पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४०३

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तातार तात्पर्य २९ यहांका नगर-प्रबन्ध प्रसनीय है। कम्पनो म मध्य एशियाका एक देश । हिन्दुस्तान पोर फारस- कार्य के लिये भी जो खोल कर वाय करती है। मगर के उत्तर कोस्पियन सागरसे ले कर चोन के उत्तर प्रान्त प्रबन्धके लिए बोर्ड आफ वर्म ( Thourd of works ) तक.तातार देश कहलाता है। नामको एक संस्था है। यह ठोक म्य निसिपालिटो तातारो ( फा० वि०)१ तातार देश मम्बन्धो, तातार माह दिना दिन शहरको उचान हो रहा है। देशका । (१०)१ तातार देशका निवामी। विशेष विवरण ताता शबा में देखो। ताति ( स० पु. ) ताय.तिच । १ पुत्र, बेटा । साय भावे सासार ( फा० पु. ) मध्य एशियाको नवप्रदेश-वामी एक तिन् । (म्ती ) २ वृद्धि, उवति, तरको । जाति। ये म गल-शाखाके अन्तर्गत हैं। भारत. चीन तानीन (अ. स्त्रो०) छुट्टोका दिन, छुट्टो । पोर फारसके उत्तरमें, जापान पश्चिममें, के स्पियन तात्कालिक (म' त्रि०) तस्मिन् काले भव: तत्काल-उज् । मागर और कृष्णमागर के पूर्वमें तथा हिमानी महामागरके आपदादिपूर्वपदात् कालान्तात् । पा२।११६, अस्थ सूत्रम्य दक्षिण में जितने विस्तीर्ण भूभाग है, वहां के पधिवामी वानिकोक्या ठञ् । तत्कालीन, उमो समय का। य रोपियों के निकट तातार नामसे परिचित हैं। पहले महागुरु निपातमें बारह दिनका प्रशोच होता है। वन मुगलजाति हो तातार नाममे प्रमिह थी, लेकिन किन्त ग्यारहवें दिन प्रयोच होते भो श्राहादि कार्य जङ्गिसखाँके अभ्य दयके बाद मुगल शासनाधीन ममस्त किये जाते हैं, उस समय अर्थात् श्राहकालोन काको जाति हो तातार कहलाने लगी है। हम समय मध्य तात्कालिक शुद्धि हुश्रा करती है। ऐशियास्थ मुगल शामनाधोन भूभाग तातारो तथा उन- तात्काल्य ( स० क्लो. ) तत्कालता. वह जो उमो समयका को भाषा भी. तातारो नामसे मशहूर हो गई है । अभो हो। हिमालयके सीमान्तवर्ती तिब्बतके भोट, यारकन्द, खुतन तात्पर्य (स.ली. ) तात्परस्य भावः तत्पर था । १ और बुखार के तुर्क तथा चोनको माङ्ग जाति के लोग वक्ताको रच्छा, वह भाव जो किमो वाक्यको कह कर अपनको तातारवशके बतलाते हैं। कहनेवाला प्रकट करना चाहता हो। २ अभिप्राय बहतों के मतसे तातार जाति तुक, मुगल और माञ्च, सत्परता। प्रधानतः इन तोन श्रेगियों में विभक्त हैं। "आकांक्षा वक्तुरिकछातु तात्पर्य परिकीर्तितं ।” (भाषाप०) काश्मीर के उत्तर लद्दाख प्रदेशमें भी अनेक तासारीका वताको इच्छा हो पाकाला है और वहो तात्पर्य बाम है ! तातार जातिक परिवार में प्रति व्यक्तिका हितोय है। इमो तात्पर्य के अनुमार अर्थ माल म हुआ करता पुत्र लामा तथा टतीय पुत्र टोलाका पद पाता है, ये दोनों है। एक उदाहरणसे ही इसका अर्थ स्पष्ट हो जायगा । विवाह नहीं कर सकते, आजोवन ब्रह्मचर्य अवलम्बन पूर्वक रहते हैं। 'गंगायां धोषः'इम वाक्यका अर्थ गङ्गाके किनारे घोष (अहोर) पूर्व ममयमें किम्बिया, केल्ट और गन्नजातिने यूरोप. बाम करता है, तात्पर्य के अनसार ही दम तरहका अर्थ के सप्तरी भाग पर अधिकार किया था, वे भो तातार लगाया गया है। यदि तात्पर्य स्वीकार न किया जाय, तो गङ्गामें मछली इत्या:का रहना सम्भव है।"गङ्गाणं" । टेश होते हुए वहां गये थे । गथ, हूण, सुइदिम्, भान्दाल और फ्रानजाति भो एमो तातारवंशको हैं। अर्थात् गङ्गाके किनारे ऐमा अर्थ लक्षणाशक्षिके द्वारा तातारो भाषा बोलने में दो भाव प्रकट होते हैं। प्रकाशित होता है, किन्तु "गङ्गायां" इस पदसे गङ्गामें एशियाको ममणशील इण जाति जो भाषा व्यवहार और "घोष" पदमें मत्स्यादिको लक्षणा नहीं हो सकती, करती है, वह एक है। यह तुराणोय नामसे भो प्रसिद्ध अर्थात् "गङ्गायां घोषः" ऐसा कहनसे गङ्गामें मछलो है। फिर मध्य एशिया में जिस भाषाके साथ तुरुष्क भाषा- इत्यादि रहती है, ऐसा पर्थ हो हो नहीं मकता क्योंकि का अधिक सादृश्य देखा जाता है, उसे भी तातारो कहते यहां पर बोलनेवालका ऐसा अभिप्राय नहीं है । गङ्गा के किनार घोष अहोर) बास करता है, यही बोलनेवालेका