पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३

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हिन्दी : विश्वकोष -- - . . .. . . . . ! एकविंश भाग . वसुम (सं० क्लो० ) धनिष्ठा नक्षत्र । ( स०१०१६ ) | वसुमित्र- एक चौद्ध आचाय। ये महायानं शाखाके वसुभरित ( स० वि०) धनपूर्ण ।' . अन्तर्गत धैभाषिक सम्प्रदायके थे। इनका निवास वसुमाग एक प्राचीन कवि ::.... काश्मीरके पश्चिम अश्मापरान्त देश कहां गया है। पसभूत ( पु.) एक गन्धर्वको नाम । .. | वसुमित्र-शुगमित्रवंशीय एक अति प्रबल पराकान्त राजा यसुभूति (सं० पु.) १ एक वैश्यको नाम । ( मनुः २२३२ | कालिदासके मालविकाग्निमित्र नाटकसे जाना जाता है, टीकामें कुटलूक.) २ एक ब्राह्मणका नाम : ... ..] कि पे सुप्रसिद्ध वैदिकमार्गप्रवर्तक संथा भयमेधयज्ञ-

::...(कथासरित्सा० .०३।२०६)। कारी अग्निमित्र के पात्र थे। ये ही यह अध्यको रक्षाके

वसुभृद्यान (सं० पु०) १ सप्तर्षिके मध्य एक ऋषि । २ | लिये नियुक्त किये गये थे। इन्होंने सिन्धुनदके तीर पसिष्टके एक पुत्रका नाम 1. Ati ..| यवनोंको पराजित करके जयश्री प्राप्त की थी। इनकी यसुमत् (सं० लि०) धनयुक्त, अर्थवान् । .::'. । ही वीरतासे पाटलिपुत्रमें अश्वमेधयज्ञे सुसम्पन्न हुआ घसमतो (० स्त्रो०), वसूनि धनरत्नानि सन्त्यस्योः था। ईसाफे जन्मसे दो सौ वर्ष पहले इस महाघोरका । इति यसःमतुप डीप ।। १ पृथिवी । २ छः पर्णो का एक अभयदय हुआ - - - वृत्त । इसके प्रत्येक चरणमें तगण और सगण होते हैं। "घायुपुराणीयं राजगृह-माहात्म्यमें 'लिम्ना है, कि वसमतीपति (सं० पु०) वसुमत्याः पतिः। पृथियोपति, प्राचीनकालमें बसु नामक एक राजा थे। घे ब्राह्मण ' :.".".. चिंशीय थे। उनको वीरता तथा पौरप त्रिभुवन में विख्यात वसुमत्ता (सं० स्त्री०) यसु : अस्त्यर्थे, मतुप्, यसुमतो. भाषः तल टाप। वसुमतका भाव या धर्म, धनपत्ता। था। राजगृहके यनमें उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया था। वसुमन प्रापिका इस यज्ञमें उन्होंने द्राविड़, महाराणा कांट, कॉकन, तैलंग प्रभृति कई एक देशोंसे श्रेष्ठ गुणसम्पन्न, सुशील तथा वेद, यमुमय (Ni० वि०) वसुखरूपे मयट । यसुखरूप। वेदांगपारग दाक्षिणात्य ब्राह्मणों को बुलाया था। उन यसमान (०) पुराणानुसार एक पर्वतका नाम जो लोगोंके गोलों के नाम नीचे लिखें जाते है-१ यत्स, उत्तर दिशा में है। - २ उपमन्यु, ३ कौण्डिन्य गर्ग, ५हारित, ६ गौतम, T नाम।