पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. . विलास-विलासपुर. वैचित्रा तथा दृष्टिका तुच्छभाव प्रदर्शन ही उसका | विलास आचार्या-निम्यार्क सम्प्रदायके एक गुरु। थे. गाम्भीर्य है। | पुरुषोत्तमाचार्या के शिष्य और स्वरूपाचार्यके गुरु थे। त्रियोंके यौवनसुलभ हावभावादि अट्ठाईस प्रकारके विलासक (सं० निः) १ भ्रमणशील, इधर उधर फिरने- खाभाविक धर्ममसे एक धर्म। प्रियको देख कर स्त्रियों- वाला विलास देखो। के गमनावस्थानोपवेशनादि तथा मुस्खनेत्रादिका जो पिलासकानन ( स० को०) विलासोधान, फेलिकानन,' ' अनिवर्जनीय भाव होता है, उसका नाम विलाम है । जैसे मोड़ा-उपवन । माधयने सखोसे कहा,-"उस समय मालतीके क्या एक | विलासदोला (स स्त्रो०) कोडार्थ दोलाविशेष । अनियर्चनीय भावका उदय हुआ; उनका यह वाग्वैचित्रा. विलासन ( स० क्लो०) विलास गातस्तम्भ और स्वेदनिर्गमादि विकार तथा एकान्त विलासरायण (सं० लो०) शौकीन, हमेशा आमोद- धैर्याच्युति आदि भाव देख कर मालूम होने लगा मानो प्रमोदमें रत । वे मन्मथसे प्रणादित हो अपने कार्य सम्पादनमे घड़े | विलासपुर - मध्यप्रदेशका एक जिला। यह अक्षा० २१ . ध्यम हो रहे हैं।" ३७ से ले कर २३७ ३० तथा देशा० ८११२ से ले कर ८ स्फुरण। ६ प्रादुर्भाव ! १० तदेकात्मरूपका ८३°४० पू०के मध्य अवस्थित है । इसका क्षेत्रफल ७६०२ अन्यतर। विलास और स्वांशके भेदसे तदेकात्मरूप वर्गमील है। इसके उत्तर छत्तीसगढका समतल भूभाग दो प्रकारका है। मारुतिगत विभिन्नता रहते हुए भी तथा महानदी, दक्षिण रायपुरका उन्मुक्त प्रन्तर पूर्व और शक्तिसाम_में अभेदको कल्पना करनेसे वहां तदेकात्म- दक्षिण पूर्व रायगढ़ तथा सारनगढ़ राज्य और पश्चिम रुप कहा जाता है। किन्तु दोनोंकी शक्तिके न्यूनाधिषय. मातोपानोको निम्नभमि है। विलासपुर घशतः ही यह पूर्वोक्त दो भागों में विभक्त हुभा है। जहां नगर इस जिलेका विचारसदर है। दोनोंकी शक्तिको समता मालूम होगी, वहां विलास जिलेके चारों ओर प्राकृतिक सौन्दर्यासे परिपूर्ण है। होगा । जैसे,-हरि और हर । ये दोनों ही शक्ति सामर्थ्य में चारों ओर चे चे पहाड़ खड़े हैं। दक्षिणमें भी पहा. समान है । फिर कोई दो इन दो (हरि गौर हर) के अशा | डियोका अभाव नहीं। किन्तु रायपुरको ओर कुछ खुला रूपमै कल्पित तथा इनकी अपेक्षा न्यून और परस्पर हुआ है। इसी कारण इस स्थानसे रायपुरका समतल शक्तिम समान मालूम होनेसे वहां स्वांश करना होगा। जैसे,-सर्पणादि और मीनकूर्मादि। प्रान्तर सहजमें ही दृष्टिगोचर होता है । वास्तव में विलास. ११ नाटकोक्त प्रतिमुनका अङ्गभेद । सुरतसम्भोग. पुर जिला एक सुन्दर रङ्गमञ्च है। रायपुरकी ओरका विषयिणी अत्यधिका चेष्टा या स्पृहाका नाम विलास है। खुला मैदान इसका प्रवेश-पथ है। यहां के पर्वतोंके जैसे,- प्रस्तरस्तर भृतत्त्वकी आलोचनाको सामनो है। जिले के ___ "देखा जाता है, कि प्रिय शकुन्तला सहजलभ्या नहीं। समग्र समतलक्षेत्रमें इसकी शाखा प्रशाखाये फैली हैं।' है; परन्तु मनका भाव देखनेले अर्थात् मेरे प्रति उसकी | वोच बोचर्म एक एक शिखर इस गाभीर्यका भाव भङ्ग अनुरागव्यञ्जक विशेष चेष्टा देखने से बहुत कुछ आशो को कर रहे हैं। किन्तु कहीं श्यामलशस्य पूर्ण मैदान, कहीं ‘जाती है, क्योंकि मनोभाव अकृतार्थ होने पर भी स्त्री और सुगभीर पहाड़ी खाद है, कहीं निविड़ वनमालामो ने उस पुरुषको परस्परको जो कामना है, उससे धीरे धीरे दोनों पात्य यक्षके स्थानों को विशेष मनोरम बना रखा है। . • में अनुराग उत्पन्न होता है।".( शक न्तला ३ ० ) यहां यहांका डाला नामक पहाडका शिखर २६०० फीट ऊंचा पर नौयिकासम्भोगविपयिणो स्पृहा दिखलाई गई है। विलासपुरके १५ माल पूर्व एक समतलक्षेत्रमें यह 'ऐसा मालूम होता है। जहां नायक और नायिकासे | पहाड़ विराजित है। इससे इस पर खड़ा हो कर देखने- किसी एक सम्भोगमें चेष्टा वा स्पृहा देखी जायेगा वहां से जिलेका घहुत अंश दिखाई देता है। ..इस पर्यंत हो पिलास होगा। . .....: शिखरका उत्तरी मशजङ्गलसे परिपूर्ण है और दक्षिणम