पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६८३

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। ईसाजन्मके पहलेसे रोमक, वर्वर, हूण और कार्थः। विशेषता यह है, कि इन मङ्गलादि पञ्चग्रहोंको परस्पर -जियोंके युद्ध में अक्षय ख्यातिका इतिहास लिपिवद्ध है। मिलन युद्ध नामसे, चन्द्रमाके साथ मिलन समागम कार्थेजोय हानिवल एक अद्वितीय वीर थे। प्रोककवि | नामसे और सूर्य के साथ मिलन अस्त नामसे प्रसिदध होमरके प्रथमें युलिसिस आदि महादोरोंका उल्लेख है। वृहत्संहितामे इस प्रहयुद्धका विषय इस प्रकार देखनेमें आता है। जरक्षेश और दरायुस आदि पारस्य लिखा है। राज माकिदनपनि अलेकसन्दरको युद्धकहानो जगत्में __ "वियति चरतां ग्रहाणामुपर्युपर्यात्मार्ग संस्थिनां । अतुलनीय है। मुगलपति चेङ्गिश खाँके देशविध्वंसो । अतिदूराङ्ग विषये समताम्बि सम्प्रयातानाम् ॥ पराक्रमको वात किसीसे छिपी नहीं है। आसन्न क्रमयोगाभेदोल्लेखां शुमई नासव्यः । १८वों सदीमें जव भारतवर्ष में अगरेज, फरासी, । युद्ध चतुष्प्रकारं पराशराय मुनिभिस्तं ॥" मुसलमान आदि छोटो छोटो लड़ाइयों में लिप्त रह कर (वृहत्सं० १७२-३) अपनो अपनी गोटा जमाने में तुले हुए थे, उसी समय यूरोपके विख्यात वीर नेपोलियन ( वोनापार्ट ) का प्रादु- उपयुपरि भावमें आत्ममार्गसंस्थित ग्रहों के बहुत दूरसे दर्शनविषयमें जो समता है, उसे ग्रहयुद्ध कहते हैं। र्भाव हुआ। नेपोलियन युद्धविद्याके अनेक संस्कार कर पराशरादि मुनियोंने इस ग्रहयु दुधको भेद, उल्लेख, गये हैं। उन सव युद्धोंमें कमान, वन्दूक, तलवार और । अंशुमर्दन और अपसवा इन चार भागोंमें विभक्त वछे आदिका वावहार होता था। १क्ष्यों सदीके ट्रांसः । किया है। भाल युद्धमे 'लड्टम' नामक विख्यात कमान तैयार । पहुई। इसके पहले जर्मनोके प्रसिद्ध धातुविद् सामुः। ग्रहोंके भेदगें युद्ध होनेसे अनावृष्टि, सुहृद और पल मैक्सिम 'Maximgun' नामक मशहूर कमानको । कुलोनोंका मतमेद होता है। उल्लेखमें शास्त्रमय, मंत्रि- सृष्टि की थी। इस कमानकी सहायतासे घंटेमे २ या विरोध और दुर्भिक्ष, अंशुमर्दनमें राजाओंके युद्ध और .३ सौ गोले दागे जाते थे। अंगरेजराजने टोरा तथा रोग तथा अपसव्यमें राजाओंके समर उपस्थित तिब्बतको चढ़ाई में इस 'मैक्सिम गन'को धोरे धोरे काम, का होता है। में लाया था। ___सूर्या मध्याह्नमें आक्रन्द, पूर्वाहमें पौर और अपराहमें . १९०४ ई०के रूस जापान युद्धमे वैज्ञानिक , अस्त्र | यामी है। ( आक्रन्द, पौर और यामी यह ग्रहोंकी एक 'शस्त्रादिका वावहार होता था, ऐसा भयावह युद्ध | प्रकारकी गति है।) बुध, गुरु और शनि ये सर्वदा पौर संसारमें और कहीं नहीं हुआ है। नेपालिक्नका अष्ट्रा हैं, चन्द्रमा नित्य आक्रन्द है, केतु, कुज, राहु और

लिटज समर और अंगरेज नौसेनापति नेलसनका ट्राफ शुक ये यायो हैं अर्थात् प्रहगण इसी प्रकार गतिविशिष्ट

लगार रण वत्तैमान इतिहासमें उल्लेखनीय घटना है। भारतमें गजनोपति महमूद, महम्मद-धोरो, वावरशाह, ___जो ग्रह दक्षिणदिकस्थ रुक्ष, कम्पित और अप्राप्त नादिरशाह आदिके आक्रमणकालमें कितनी बार लड़ा हो सम्यकपसे निवृत अर्थात् वक्री छोटे छोटे अन्य इयां हुई थों पर उनमें दोनों पक्षका वलावल समान न ग्रहोंसे आच्छादित, निष्प्रभ और विवर्ण दिखाई देते हैं वे था। उस समय भारतीय राजाओंमें भी राज्यको ले | पराजित होते हैं। इसका विपरीत लक्षण दिखाई देनेसे कर वेशमार रणकोड़ा हो गई हैं। उन सव रणों से | ग्रह जयी कहलाता है। किन्तु विपुलमण्डल स्निग्ध और अंगरेजी जमानेमें भारतीयके स्वाधीनताप्रयास उपलक्षमें | छु तिमान् हो कर दक्षिणदिगवत्ती होनेसे भो उसे जयी महाराष्ट्रसमर और सिपाहोविद्रोह भी सामान्य रण- कहते हैं। ये सब लक्षण केवल शुक्रके पक्षमें जानने होंगे। शलका परिचायक, नहीं था। वैज्ञानिक युद्ध देखो। | क्योंकि शुक्रको छोड़ कर और कोई भी ग्रह जयो हो कर ३ ग्रहोंके परस्पर मिलनको युद्ध कहते हैं । इसमें / दक्षिणदिक्वत्तों नहीं होता। फिर यह भी जानना उचित