पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३९२

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मोरछल-मोरा मोरछल (हिं० पु०) मोरकी पूछके परोंको इकट्ठा बांध कर | मोरपंखी (हि. स्त्री० ) १ वह नाव जिसका एक सिरा . बनाया हुआ लम्बा चवर। यह प्रायः देवताओं और मोरके परकी तरह वना सौर रंगा हुआ हो। २मल- . राजाओं आदिके मस्तकके पास डुलाया जाता है। खंभकी एक कसरत। यह बहुत फुरतीसे की जाती है मोरछली (हिं० ००) १ मौलसिरी देखो । २ मोरछल हिलाने और इसमें पैरोंको पोछेको ओरसे ऊपर उठा कर मोरके वाला। पंखीकी-सी आकृति बनाई जाती है। (पु०) ३ एक मोरछांह (हिं० पु०) मोरछल देखो । प्रकारका बहुत सुन्दर, गहरा और चमकीला नीला रंग मोरजुटना (हिं० पु०) एक प्रकारका आभूषण जो सोनेका | जो मोरके परसे मिलता जुलता है। (वि०) ४ मारके वनता और रत्नजड़ित होता है। इसके बीचका भाग पंखके रंगका, गहरा चमकोला नीला। गोल देके समान होता है और दोनों ओर भार वने | मोरपखा (हिं. पु०) १ मोरका पर, भोरपंख। २ मार- रहते हैं। यह देके स्थान पर माथे पर पहना जाता है। पंखकी कलगी जो प्रायः श्रीकृष्णजी मुकुट या चीरेमें मोरट (सं० क्लो०) मुर् वेटने (शकादिभ्योऽरन् । उण ४८१)| खोंसा करते थे। इति अटन् । १ क्षमूल, ऊखकी जड़ । २ अङ्कोल पुष्प, मोरपाँव ( हिO ) जंगी जहाजों के बावचीखानेकी मेज कोलका फूल। ३ प्रसवसे सातवीं रातके वादका पर खड़ा जड़ा हुआ लोहेका छड़ जिसमें मांसके बड़ दूध । ४ एक प्रकारकी लता। इसका दूसरा नाम क्षीर- बडे टकडे लटकाए रहते हैं। मोरटा भी है। संस्कृत पर्याय-कर्णपुष्प, पोलुपत्र, मोरमुकुट (हि० पु०) मारके पंखोंका दना हुआ मुकुट मधुस्रव, धनमूल, दीर्घमूल, पुरुष, क्षीरमोरट । वैद्यकमें| जो प्रायः श्रीकृष्णजी पहना करते थे। इसे मधुर, कषाय, पित्त, दाह और ज्वरनाशक, वृष्य मोरलर--वम्बई प्रदेशके काठियावाड़ विभागके वरदा तथा वलवद्धक माना है। ( राजनि०) पवतमाला पूर्वदिग्वत्तीं एक नगर और दुर्ग। १८६० मोरटक (सं० क्लो० ) मारट-स्वार्थे कन् । १ मोरट देखो।। वाधरकी चढ़ाई के समय यहाँका सब सिंह भाग गया। २ खदिरभेद, सफेद खैर। उसके पहले यहां सिंहका वड़ा भारी उपद्रव था। मोरटा (सं० स्रो०) मोरट टाप् । दूर्वा, दूव। मोरध्वज (हिं. पु०) एक पौराणिक राजाका नाम। | मोरवा ( हि० पु० ) १ मोर देखो। २ वह रस्सी जो नाव- की किलवारीमें बांधी जाती है और जिससे पतवारका विशेष विवरण मयुरध्वज शब्दमें देखो। | काम लेते हैं। मोरन ( हिं० स्त्री० ) १ मोड़नेकी क्रिया या भाव। २ विलाया हुआ दही जिसमें मिठाई या कुछ सुगंधित | मोरशिखा (हिं० स्त्रो०) एक जड़ी। इसको पत्तियां ठीक वस्तुएं डाली गई हों। इसे शिखरन भी कहते हैं। मोरको कलगीके आकारको होती हैं। यह जड़ी बहुधा मोरना (हिं० कि०) १ मोड़ना देखो। २दहीको मथ कर | पुरानी दीवारों पर उगती है। इसकी सूखी पत्तियों पर मक्खन निकालना। पानी छिड़क देनेसे वे पत्तियां फिर तुरन्त हरी हो जाती मोरनी (हि० स्त्री०) १ मोर पक्षीको मादा। २ मोरके हैं। वैद्यकमें इसे पित्त, कफ, अतिसार और वालप्रह आकारका अथवा और किसी प्रकारका एक छोटा दोष-निवारिणां माना गया है। टिकहा जो नथमें पिरोया जाता है और प्रायः होठोंके मोरसी-बेरारराज्यके अमरावतो जिलान्तर्गत एक नगर। ऊपर लटकता रहता है। | यह अक्षा० २२२० उ० तथा देशा० ७८४ पू०के मध्य मोरपंख ( हिं० पु०) मोरका पर। यह देखने में बहुत नको नदीके किनारे अवस्थित है। सुन्दर होता है और इसका व्यवहार अनेक अवसरों पर मोरा (हिं० पु० ) अकीक नामक रत्नका एक भेद । यह प्रायः शोभा या श्रृंगार के लिये अथवा कभी कभी औषध प्रायः दक्षिण भारतमें होता है और इसे 'वाधिोड़ी भी रूपमें भी होता है। . . कहते हैं। Val, xvil 98