पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६८४

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युद्धक-युधाजित ६१ है, कि शुक्र चाहे दक्षिणमें रहे चाहे उत्तरमें प्रायः यु दुधौ | युद्धवस्तु (० क्ली०) यु धार्थं वस्तु। युद्धोपकरण, जयी होता है। युद्धकी वस्तु। "उदकस्यो दक्षियस्थो वा भार्गवः प्रायशो जयो।" युद्धविद्या ( स०नि०) युद्धस्य विद्या | लड़ाईकी (सूर्य सि० )| विद्या। प्रहयुद्धकालमें दो ग्रह यदि रश्मियुक्त, विपुलमण्डल | युद्धवीर (स'० पु०) यः वीरः। रणनिपुण, रण- और स्निग्ध हों, तो उसे अन्यान्यप्रीति कहते हैं। ऐसा कुशल। होनेसे पृथिवी पर राजाओंके युद्धकालमें समता युद्धशालिन् (सं० त्रि०) युद्धध-शाल-णिनि । १ योधपुरुष, होती है। योद्धा । २ साहसी। ग्रहोंके इस प्रकार नक्षत्रादिके साथ भी समर हुआ युद्धसार (सं० पु०) युद्धस्य सारः। घोटक, घोड़ा। करता है। ग्रह और नक्षत्रगण जिन सव देशों और युद्धस्थल (सं० क्लो०) युद्धस्य स्थलं । युद्धभूमि, लड़ाई- द्रवादिके अधिपति शास्त्रोंमें कहे गये हैं, जो जो ग्रह वा का मैदान। नक्षत्र जव पराजित होते हैं, तव उन सब द्रवों वा उन युद्धाचार्य (सं० पु०) युद्धस्य आचार्य । रणशिक्षादाता, सव देशोंका अनिष्ट हुआ करता है। जो ग्रह जयी होते | वह जो दूसरोंको युद्ध-विद्याकी शिक्षा देता हो। ब्राह्मण हैं, उसके अधीन द्रवा और देशका शुभ होता है। युद्धाचार्य हानेसे निन्दित समझ जाते हैं। (वृहत्सं० १७ अ०) युद्धाजि (सं० पु०) गिराके गोत्रमें उत्पन्न एक ऋषिका युद्धक (सं० क्लो०) युधमेव स्वार्थ-क । युद्ध, नाम । संग्राम । युद्धावन (सं० पु०) युद्धस्य अध्वा । १ लड़ाई में युद्धकारिन् (सं० निक) युद्धं करोति-क-णिनि । युद्ध जाना । २ युद्धपथ, लड़ाईका रास्ता। कर्ता, लड़ाई करनेवाला। । युद्धावसान (सं० क्ली०) य दुधस्य अवसानं। युद्धका युद्धकीर्ति (सं० पु०) शंकराचार्यके एक शिष्यका नाम । | शेष। युद्धपुरी ( सं० स्त्री०) एक नगरका नाम । युद्धिन (सं० त्रि०) युद्धमस्यास्तीति (क्लादिभ्यो मतु- युद्धप्राप्त (सं० पु०) वह पुरुष जो संग्राममें पकड़ा गया | वन्यतरस्यां । पा ५।२।१३६ ) इति पक्षे इनि। युद्ध- हो। यह दासके बारह भेदोंमेंसे एक है और ध्वजाहत/ विशिष्ट, योद्धा। • भी कहलाता है। युद्धोन्मत्त (सं० त्रि०) युद्धे उन्मत्तः । १ युद्धमें लीन, युद्धभू (सं० स्त्री०) युद्धस्य भूः वा य दुधोपयुक्ता-भूः। लड़ोका। २ जो युद्धके लिये उतावला हो रहा हो। युद्धकी भूमि, वह जगह जो लड़ाईके उपयुक्त हो। (पु.)३ रामायणके अनुसार एक राक्षसका नाम । युद्धमय (सं० त्रि०) युद्ध-खरूपे मयट । १ युद्धस्वरूप। इसका दूसरा नाम महोदर था। यह रावणका भाई २ रण सम्वन्धी । ३ रणप्रिय। था और इसे नोल नामक वानरने मारा था । युद्धमुष्टि ( स० पु०) उग्रसेनके एक पुत्रका नाम । युद्धोपकरण (सं० क्ली०) युद्धस्य उपकरणं। यू दुध- . युद्धमेदिनी (सं० स्त्री०) युद्धोपयु का मेदिनी, रणभूमि।। का उपकरण, अस्त्रशस्त्रादि जिससे यु दुध किया जाय। ___(रामायण ६।१६।१६) | युद्धभू (सं० स्त्री०) रणभूमि, लड़ाईका मैदान ।। युद्धरङ्ग (सं० पु०) युधे रङ्गो रागो यस्य । १ कात्तिकेय, युध (सं० स्त्री०) योधनमिति युध्-क्विप् । युद्ध, संग्राम । स्कन्द । २ युद्धस्थल, लड़ाईका मैदान । युधांश्रौष्टि (सं० पु०) एक ऋषि। (ऐतरेयत्रा० ८।२१) युद्धवत् ( सं० वि०) यु दुधं विद्यतेऽस्य युद्ध (वलादिभ्यो- युधाजि (सपु०) गिराका वंशधर । मतुवन्यतरस्यां। पा ५२।१३६) इति मतुप मस्य वारण-युधाजित् (सं० पु.) १ केकवरोजके पुत्रका नाम। यह विशिष्ट, योद्धा। भरतका मामा था। २ क्रोष्टु नामक राजाके पुत्रका. Vol. XVIII, 171