पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३१४

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३१० तराई 'लोगोका कहना है, कि लगातार सूपर और हरिनका एक देशीय विशिष्ट मजिष्ट्रेट रहते है। यह जिला माम ग्वाने के कारण व दम रोगमे उहार पति हैं। ज्वर काशोपुर. राजपुर, गदारपुर, रुद्रपुर, किलपुरी, नानक- और अन्नगेगमे भो ग्रहो बहुत लोग मरते हैं। आबादो माता और बिलहरो नामक परगना में विभक्त है । काशा- अधिक होनकं कारण यहां के अधिवामियोको मख्या पुर और नानकमाता छोड़ कर और किमो परगनेको बहुत बढ़ गई है। हिन्दू, मुमलमान, ईसाई. जैन प्रभृति जमोनमें मालिकान स्वत्व नहीं है। गवर्मेण्ट हो धर्मावलम्बो मनथ डम प्रदेश वास करते हैं । ब्राह्मण, मभो जमीन के अधिकारी हैं। इस जिले में पशु चुरानिका कायस्थ, राजपूत, बनिया, गोमाई', चमार, कुर्मी, कहार, मुकदमा हो अधिक चलता है। पहले मेवातो, गुलर मानी, लोध गड़गे, लोचार, भोर, भङ्गो, नाई, जाट । ओर अहोरगण इस काममें अत्यन्त लिन थे। इस और धोधो इत्यादिको मख्या अधिक है। जिनमें 0 पुलिम ट्रेशन और बहतसे विद्यालय हैं। इस इम जिले में कागोपुर और यगपुर नामक दो प्रधान जिनेको अनेक स्त्रियाँ पढ़ो लिखी हैं। शहर लगते हैं। इन्हीं दो स्थानों में नोकमख्या मब ३ दार्जिलिङ्ग जिलेका एक उपविभाग । क्षेत्रफल २०१ जगहमे ज्यादे हैं। वग मोल है। इसमें ७३७ ग्राम लगते हैं, जिनमें हिन्दू, __ हम जिलेको जमोन बहुत उबंग है। थोड़े परि- मुमन्नमान, ईसाई, बौद्ध प्रभृति वास करते हैं। इस थमने हो अच्छो फमल उपजतो है । इम स्थान का प्रधान विभागका प्रधान शहर गिलिगुड़ो है । यह स्थान हिमा- अब धान है। जो, गेह, बाजरा, जुन्हगे, उरद, मरमा लय पहाड़ के नीचे अवस्थित है । शिलिगुडीमें उत्तरबग- तोमो, ईख, कर्न, तमाकू, ताबज, अदरक छन्न टो, मिर्च,. मट रेलवे ओर दार्जिलिङ्ग हिमालय-रेलवेको अन्तिम पटन इत्यादि उत्पन्न होते हैं। हम प्रदेश का भूमि और मोमा है। दम विभागमें ४३ चाय के बगीचे है। व यु प्राट् है, मतर, अनाष्टिक कारगा उत्पन्न द्र यांको जब यह प्रदेश टिश साम्राज्यभुक्त हुया, तब उन्होंने विशेष क्षति नहीं होतो है। किन्तु १८६८ ई० में दुर्भिक्ष- हम प्रदेशका उत्तराश दार्जिलिङ्ग और दक्षिणांश पुनि या. मे तराई जिलके किसो किमो ग्रामवामियाको अत्यन्त के कलेकरोभुत्ता करनको इच्छा को, किन्तु दक्षिण प्रदेश कष्ट भोगना पड़ा था। वासोने पुनिया कलकरौक अधीन होने में असन्तोष दिग्व- __ रोहिलखण्ड के जमोदारो तथा बजारीक अनेक पशु लाया, बाद समस्त तराई विभाग दार्जिलिङ्गके अधीन तराईप्रान्तरमें विचरण करते हैं। कर दिया गया। लेकिन इसके पहले पुनि याकै कलकर- शारदा नदोमे ले कर पूर्व और पश्चिमको ओर एक न तराईके निम्नस्थानवासो राजवशो और मुसलमानांक रास्ता है, जो परगनके चारों पोर गया है । गजपुर पर साथ तीन वर्ष के लिये जमोनका कर निर्धारण किया गना हो कर मुरादाबाद और नेनोतानका गम्ता २१ था। पहले तराईसे निम्नलिखित प्रकारका राजस्व वसूल मौन विस्त है। घरेलो और न नाताम्नका रास्ता १३ किया जाता था, (१) मेच पोर धिमालोसे दा-कर, (२) मान नम्बा है। मुरादाबाद और रानीखेटका गास्ता रामः निम्रतराई के बङ्गालो अधिवासियोंसे जमोनका करें, नगर तक चला गया है। रोहिलखगड और कुमाय' रेन (३) तगई के निकटवर्ती वानन्देशक भूभागसे भागत गह- पथ तराई जिले के मध्य बरेन्ना, नैनीताल राम्ता माथ पालित पशुकै विचरण के लिये पशुपालकोंसे शुल्क, (४) समानार भावमं अवस्थित है। वममें उत्पन्नद्रव्यांको आय, (५) बाजारका शुल्क, १६) ___ तराई जिलेमें एक सपरिगटे गाड़े गट, उनके पहकारा अर्थ दगड, (७) गायकीक अपर एक प्रकारका कर, (८) और रुद्रपुर के तहमोन्नदार दोवानो विचार करते है। आबकारी आय । पहले दो प्रकारके करको चौधरी इन लोगोंका फौजदारी विचार करने का भी अधि- वसूल करते थे। इन्हें फौजदारी और दोवानो विचार- कार है। कुमायूँ के कमिश्नर के निकट इनके विचारको का भो अधिकार था। अपोल हो सकती है। राजपुर, गदारपुर और रुद्रपुरमें तराई प्रदेश ५४४ जोतें थीं और प्रायः १८५०२