पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१६५

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मुसलमान प्रतिपत्ति देखी जाती है। हैदर अलो और टोपूसुलतान | थी तथा भारतवर्षमें विशाल साम्राज्य स्थापन कर के अनेक सभासद् इसी दलके थे। हिन्दृमें जिस प्रकार अप्रतिहत प्रभावसे राज्यशासन किया था । हिन्दू- ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं उसी प्रकार ये लोग भी मुसलमान | धर्मके सजीव प्रस्रवण-भारतवर्षमें उनके धर्मध्वजकी समाजमें सम्मानित होते हैं। अपेक्षा राजदण्डको ही प्रधानता देखी जाती थी। उन्होंने सुन्नीसम्प्रदायभुक्त पठानोंके मध्य घर-महम्मदो ! हिन्दूधर्मके विराट् विग्रहको तोड़नेके लिये हजारों उपाय- नामक एक और स्वतन्त्र दल है । हिन्दुस्थानको छोड़ का अवलम्वन किया था, वाए हाथमें कुरान और दाहिने कर कावुल, कन्धार, फारस वा अरवके किसी भी स्थान हाथमें तलवार ले कर महम्मदको महिमा गाई थी, लाखों में इस दलके मुसलमान नहीं देखे जाते । फिरिस्ताके देवमन्दिरको अग्नि और तलवारसे तहस नहस कर दिया मतसे ६०० हिजरोमें इस दलकी उत्पत्ति हुई है। इन | था. हिन्दूकी पवित्र देवप्रतिमाको तोड़ फोड़ डाला था। लोगोंके साथ दूसरे दूसरे मुसलमान समाजका विशेष हजारों पालक बालिका और वनिताको बिना कारणके प्रभेद नहीं दिखाई देता । केवल शवदेहको दफनाना, वलिदान दिया था। इतना करने पर भी वे हिन्दुधर्म- नमाजके समय हाथ उठाना आदि अनेक विषयोंमें ) के विराट विग्रहको स्पर्श नहीं कर सके थे। धर्म-प्राण अन्यान्य समाजके साथ इनकी पृथकता देखी जाती है। हिन्दूने शकुण्ठित चित्तसे तेज तलवारको धारसे तथा भारतीय मुसलमान लोग पीर और पैगम्बर अर्थात् प्रज्वलित अग्निमें जोवनको न्योछावर कर दिया था। साधुसंन्यासियोंका विशेष सम्मान करते तथा उनकी | फिर भी वे सनातनधर्मका त्याग न कर सके। वासभूमि अथवा विचरण स्थानको पवित्र तीर्थ समझ चीनदेशमें भी मुसलमानधर्म वौद्धधर्मके व्यूइको भेद कर वहां जाते हैं। भारतके जिस जिस स्थानमें इनका | न कर सका था। मकवरा मौजूद है, वह स्थान मुसलमान-समाजमें पवित्र सेलजुकवंशीय तुरुष्कों तथा अटमानोंने एक तीर्थ समझा जाता है। समय पाश्चात्य खण्डमें अद्वितीय प्रभाव फैलाया था। ___ मुसलमानधर्मका विस्तार । उनका साम्राज्य ध्वंसको प्राप्त हुआ तथा १४५३ ई०में मुसलमानधर्म थोड़े ही दिनों के अन्दर संसार भर- कुस्तुनतुनिया उनके हाथ लगा । इस १५वीं सदीमें में फैल गया था । १२ वर्षके भीतर सभी अरव वासियों मुसलमान-गौरव सौभाग्यगगनके शीर्ष स्थानमें चढ़ ने मुसलमानधर्म ग्रहण किया । अरवी मुसलमानोंने गया था तथा थोड़े ही समयमें इटलो, हङ्गरो और सिरिया, पारस्य और अफ्रिकामें अर्द्धचन्द्र चिहित ध्वजा । जर्मनीमें भी उनकी तूती बोलने लगी थी। इसके बाद को उठाया था। महम्मदको मृत्युके २०० वर्ष बाद भारतवर्नमें २०० वर्ष तक मुसलमान प्रभाव अक्षुण्ण. पैगम्बरोंने उसी ध्वजाको सहायतासे.साम्राज्यको नोवं रहा। किन्तु प्रतीच्य भूभाग पर १५वीं सदीके अवसान- डाली थो तथा अटलाण्टिक महासागरके तीरवत्ती स्पेन- कालमें उनका प्रभाव ढोला पड़ गया। उनका सौभाग्य- देश तक अपना प्रभाव फैला लिया था। वहां सरसेन · सूर्ण डूबने चला। इस समय सिसली उनके हाथसे ज्ञाता वा मूरोंने ८०० वर्ष तक अप्रतिहत प्रभावसे शासन किया। रहा तथा १४६२ ई०में स्पेनवासियोंने प्रबल हो कर था। उनका जातीय चिब अद्धं चन्द्रध्वज पीछे राज उनकी हजार वर्षको सञ्चित शक्तिको चूर कर डाला । दण्डमें परिणत हुआ । ८वीं सदीसे ही मुसलमान एक समय मुसलमान लोग शिक्षा, सभ्यता, शौर्य और लोग सौभाग्यकी सीढ़ी पर चढ़ गये। उनको सेनाने वीर्यमें पृथ्वी पर अद्वितीय हो गये थे। किन्तु अभी मध्यएशियाको पार कर चीनदेश जोता तथा अफगा- | मन्दप्रभ हो कर वे.पूर्व-गौरवका अनुध्यान कर रहे हैं। मुसलमानधर्म ही मुसलमान राज्यका मेरुदण्ड निस्तान और हिन्दूकुश लांघ कर भारतकी सीमा पर आ धमकी। थोड़ी हो सदीके भीतर उन्होंने पञ्चनदके | था। मुसलमानधर्मका इतिहास ही उनके जातीय पवित्र क्षेत्रसे प्रागज्योतिष तक विजय वैजयन्ती फहराई | जीवनकी पूर्ण छवि है।