पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१७०

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तकिया-कलाम-सफोल म्तान के पासका म्यान। ऐम स्थान पर प्रायः मुसलमान प्रदेशमें वितस्तानदोके दोनों किमरि परत कक्षाबामं फकोर रहा करता है। है। काश्मोरके इतिहासलेखकोका कहना है कि तकिया कलाम ( जि. पु. ) माननकि गा देखो। प्राचीनकालमें बहुतसे तक इस प्रदेश में रहते थे । यादवोंने सकियादार (फा. . ) वह मुमलमान फकोर जो मज़ार उन्हें हम स्थानसे दूर कर दिया था। पर रहता हो। सिन्ध प्रदेश में जिन सोन आदिम निवासियोका उख सकिन्न मं० त्रि.) तक लम् । मिथिलादयश्च । उण १५६।। पाया जाता है, उनमें एक तक जाति भो है। किसी धत चालबाज। २औषध, दवा।। य रोपीय विहानका कहना है कि तक्षशिला प्रदेशसे तकिला ( म स्त्रो० सकिन टाप । ओषध, दवा। भगाये जाने पर सक्कमिमे कोई काई मिन्ध प्रदेश में जा तकु (म स्त्रो०) तक गतो उन् । गरिशोन जानेवाला। कर रहने लगे थे। ईमाको १२वों शताब्दोंमें आषाढ़. तकुत्रा (हिं० पु ) १ टेग्वनेवाना, तानिवाला। दुर्ग तकराज छत के अधोन था । १४वौं शताब्दोमें २ नकला देखो। शारंग तक मनफ्फर शाह नाम के एक राजा गुजरातमें तक-जातिविशेष, एक जातिका नाम । तक लोग रावन- राज्य करते थे। पिण्डी विभागमें अक्षा० ३३ १७ उ० ओर देशा टॉड माहब के मतसे. तक्षक तलव'शके आदिपुरुष ७२.४८ १५ पू०के मध्य गामधेरो ग्राम के प्राचीनतम थे। उन्होंने नागवंशका स्थापना की थी और हिन्दुपा- अधिवामो हैं। कनिङ हमका कहना है, कि तक जातिके का विश्वास है कि ये इच्छानुभार मनुष्यका आकार मामानुसार हो तसगिला का नामकरण हुआ है। पूर्व धारण कर सकते थे । तक नोग नागको उपासना करते कालमै ममग्र मिन्धमागरका दोषाव इनके अधिकारमें थे। तक्षशिला के राजाके दो बड़े बड़े सर्प-विग्रह थे। था। पीछे ये पञ्जाबके पशिम प्रदेशमे गकी हाग भगाये कनिङहम लिखते हैं, कि काश्मोरके उपत्यका-प्रदेशमें जान पर मध्यप्रदेश मद्र लोगों के साथ एकत्र रहने पहले तक जातिका वास था। नागराज नोल इस प्रदेश नगे। सकों के आचार-व्यवहारके विषय में फिलमस्टेटम को रक्षा करते थे। अधिवासिगगा अत्यन्त सर्पोपासक और फाहियामने प्राय: एक ही बात लिखी है। दोनोंको थे। बौद्ध गजा कनिष्कने मपं पूजा उठा दी थो, परन्तु वर्ण ना पढ़नसे मालम होता है कि तक लोग किमा भो ३य गोनद के ममय यह फिर चल निकलो। परदेशीको तीन दिन तक सेवा शुश्र षा करते थे। अलेक- जम्ब , रामनगर और कृष्णवार आदिके पाव त्य- मन्दर जिस समय भारत पर आक्रमण करने आये थे उस प्रदेशमें सक्कजातिका वाम है। तकगण अनाय वंशसम्भू न ममय तक्षशिलाके राजाने उनकी तीन दिन तक अतिथि- और राजपूतांसे निकष्ट हैं, इनको मामाजिक मर्यादा के ममान परिचर्या को थो। चोन परिव्राजकका भी जाटोंके ममान है। मट्टिमरदार मङ्गलरावके पुत्रोंने पछी तरह मम्मान किया गया था। इममे मालम मतिदा तक्कोंके माथ भोजन किया था, इसलिए वे जाटों- होता है कि ४०० ई० मे पहले भी सकवशीय राजा में शामिल किये गये ' तक लोगोंको सामाजिक होनता. तक्षशिला प्रदेशका शासन करते थे और अलेकमन्दरके को देखते हुए इन्हें अनार्य ही कहना पड़ता है। ये भारतमें पानसे पहले हो सिन्धुसागरका दोआब तकों के प्राचीनतम तूगण-वंशीय और सम्भवतः तक्षशिला प्रदेशके हाथ से निकल गया था। आदिम अधिवासा हैं। मिथुनदी के तटवर्ती पाटक नगरमें अब भी तक देहलो और करनाल जिलों में बहुतमे सकोका वास जासिके लोग पाये जाते हैं। गजतरङ्गिणोकं पढ़नसे है। इनमें प्रायः एक तिहाई लोग इसलाम धर्मावलम्बी माल म होता है कि रा शङ्गारवमाने ८००ई० में तक हो गये हैं। देशको काश्मीरराज्यमें मिला लिया था। उस समय तकन् ( स० लो० ) तक-कनिन्। अंपत्य, सन्तान । तमा देश गुर्जरके उत्तर पूर्व कोणमें था। अब भी इस सबोल (स.पु.) कबोल, एक प्रकारका पेड़। : .