेगमे हो. तो यह गेगी मर जाता है। एकधातुमा घोज मका पभो तक कोई भी निर्णय नों परम गिनशी माध्यता मोर प्रत्या एकचरण होता है। कर पाये है। मनेरियाको उत्पति विष पीक यह प्राधमागक। मनट पाया जाता है, उनमे कुछ मा गोधे निगे शिम यक्षिको प्रथम उत्पत्तिकानमे हो विपमम्बर जात है। पराया धराविक वर रोता है. उसका बुम्बार माध्य । सीमकाय और स यति गम्भीर ध्यरमे पोहित टनो नियामी प्रमित पिशितक मममिमि सोनेमे उसका मानपियोग होता . ( Isrecisi) संरकि, उप्रिजाति मद कर मने. सोयर मनाप, भ्रम, मामयुत तया तीतसा रिया उत्पन होता है। ९. यह थर सातये. दा वा मार दिम रोगोका ३ डाझा करग्रिम (Cutchiyafनय रिया प्रापनाग करता। शि, ममतलभूमि नियमि. उपवाभाम्पिानीको

यूरोप और अमेरिकामं सिकिमासम्बन्धी ऐलोपाधि, निवस्य पादसा यदि जरको पधिक पढ़कर पियार

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