पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३९६

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३९२ ताल-तारडी हक्षक पप्रभागको-जहाँम शाखाएँ निकलती है ताड य ( म०वि० ) १ ताइन योग्य, ताड़नेके योग्य । २ उसमे नचिक भागको काट कोल कर रम निकाला जाता डॉटन डपटने लायक । ३ दगड य, सजा देने के काबिल । है। पार्यावर्स में नारियल के पेड़ में रम निकालने को प्रथा ताड यमान ( म० वि० तड़ा णिच्-शानच् । १ वाद्यमानः अधिक प्रचलित न होने पर भी दाक्षिणात्य में यथेष्ट प्रच जिमपर प्रहार पड़ता हो, जो पोटा जाता हो। २ जो मित है। बंबई प्रदेश के लोग दो तरहमे नारियल डॉटा जाता हो । ( पु० ) ३ ढका, ढोल । पड़को रक्षा करते हैं, एक फन पाने के लिए और दमरे तागड ( म० क्लो० ) तगिडना मुनिना कत अण । मृत्य शास्त्र । रमके लिए। जिम पड़मे रम निकाला जाता है, उम ताण्डव ( म० को० ! तगिडना मुनिना कृतं नाण्डि नृत्य ममय उम पर फल नही लगते है । बम्बई प्रदेशमैं मानार । शास्त्र तदन्याम्तोति वा तण्ड ना नन्दिना प्रोक्त तगड, लोग नारियलका रम निकालते हैं। हमके लिए उन्हें अण । १ नृत्य, नाच। २ पुरुषका नृत्य। पुरुषांक पड़पोछे १, मे ३, न० तक कर देना पड़ता है। ताड नृत्यको तागड़न और स्त्रियों के नृयको लास्य कहते हैं। वा खजूर रसको अपेक्षा नारियलका रम अति शोघ्र हो यह नृत्य शिवको अत्यन्त प्रिय है इमोनिये कोई कोई झाग दे कर साडीपर्म परिणत हो जाता है । इमलिए कहते हैं, कि इम नृत्य का प्रवर्तक नन्दा है। किसी जो गुड़ बनाना चाहते हैं, वे ताजा रप ले कर जाघ्र हो किमोके अमुमार तण्ड नामक ऋषिने पहले पहल हमको पाग पर चढ़ा देते हैं। नारियनको ताड़ी मादागातः शिक्षा दो, दमासे इसका नाम ताण्डव पड़ा है । ३ उडत नारा नाममे प्रसिद्ध है। भारतवर्ष के मिवा भारत महा- नृत्य, वह नाच जिम में बहुत उकल कर हो ! ४ शिवका सागरीय होपामि भो मोग व्यवहत होता है। . नृत्य। ५ गा विशेष एक प्रकारको घाम । नारिकेल देखो। तागड़वतालिक (सं० पु. ) तागड़वे शिवनृत्यकाने नोम -किमो मो निबवृक्ष कागड़ मे भो दो यस्तालः स काय तयास्त्यस्येति ठन् । शोवजोकं हार- सोन जगहमे रम निकलता है। काई काई र रमको रक्षक नन्दो। मोमको साड़ी कहते हैं। रमनिकननम कुछ पहिलेसे । तागड़वप्रिय ( म० पु.) तागड़व प्रिय यस्य बहुव्रो । १ हो जहाम रम निकलेगा, वहाँ एक तरह का च च शब्द का च च शब्द महाटेव। । त्रि०) २ नृत्य प्रय मात्र, जिसको नाच होता रहता है । शब्द सनसे हो लोग ममझ लेते है कि, ' बहुत पि य हो। पर सहमा है, शीघ्र निकलेगा, उम ममय वहाँ एक मागवित ( म. वि.) तागड़व कृतौ जि कमगि क्त। पावनगा देते है। उममें बहुत थोड़ा बूट बूट रप टप- नति, नाच किया इया । कता रहता है। नीमके पेड़से जमे स्वभावतः रम निक तागड़वी (सपु० ) संगोतमें चोदह तालोमैंसे एक। लता है, उमो तरस जत्रिम उपायम भो किमी किमो तागिड़ ( स० क्लो ) तागड़ न मूनिना कत' ताण्ड-इन । स्थानमे रस निकाला जा मकता है । तत्रिम उपायम रम मृत्यशास्त्र। निकालना हो तो पेड़के उस स्थानका-जहराम शाखाएं ए .. तागिड़न ' संपु०) तागड येन प्रोता' प्रधोयत इति रनि निकलती हैं-प्रायः प्रधा हिस्सा काट कर उमके नोचे यलोपः। तांगडमनिपुत्र तागडप्रोक्त शाखाध्यायो, मामा पात्र रख देना चाहिये । स्वभावत: जैसा स्वच्छ और वर्ण- वेदको ताण्ड य शाखाका अध्ययन करनेवाला । २ यजु- होन राम निकलता है, कृत्रिम उपआयमे व मा वा उमका बदका एक कल्पसूत्रकार । एकहतोयाँश रम भो महों निकलता। मन्द्राज प्रदेशमें साण्डिन (स.प्र.) ताण्डिन पण, इनो न टिलोपः। कोई काई नीमको ताडोसे तेज शराच चना कर पोया मुनिभेद, तगिडमनि पुत्रका नाम । इन्होंने यजुर्वेदका कल्पसूत्र प्रणयन किया है। तडि देखो। ताड़ ल (सं० पु. ) ताड़यति तड़ णिच-उल । ताड़क, साण्डो (म'. स्त्रो. ) साह र मित्रयाँ डोष, यलोपः। ताउन करने वाला। तहि मुनिको स्त्रीके वाज। .