पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

डलहोरी-मका वार्य नाम जेम्स पर बोन रामः मूलराज भी नितिन विपत्तिवी पाल जान दयम पाल और प्रथम मारक्षिस पाफ उनहोसी (Ia-पार पहलेहोभे तयार थे। लाहोरसे सेना पाकर प. mes Andre Brown Ramsay, tenth Earl andसित होने पर मूगगनके साथ एक युगमा । first marqnis of Delhourit) | १८१२ को २२वी युतमें मूसराजने विजय माल की। उनमें घटिया अपीलको रमको जन्म हुआ था। ये हाटिनसाधारस्थ गवर्म एने मधास्त्र हो कर दोनों में एक सन्धि का कालटाउनके बोनको उत्तराधिकारिणोके वृतीय पत्र दो। मन्धि नियम मूलराजको पसन्द महोमिसे सही थे। इन्होंने पहले हरोर विद्यालय में शिक्षा प्राप्त को थी, मेरेसिडेण्टौके पास मुलतानकी दीवानी शेड़ देनेकी पोह अक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कारष्टचार्च कालेज में प्रकट की पौर साथ लिख दिया कि दोबानो अध्ययन करके १८३८०में एम०ए० उपाधि लाभ किया छोड़ देनेको बात साधारणको मालमन होने पाये। था। अग्रज दो सहोदरोंकी मृत्यु होनेके कारण १८३२ रेसिडेण्ट लारेन्स मारवने पापी अनुरोधकी रचा करेंगे १०में ये लार्ड रामसे (Lord Ramsay) मामसे प्रमिह ऐसा लिख भेजा। । हुए। इन्होंने ग्रेटहटनको मन्त्रिसभामें कुछ दिन कार्य १८४८ मीठी माको सर फ्रेडरिक करौं किया था; पीछे ये भारतवर्ष के गवर्नर जनरल ( बड़ (Sir Frederic Currie ) मिडिल्ट होकर साहीर लाट ) नियुक्त हुए थे। इन्होंने १८४८०को १२वीं पाये। मूलराजका पदत्याग छिपा रखनेव.लिला. जनवरीको कार्यभार ग्रहण पोर १८५६ ई०को २८वीं सने उनसे कहा। किन्तु मारमा प्रस्ताव सोने फरवरोको कार्य परियाग किया था। अाध नहीं किया। नये रेमिडेण्टने मन्विसभाम भूल- १८४७१०के अन्तमें भाइकाउण्ट हार्डिन भारतवर्ष मे राजका इस्तीफा पेश किया पोर मसिमा नारावर चले जाने पर डलहोसोम पा कर भारतका शामनभार मजरमो गया। ग्रहण किया। जब ये इस देशमें पाये थे, सब भारत खोमिकी दीवान नियुक्त कर मुलतान भेजा गया। राज्यमें किमो सरहको विशुशाला नहीं थी। समस्त उनके मात्र अग्निउ (Agner) पोर प्रहरमन् (Ander. प्रदेशों में एक प्रकार सुखशान्ति विराजमान थो । किन्तु on) नामक दो ग्रेज कर्मचारी भी गये : १८ पौल. अकस्मात् मुलतानमें एक मेधका उदय हुषा। १८४४ को ये मेमा सहित सुलतानके किले के पास एड़माम ईमें सवनमतको मृत्यु होनसे उनके पुत्र मूलराज मुन- पहुंच गये। मूलराज वहां पाये पोर उनके साथ तानके दीवान चुने गये । ये ३० लाख रुपये और निय- साचात् करके दुर्ग अर्पण करने के लिए राजी हो गये। मित कर प्रदान करेंगे, इस शर्त पर लाहोर-दरबारने दूसरे दिन सुबह के वक्त खासि पोर पूर्व कंधित दो इनको दोवान मनोनीत किया था। मूलराज अत्यन्त अंग्रेज-कर्मचारियोंने दो दल गुर्या-मेनाने साथ दुर्ग में साहसी थे ; वे धोनताकी पपेक्षा मृत्युको श्रेयस्कर प्रवेश किया। जब ये दुर्ग परिखाके सेतुके अपरसे जा रहे समझ कर गुपचुप स्वाधीन होनेका मौका हूँढने लगे। थे, तष मूसरायके एक सैनिकने मासा अग्रसर होकर इस समय लाहोर-दरबारमें बड़ो विशाला उपस्थित थी। पगनिस सायको बरछा मार कर घोड़ेसे मिरा खिया प्रधान प्रधान सामन्तोंमें परस्पर वास्तविक एकता बिल और तरवारसे उन पर दो गहरी चोट की, किन्तु साहब. कुल न थी। मूलराजने लाहोरको मार किये हुए ३. को विनाम करने के पहले ही वह परिणाम गिर गया। लाख रुपये पथवा नियमित कर कुछ भी नहीं भेजा। मूलराजमे रस घटना में किसी प्रकारका स नकर इसका सन्तोषजनक उत्तर देने के लिए प्रधान मन्त्रो लाल. अपने भावाम पामखासकी पोर घोड़ा दौड़ा दिया। सिने मूलराजको लाहोर पाने के लिए पादान किया इसके बाद मूलराज सह सैनिकोंने पडरसन पर तथा यदि मूलराज सहजम न पावे, तो उनको वल- धाम किया और उनको मुर्देको तरह यहाँ छोड कर पूर्वक साविक लिए एक दस बना भो भेजी। घर प्रखान किया। प्रगनिउने दुइ सुख ही चार लाहोरम