पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३४८

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मैया-मैवङ्ग ३४५ उपजाऊ है। मधुपुर जंगल इसके दक्षिण पड़ता है। मैरेयक ( सं० पु० क्लो०) १ मद्यभेद । २ वणसंकर ____३उक्त जिलेका एक शहर : यह अक्षा० २४ २५ | जातिभेद । उ० तथा देशा० १०.२६ पू०के मध्य अवस्थित है। मेरेयान्वु (सं० क्लो०) कालिकभेद, मेरेय शराब। क्षेत्रफल ६६० एकड़ है। यहां २ प्राचीन हिन्दूदेव मन्दिर | मैल (हिं० वि०) १ मलिन, मला । (स्त्री० ) २ गर्दै, देखनेमें आते हैं। स्कूलके अलावा शहर में दातव्य | धूल, किट्ट आदि जिसके पड़ने या जमनेसे किसी वस्तु- चिकित्सालय और म्युनिसिपल सिपाही रहते हैं। की शोभा या चमक दमक नष्ट हो जाती है, मलिन करने- मैया (हिं० स्त्री०) माता, मा। वालो वस्तु। ३ दोष, विकार । ४ फोलवानोंका एक मर (हि.पु.) १ सोनारोंको एक जाति । (स्त्री०)२ संकेत। इसका व्यवहार हाथोको चलाने में होता है। सांपके विषकी लहर। | मैलरवोरा (हिं० वि०) १मलको छिपा लेनेवाला, जिस मैरता-राजपूताना मारवाड़ प्रदेशके अन्तर्गत एक विभाग ) पर जमी हुई मैल जल्दी दिखाई न दे। (पु०) २ वह और नगर। मन्दोर सामन्तराव दूधने इस नगरको वस्त्र जो शरीरको मलसे शेष कपड़ोंकी रक्षा करनेके स्थापना की। वादमें वे ३६० गांव और नगर सम लिये अन्दर पहना जाय। ३ सावुन । ४ काठी या न्वित यह विभाग अपने पुत्र जयमल्लको दे गये। यहांके जीनके नीचे रखा जानेवाला नमदा। राठोरगण मैरता नामले प्रसिद्ध हैं। मारवाड़ इतिहास- मैलन्द (सं० पु०) भ्रमर, भौंरा। में इनकी वीरत्व-काहिनी दी गई है। यहां वहुतसे मन्दिर मैला (सं० स्त्री० ) नीलीवृक्ष । आदिके निदर्शन हैं । मारवाड़ देखो। मला (हिं० पु० ) १ गलीज, विष्ठा । २ कूड़ा कर्कट । मैरव (सं० पु० ) मेरुसम्बन्धोय । ३ मैल देखो। (वि०) ४ जिस पर मल जमी हो, जिस मैरवाड़-मारवाड़ प्रदेशका नामान्तर। मारवाड़ देखो। पर गर्द, धूल या कोट ओदि हो । ५विकार-युक्त, मैरा (हिं. पु०) खेतों में वह छाया हुआ मचान जिस दूषित । ६ गदा, दुर्गन्धयुक्त। पर बैठ कर किसान लोग अपने खेतोंकी रक्षा करते हैं। सैलाबैला (हि० वि०)१ जो बहुत मैले कपड़े आदि मैरावण ( सं० पु० ) असुरभेद, महीरावण। मरेय (सं० क्ली० ) मारं काम जनयतीति मार-ढक् ।। पहने हुए हो। २ वहुत मैला, गंदा । निपातनात् साधुः। १ मदिरा, शराव । २गुड़ और | मला | मैलापन ( हिं० पु० ) मला होनेका भाव, गंदापन । धौके फूलकी बनी हुई एक प्रकारको प्राचीन कालको | मैलापुर-मद्रास नगरके उपकण्ठस्थ एक गण्डग्राम । मदिरा। सुध तके मतसे इसका गुण तीक्ष्ण, कपाय, खुटान साधु सेण्ट थोमी ( St Thome ) के नाम पर मादक, अश, कफ, और गुल्मनाशक, कृमि, मेद और इसका नाम सेण्ट थोमी पड़ा। आज वह मद्रासके वायुका शान्तिकर तथा गुरुपाक माना गया है। सीमाभुक्त है । किसी किसीके मतसे यही प्राचीन ३ सुरा और आसव प्रस्तुत कर इन दोनों प्रकारको मणिपुर है। मदिराको एक बरतनमें एकत्र कर उसमे, थोड़ा मधु मैलावरम-मद्रासप्रदेशके कृष्णा जिलेका वेजवाडा तालुक- मिलानेसे जो तैयार होता है उसे मरेय कहते हैं । मद्य | के अन्तर्गत एक भूसम्पत्ति और नगर ! शब्दका पर्याय मेरेय है। सुतरां मद्य मात्रको ही मैरेय | मैवङ्ग-आसामप्रदेशके उत्तर कछाड़ विभागके अन्तर्गत कहा जाता है। मेरेय शब्द साधारणतः क्लोवलिंगमें , एक नगर। वराहल शैलश्रेणोके दो शिखरोंके मध्य व्यवहृत होता है। कहो कहों पुंलिङ्ग भी होता है। यह अवस्थित है। २७वीं सदीमें कछाड़ी राजोंने "तीक्ष्णः कषायो मदकृत दुर्गम कफगुल्महत। | हिन्दूसंस्रवके प्रभावसे स्पर्द्धित हो यहां राजधानी बसाई - कृमिमेदोऽनिलहरों मेरेयो मधुरो गुरु ।" थी। पोछे इस देशको राजशक्तिके अवसान होने पर (सुश्रुत सूत्रस्था० ४५ अ.) , मैचङ्ग नगर अवनतिको चरमसीमा तक पहुंच गया । Vol. XVI1187