पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३२४

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भग डेढ़ हाथ ऊँचा और धने रोयोंसे ढका रहता है। ये काश्मीरका रामुं, शतद्रुतीरवती प्रदेशका ऐमु और बहुत मजबूत, काले, सफेद और टेढ़े सींगवाले होते हैं। नेपालका थर ( Nemorhaedus proclirus) काश्मीर- सफेद मेढ़े के रोयें काले भेड़ से मुलायम आर सींग भी से सिक्किम तकके हिमालय पर्वत पर ६ से १२ हजार छोटे होते हैं। प्राणितत्त्वविदोंने दोनों ही श्रेणीके | फुटकी ऊंचाई पर वास करता है। आराकन, सुमात्रा, मेढ़को Caprinae में शामिल किया है । मेढ़े को मलय प्रायद्वीप, तेनासरिम और चीन देशके पहाड़ो प्रदेश नाकोंकी हड्डी और सीग स्वभावतः ही मजबूत होते में इस श्रेणीके मेप देखे जाते हैं, किन्तु वे हिमालय है। ये आपसमें बड़े वेगसे लड़ते हैं, इससे बहुतसे | प्रदेशमें मिलनेवाले मेवसे छोटे होते हैं। निविड़वनमाला- शौकीन इन्हें लड़ाने के लिये पालते हैं। मेढ़ की लड़ाई विभूषित हिमालयके पहाड़ी प्रदेश में कठोरताको सहते वड़ी ही आश्चर्यजनक होती है। इसका मांस कड़ा होता हुए ये स्वभावतः ही मजबूत हो गये हैं। यहां तक कि है और उसके शरीरमें अधिक चरवी रहने के कारण एक | जंगलो कुत्तेसे आक्रान्त होने पर भी ये जरा भी नहीं प्रकारकी कीड़ा उत्पन्न होता है, इसीसे वहुतेरे इसका डरते। कभी कभी ये सींगसे आततायी को मार कर मांस खानेसे घृणा करते हैं। मेढ़े का कोमल मांस | यमपुर भेज देते हैं। पहाड़ी कन्दराओंमें ये स्वच्छन्द- सुखसेव्य है। यह Mutton नामसे जनसाधारणमें पूर्वक वास करते हैं। आदरणाय है। ____माघ फागुनमें ये जोड़ा खाते और आसिन कातिकमें __नर और मादा दोनोंके ही सोग होते हैं। मादाके सिर्फ एक बच्चा जनते हैं । प्राणितत्त्वविद् एडमका सींग वहुत वडे, नहीं होते। सींग चूडाकार होत कहना है, कि हिमालयके उत्तर-पश्चिम-सीमान्तवासी तथा कपालके आगेसे निकल कर पीछेकी ओर कान मादा मेढ़े वैसाख और जेठके महीने में बचा देती है। तक चले गये हैं। नाकको हड्डी वकरेसे ऊंची और ___पहाड़ी मेढे का मांस कड़ा तथा खाने लायक नहीं मजबूत होती है। दानों आँख खोपड़ीफी वगलमें कानसे होता । हिमालय पर रहनेवाले सामय, मेपजातिके थोड़ी ही दूर पर है। दोनों कान वकरेके जैसे हाते हैं।। अन्तर्भुत माने जाने पर भी ये यथार्थमें वकरे और हरिण रोयाँ बहुत मुलायम होता और ऊन कहलाता है।। श्रेणीके अन्तर्गत हैं.। मेषश्रेणी में उसकी गिनती न होनेके शीतकालमें वे सब रोए वडे, हो जाते हैं और प्रीष्म कारण यहां उसफा विषय छोड़ दिया गया। कालमें उन्हें काट लिया जाता है। सामय (Chamois) १हिमालय पर होनेवाला ताहेर नामक जङ्गली वकरा और मेरिनो (Merino) नामक पहाड़ी रोए'दार बकरेकी ( Henitragus Jemiaicus ) मेषजातिके अन्तर्भुत जातिको बहुतेरे इसी मेष श्रेणामें शामिल करते हैं। है। यह सिमलामें जेहर, नेपालमें झारल, काश्मीरमें इसके रोएं और चमडे, वहुतसे कामोंमें आते हैं। जगला, कुणवरमें भूला और खरणी आदि नामोंसे प्रसिद्ध है। मुखसे गुह्यद्वार तक इसकी लम्बाई ४ फुट ८ इञ्च और ऊचाई ३० से ४० इञ्च है। पूछ ७ रञ्च और सोग १२ इञ्च लवे होते हैं। ये पर्वतको बहुत ऊंची चोटी पर भी चढ़ सकते हैं। माघसे कातिक तक ये कहां छिप रहते हैं, किसीको मालूम नहीं। छोटा छोटा मेमना वहुत ऊंचा चढ़ नहीं सकता। ये चैत वैशास्त्र में जंगलमें रहते हैं। सङ्गम ऋतुमें ये ऐसे कामातुर हो जाते हैं कि कितनी नर मेढेको जानसे मार भी डालते .. .| हैं। दूरसे वह जगली वराहके जैसा पर नजदीक . समतलक्षेत्रका मेढ़ा। पहाड़ी मेमना। । नेसे सुन्दर दिखाई देता है। लण्डन नगरकी पशु- Vol. XVIII 8t wati . D