पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७३०

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स्वरं या झाम, पत्यन्त मानमिक चिसापादि कारणोंमे यह दिन मेयनीय है। मोहा पोर यशतको हि होनेमे उम रोग होता है। पाठ सन्द देशना पाहिये। पर टिंचर पारयोडिन नगा। यदि नाक, मसूढ़े पादि जिन मदिरामग्राकान्त व्यक्तियोंको कागराग है, उन किमी स्थानगे रहस्राय होता हो, तो ३०1४. दर्टिनर को चिकित्सा करनी हो तो उनके वसम्वत पर सारपोन फरिपारकोराऽ एक पीना पानी मिला कर उस जगह सेनका द देना चाहिये। लगा देनेसे वह उसी ममय धंद को आयगा । । 'पुरातनवर ( Chronic ferer)-म ज्वरम ममय मुहम घत होने पर निनिवित घोषध पथना ममय पर मोहा और यमत् दोनों ही वढते हैं, रोगीका कग्डिम फ्लूर ( Conds's fluid ) हारा धोना मा क्रमगः अपक्षप्ट हो जाता है-पुनः पुनः ज्यर भोगके | चाहिये। कारण म कणिशाका डाम और पतकणिकाफी हि कार्यनिक पमिड ... ... ब्राम। होतो। रोगोषी पाय, पोष्ठ, मसूढ़े और प्रालियों के । टपकाया पायानो ... ... घोसल । रोप भाग माहीन हो कर मफेद पड़ जाते हैं। गिरो. एकत्र मिना पार व्यवहार करावें । इमझा किमी वेदमा. धनवास, नाड़ीको द्रुतगति, प्रशोणता, घमम, | तरह मेवन न किया जाय, हम पर पूरा ध्यान रपना अनिद्रा, अरुचि, पाम और रातोमार, काग, भाय।। चाहिये। ऐमी पवस्था अन्य पोपहारः अक्षा में सूजन, उदरी, मुख, दमा और नामिफासे रहस्राव निवारण करना चाहिये । यदि उममे कोई फममी , इत्यादि उपमर्ग उपस्थित होते हैं। यह व्याधि जटिल तो पात घोड़ो कुनै नका व्यवहार करे। ' उपमर्गविशिष्ट हो कर ममग प्रधिको प्राम होने पर दुपि- उदरामय हो तो १५ टि'चा टोन पर एक किरस्य हो जाती है। पोगा इनफिटमन कन्नम्या एकव करकेमावा. दिगमें चिकिरमा-रोगी यदि ज्यर भोगतान, मो निम्नलिखित | २१३ यार मेवन करावें । मियर विराम अथवा सामायम्या रोज सोमबार ___वर ममय मायूदाने, बानि, पागरोट पादि पिनाना चाहिये। ज्वर मंद होने पर इस मिकमर में एक पाहारार्य देना चाहिये। सुधार एट शनि पर. गुधन ग्रेग कुनैन पोर डान देनी चाहिये। पतले पुराने चापनका पय, मुगको दान, जम पादि फनन ... २१ प्रेमा तया रातको दूध मा व्यवस्य ।। उदरामय सोनम 'डा. नाइट्रिक एमिड ५ पद। दूध नहीं दिया जाता। रोगोको किमो सरह भी गाढ़ा पटाग कोराम प्रेन। दूध पिलाना उचित नहीं। १११२ दिन बाद गरम भा. धरम आम पानोमे गाम करावें। अधिक परियम या राय आग- टिचर नरममिका २द रख रोगी के लिए निपि । टपकाया दुमा पानी (Distillhd water) ४ डाम। सम्पविराम सर ( Remittent fever)-यर एका मिना कर एक मात्रा। यदि रोगीको देह र पर मनेरियामेछापद होता. उपनाम गोम समसा दोष पड़े पोर रोगोको ज्याही, तो निग्न पीपधरमका पधिक प्रमा। मयिराम सरकी पेशा को व्यवस्था करें। रोगीका को परिकार महो तो हम! यह ग्यर गुरसर मम मन्द नहीं। माभारपातः पोषधको प्रति माया प्रेम कमायोगी मिना में यह दो भागाम घिमास - मामान्य (simples ) पोर ... प्रेम। अटिम ( Complicated) धिम पविराम में करिमक माधारण मचा दी, द्रमको मामाय पोर धिमः । एल्म कमन्या पाभ्यारिक पधादिको माभावि प्रपन्याहा परिषतम सेकर कठिम पोड़ा शोमो. इमको टिम पर। पक्षत मिला फर एक मात्राममोम.माग प्रति माधारणत: मलेरियासी होम प्रकार मा