पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५११

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५०८ यन्त्र करनेसे पल समय असुमें रूपान्तरित होगा। खल्पत्वके : पलकर्ण जोड़ दो। इसके बाद उस योगफलको दश कारण इसकी भी ज्या इसी तरह होगी। किन्तु यदि गुणा कर उसमें चारका भाग दो। ऐसा होनेसे जो त्रिज्या ध्यासाई की इस तरह चरल्या हो, तो ३० ध्यासा• भागफल होगा, उसे अंगुलात्मिका यष्टि समझ लो। 'ईकी चरज्या कितनी होगी। यह यन्त सुपिरसे पट्टिकामें लगा दो। इस तरह - व्यासाद्ध ३४३८ की कल्पना कर लेने पर चरज्या रन्ध्रसे आरम्भ कर यनपरिमित उगल गणना कर निणीत हो सकती है। इसको ३० उगलमें व्यासाई पट्टिका पर चिह्नाङ्कित करो। . का समानुपात करनेसे यह संख्या किस तरह परि इस समय इस फलकयन्सको इस तरहसे धारण . वर्तित होगी, उसका विवरण नीचे बहुराशियोंमें दिया करो, जिससे उसके दोनों ओर एक समयमै सूर्णका तेज गया है। या किरण पड़े । ऐसा होनेसे यह मालूम होगा, कि यह . ३४३८; १०४६-६०::३० उगल यन्त्र ठोक दूड मण्डलकी समरेधा पर अवस्थित है। उस ६०४३०. यत्रके किनारे अङ्कित सूर्याभिमुख नेमिको टूङ मएडल सदृश समझना। इस तरह अवलम्यमान यंत्रको यन्त्रोक्त १ राशिको बर संख्या है, किन्तु १० को सुपिरमें जो अक्ष रहता है उसकी छाया वृत्तपरिधिके ६४३० या १८०से गुणा और ३४३८से भाग न दे कर जिस अंश पर पड़ती है, वही स्थान सूर्याका स्थान ..भास्कराचार्य १८०को ३४३८ संख्याका १ अंशको समान होनेकी कल्पना की जाती है। इसके बाद अक्षपोत पट्टो ३४३८ ले एक ही बार शुभरी प्रथासे १६से हरण करनेको कहा पर रविचिह्न स्थापित करना । पट्टीको पहलेकी तरह । पकड़नेसे सूर्यके उत्तर गोलमें या दक्षिण गोलमें अव- निरक्षदेशके ४, ११, १७, १८, १३,५इस खण्डकोंके । स्थानक्रमसे यष्टिरेखा यंत्रके ऊपर या नीचे गिरंगो। • प्रत्येकको पलकर्ण ( अक्षकर्ण ) द्वारा गुणा कर १२ से। फलकमें कितने उंगल चरज्या प्रतिलित होगी, उसको भाग देनेसे खदेशके खण्डक स्थान (Portion at agi. | गणना कर उसी स्थान पर दाग देना होगा। विहस्थान- • ven place ) निरूपित होंगे। इनके प्रत्येक यथाक्रम में ज्या रेखा वृत्तका जहां संयोग होगा, उससे निचले राश्यांशको भुजाका १५० परिमाण होगा। इसके बाद वृत्तमें लम्ब रेखा तक जितनो घटिकाय होंगो, वही उस उस खण्डकसे अयनांश गति ( Preession of the equ- समयका नवांश समझना। वह रविचिह्न यदि दोनों inoxes ) से सूर्य के यथार्थ राश्यांश ( True long- रेखाऑमें रहे, तो वहां उसके अनुयायी दूसरी रेखाकी · tude to the Sun's place) स्थिर फर भुजज्या कल्पना कल्पना कर नाडी (Ghatis to or alter midday) • करो। उक्त भुजज्याको ६० से भाग दे उस भागफलमें अवधारण करना। उंगल परिमित यष्टिका अप्रविन्दुसे सावधानता पूर्वक य में उत्तर अथवा दक्षिण वृत्त गाल- 2. वर्तमान अङ्ग्रेजी प्रथासे इस अङ्कका अनुपात करने में (सूर्य उत्तरायणमें या दक्षिणायनमें रहनेसे उसीके पर निम्नोक्त नियमसे यह संशोधित करना होगा:- अनुसार ऊपर या नोचेकी भोर समान्तर रेखापात करना 1f cosine of lat: sine of lat) :: Phat will होगा) लम्वरेखाकी समान्तर रेखामे लब्ध चरज्या orn 12 : Palabha Ssine of decli- Usine of ascesional diefference) फैला दी। इन चिट्ठस्थानोंके जिस जगह ज्या और इस तरहकी फैली sign or 2 or 3 sign,give. | हुई चरज्या मिल कर वृत्तके स्वल्पांश माल काटती गई

Kujya of 1,

__2 or 3 signs | है, उस वृत्तांशका दूरत्व हो मध्य दिनको भग्नवत्तों या

2::1: cosine of declination : this result :: परवी घटिका समझी जाती है।

what vill radius: sinc ot ascensional difference in Kalas १ धोयन्त (Genius instrument)-पष्टियान्तके R ecsine of Jat Kalabha ation of a