पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५५६

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यवनः ५५३ जो कुछ चाको बचा था, तुर्क जातिके शासन (सन् १२वीं तक राज्य भोग कर नहीं सका। उसकी मृत्यके बाद और १३ वीं शताब्दीके ) कालमें समाप्त हो गया, उस निकोलिसके पुत्र अमिन्तस राजा हुआ। इस समयके समयसे एक मात्र स्मिर्णा नगरी ही पशिया-माइनरका राज्याधिकार पर पाश्चात्य ऐतिहासिकों में बहुत मतभेद वाणिज्यगौरव अक्षुण्ण रखती आ रही है। दिखाई देता है। आरियान कहते हैं, कि अपिटपिटर द्वारा इतिहासके प्रत्येक पाठक जानते हैं, कि माफिदनवीर | साइप्रेस द्वीपके अन्तर्गत सोलिनिवासी प्यासानोर सिकन्दरने अपनी दिग्विजयी वाहिनियोंको ले कर एक वाहिक और सगदियानाका शासनकर्ता नियुक्त हुआ था। दिन मध्य एशियाके चीन सीमान्त तक जीत लिया था। दिशोदोरस और डेक्सिपासने इस टासानोरको भारिया पारस्यराज दरायुसने कोमन्सको जीतनेके लिये एक वार और द्रागिन्यानोका नरपति होना लिस्खा है। उनके मतसे उसने अपनी विपुल सैन्यवाहिनियोको ले पूर्व और की इसका दूसरा नाम फिलिप है। आरिवनके मतसे यह यात्रा की। उसने हेलोस्पएट प्रणालीको पार कर प्रानि- फिलिप पारस्यदेशका राजा था। जाप्टिन और ओरो- कसके युद्ध में पारसिक सैन्यको हराया। इससे छुट्टी पा सियसने इस अमिन्तसको ही प्राचीन वक्रियानाका कर उसने साडिस, यिसिउस, मिलेतास, हेलिकर्णसस शासनकतो होना लिखा है। आदि नगरोंको जीत लिया। आर्वेला युद्धके अन्तमें (ईसा _____जो हो, सिकन्दरके परलोकगमन करने पर प्राच्य के ३३० वर्ष पहले ) उसने क्रमले वाविलन, सुसा, पासिं- योन-साम्राज्यके लिये सिकन्दरकी फौजोंमें जो घोर थोलिस और समग्र पारस्यराज्य पर अधिकार कर लिया। विरोध फैला था, उससे वाहिकराज अधिक दिन तक और वह पीछे अक्सस और हिन्दुकुश पर्वतके वीच वाहः सिंहासन पर स्थिर न रह सका। इसका कुछ विशेष लिक राज्यको जीत कावुलको पार कर सिन्धुके किनारे विवरण नहीं मिलता, कि ये राजे नाममात्रके राजा थे आ पहुंचा। इसके बाद पञ्जावको पार कर पुरुराजके साथ या यथार्थ में राज्यकार्य सम्पन्न करते थे। उसने युद्ध किया। महावीर सिकन्दर भारतसम्राट सैल्युकस भारतमें आ कर चन्द्रगुप्तके मैत्री-पाशमें (प्रियदशी) अशोकके समकालीन हुआ था। | बंध गये थे। सुनते हैं, कि सैल्युकसने अपनी पुत्रीको (सिकन्दर प्रियदर्शी और वालिक देखो) | अशोकके हाथ समर्पण कर आत्मीयता स्थापित की थी। . सिकन्दरने अपने वाविलन राज्यका भार अपने प्रधान शिलालिपिसे मालूम होता है, कि अशोक या चन्द्रगुप्तने सेनापति इतिहासप्रसिद्ध सेल्युकसको सौंप दिया था। आत्मीयता प्रकट करनेके लिये अपने साले अर्थात् सेल्युः माकिदन वीरकी मृत्युके वाद मध्य एशियामें जिस योन कसके पुल “यवनराज तुपास्पके को सुराष्ट्रका शासन- राजवंशकी प्रतिष्ठा हुई थी, सैल्युकसके नाम पर Seles कर्ता बनाया था। इस तरह सैल्युकसने चैदेशिक cidae नामसे विख्यात हुआ। ईसासे पूर्व ३१२ वर्गमें | नृपतिको सहायतासे वाहिकराजको वशमें किया था। सैल्युकसके वाविलन राजसिंहासन पर बैठने के वादसे | इसके बाद वह अन्यान्य योनप्रतिद्वन्द्रियों रणक्षेत्रमें ईसासे ६५ वर्ण पहले तक पम्पिका सीरियके विजय तक यह पराजित कर वाविलन लौट गया। इस समय वह एशिया योनवंश एशिया में अपना प्रभुत्व विस्तार पारनेमें समर्श और वाहिकके एकमात्र राजा हुआ था। इसी समय हुआ था। ईसासे ३१२ वर्ष पूर्ण सेल्युकसने भारतकी] वाहिकराज्यमें और वुखारेमें सैल्युकसका सिक्का फैला यात्रा की थी। उसने बाविलनको जीत कर वहांका हुआ था। राजपद प्राप्त किया था। ईसाक २८० वर्ष पहले उसकी सलौकीवंशीय तृतीय सम्राट अन्तिभोकके साथ मृत्यु हो गई। तुरमयने समरसुयोगका लक्ष्य कर दूर देशवासी योन- सिकन्दरने वाह लिक जा कर अपने पारस्य देशके शासकोंने राजकि विसर्जित कर अपने अपने प्रदेशको श्वशुर अर्शवाजको उस प्रदेशका शासनकर्ता नियुक्त खाधीनताकी घोषणा कर दी। इस समय वाहिकके किया था। वृद्ध अर्शवाज वाक्य-वंश अधिक दिनों शासनकर्त्ता देवदत्तने ईसासे २६५ वर्ष पहले विद्रोही Vol. xVIII, 139