पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६

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मुण्डाख्या--सुतफन अनाज संग्रह करनेके समय किया जाता है। इस समय , मुण्डिन् (स' पु० ) मुण्डयति केशान् वपति इति मुण्डं- ५ मुर्गेको वलि और विविध पुष्पफूल द्वारा प्रामदेवताकी| णिनि । १ नापित, हजाम । २ योगाचार्यविशेष । पूजाको जाती है। सिंहभूमके हो-लोग इस उत्सवके। महाकालश्च शूला च दण्डी मुण्डी स एव च । समय मद्यपान तथा नाना प्रकारके व्यभिचार करते हैं।। अष्टाविंशतिसंख्याता योगाचार्या युगक्रमात् ॥" ____ इन लोगोंके मृत व्यक्तिका संस्कार विलकुल हो- (शिवपु० वायु० १०१५) जातिके जैसा है। हो शब्द देखो। (त्रि०) ३ मुण्डित, जिसका सिर मुड़ा हुआ हो। मुण्डाख्या (सं० स्त्री०) मुण्डे त्याख्या यस्याः। महा "दिनेऽष्टमे तु विप्रेण दीक्षितोऽहं यथाविधि । श्रावणिका, गोरखमुडी। दन्ती मुगडी कुशी चीरी धृताक्तो मेखलीकृतः ॥" मुण्डायस (सं० श्लो०) मुण्डञ्च नत् अयश्चेति मुण्ड-अयस . (भारत १३॥१४॥३१४) अनोरमायः सरसां जातिसंशयोः । पा ॥४॥६४) इति टच । मुण्डिनी (सस्त्री० ) कस्तूरी मृग । लौह, लोहा। मुण्डिभ (स० पु०) एक प्राचीन ऋपि जो वाजसनेय- मुण्डार ( स० क्ली) एक नगरका नाम । यहां सूर्यको | संहिताके कई मंत्रोंके द्रष्टा या कर्ता कहे जाते हैं। उपासना प्रचलित थी। (शतपथवा० १२३५) मुण्डालनाम-आसाम प्रदेशका एक गांव। यह राजा मुण्डिया-सिवनीवासी स्वर्णाहरणकारी एक पहाड़ी कान्तिचन्द्र द्वारा स्थापित हुआ है। | जाति। मुण्डाली-यशोर जिलेमें चांचडेके पासका एक गण्डग्राम । मुण्डी (सं० स्त्री० ) मुण्डितिका, गोरखमुंडी। यह मुंडालो नामसे विख्यात है। मुण्डासन (सं० क्ली० ) योगके अनुसार एक प्रकारका मुण्डोरिका (स० स्त्री० ) मुण्डि वाहुलकात् ईरच स्त्रियां- आसन। | ङोप खार्थे कन् स्त्रिया टाप् (केऽणः । पा ४१३) इति मुण्डावर-मान्द्राज-प्रदेशके अमलय शैलवासी आदिम | पूर्नस्य हखः। मुण्डितिका, गोरखमुंडी। असभ्य जातिविशेष। ये लोग जनसाधारणमें अपना | मुण्डीवृक्षानुकारक (सं० पु० ) मुचुकुन्द वृक्ष, मुचकुदको मुख दिखाना नहीं चाहते । निरन्तर पर्वतके वनान्त- | पैड। राल प्रदेशमें ये एक जगहसे दूसरी जगह जा कर छिपे मुण्डेश्वर तीर्थ (सं० क्ली०) तीर्थभेद, दण्डिमुण्डीश्वर रूपमें रहते हैं। इनके कोई निर्दिष्ट घर नहीं हैं। ये| तीर्थ । पेड़के पत्तेकी झोपडी वना कर एक वर्ष तक उसमें रहते | मुत् (सं० स्त्री० ) वृद्धग्रौषधि । हैं। बाद उसके अपनी अपनी गौओंको ले कर वहांसे | मुत्ल (सं० पु०) राजतरंगिणीके अनुसार एक सामंत- चल देते हैं। का नाम। मुण्डाहीर (मुण्डाहार ) उत्तर-पश्चिम भारतवासी एक मुत्कलिन् (सं० पु०) देवपुत्रभेद । जाति। मुतअल्लिक (अ० वि०) १ सम्बन्ध रखनेवाला, लगाव मुण्डित (सं० क्ली० ) मुण्ड्यते पण्ड्यते इति मुड़ि रखनेवाला। २ सम्मिलित, मिला हुआ। (क्रि० वि०) लण्डने कर्मणि क । १ लौह, लोहा । (नि०) २ वापित- ३ सम्बन्धमे, विषयमें। तुण्ड, मुड़ा हुआ। मुण्डितिका (सं० स्त्री० ) मुण्डित स्वार्थ कन्, स्त्रियां टाप | मुतका (हिं० पु० ) १ कोठेके छज्जे या चौकके अपर अत इन्छ । वृक्षविशेष, गोरखमुडी, । पर्याय-अलम्बुषा, | पाटनके किनारे खड़ी को हुई पटिया या नोचो दीदार जो श्रावणी, पलङ्कपा, कदम्वपुष्पा, श्रवणा, भूतघ्नी, कुन्तला, गिरनेसे रोकनेके लिये हो। २ खंभा।३ मोनार, लाट । अरुणा । इसका गुण-कटु, उष्णवीर्य, मधुर, लघु, मेध्य | मुतदायरा (अ० वि० ) जो दायर किया गया हो। स्लीपद, अरुचि, अपस्मार और प्लीहादिरोगनाशक । | मुतफन्नी (अ० वि०, बहुत बड़ा धून, धोखेवाज