पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३२५

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बारमूंगा-चारमूला कहाँके राजा थे जाति बारमहल-मन्द्राज प्रदेशके अन्तर्गत एक भूमि-विभाग। गणेशराय दिनाजपुर उत्तर-राढ़ीय | उत्तर आरकट और सलेम जिलेका त्रिपातुर, कृष्यगिरि, कायस्थ। धर्मपुर, ओसुर और देङ्कमकोट्टई तालुक ले कर यह विभाग हम्बोरमल्ल विष्णुपुर मल्लवंशीय। संगठित हुआ है। यह अक्षा० १२५ से १२ ४५ उ० कंस नारायण ताहिरपुर वारेन्द्र तथा देशा० ७८७० से ७६३० पू०के मध्य अवस्थित ब्राह्मण । है। पूर्व समयमें इस विभागके कृष्णगिरि, जयरणगढ़, रामचन्द्र ठाकुर पुंटिया वारेन्द्र भूषणगढ़, कटिरगढ़ त्रिपातुर, वानियाम्बाडी, सथारसन- ब्राह्मण गढ़ और थातुकल्लू आदि स्थानों में देशरक्षाके लिये फजल गाजो भौल मुसलमान। दुर्ग बनाये गये थे। इसके पूर्व और पश्चिम सीमामें ईशा खा मसनद अलो खिजिरपुर मुसलमान । घाटपर्वतमाला है। ___ उक्त बारह भौमिकोंमेंसे राजा कन्दपनारायण, प्रतापा- पहले यह नगर विजयराजवंशके अधिकारमें था और दित्य, लक्ष्मणमाणिक्य, मुकुन्दराय, चांदराय और केदार- उसी राजवंशको आनगुण्डी शाखाके राजगण इस प्रदेश- राय ये पांच बङ्गज कायस्थ थे। उनमेंसे प्रत्येकके द्वारा का शासन करते थे। १६६८ ई में यह मदिसुरराज्यके एक एक समाज संगठित हुआ। अन्तभुक्त हुआ। १८वीं शताब्दीमें कर्पाके पठान वर्तमान फरिदपुर जिलेके अन्तर्गत भूषण प्राममें | नवाबने इस पर अधिकार जमाया। प्रायः ५० वर्ष राजामुकुन्दरामको राजधानी थी। उनके वंशधर राजा राज्य करनेके वाद हैदरअलाने उनसे यह स्थान छीन सीताराम रायके अधःपतनके बाद नवाबी अमलमें भूषण लिया। एक बडे, चकलेमें परिणत हुआ। विस्तृत विवरण सीता ___ अनन्तर महाराष्ट्रीयगण इस प्रदेशके सर्वमयकर्ता राम और भूषणा शब्दमें देखो। हुए। किन्तु पानीपतकी लड़ाई में जब महाराष्ट्र शक्ति ___ राजा कन्दप नारायण चन्द्रद्वीपके वसुवंशीय राजा विपर्यस्त हो गई नब हैदर अलीने पुनः इस पर अपना थे। वे राजा मुकुन्दके समसायिक भौमिक थे। कन्दर्प कब्जा जमाया। १७६७ ई०में निजाम और हैदरअलीने के पिता राजा परमानन्दने बङ्गज कायस्थ कुलीनोंका हम मिल कर कृष्णागिरिमें अगरेजोंको परास्त किया। इसके समोकरण किया। इस समय चादराय, केदारराय और एक मास बाद अगरेजोंने फिरसे बारमहल पर चढ़ाई मुकुन्दरामने कुलीनोंके पृष्ठपोषक हो उनके समीकरण- की और एक एक करके सब दुग अधिकार कर लिये। कार्य में बाधा डालो। चन्द्रद्वीपके वसुवंशीय कायस्थ १७६० और १७६१ ई०में अगरेजोंके लगातार आक्रमण राजा कन्दर्पनारायणके समय यशोहर नगरमें प्रतापके करने पर भी कृष्णगिरिदुर्ग उनके हाथ न लगा। चाचा राजा बसन्तरायने यशोहर समाज प्रतिष्ठित किया। १७९२ ई०में वारमल अङ्रेजोंके हाथ सुपुर्द किया प्रतापादित्यने अपने प्रतिभावलसे उस समाजको विशेष गया। गौरवान्वित कर दिया था। इन सब राजाओंने जो एक बारमुखी ( हिं० स्त्री० ) रंडी, वेश्या। समय अद्ध स्वाधीन रह कर राजकार्यकी परिलोचना की बारमुआरा -गुजरात प्रदेशके महीकान्थाके अन्तर्गत एक थी उसका यथेष्ट विवरण मिलता है। उन लोगोंकी करद राज्य । यहांके सरदार बड़ोदाराजको वार्षिक कर वीरत्व-कहानो और रणसजा किसीसे भी छिपी नहीं हैं। देते हैं। बारमूला-१ उडीसाप्रदेशके दशपल्लाराज्यके अन्तर्गत पा विश्लीसे बंगालम मा कर इन्होंने भौआलके राजा शिशु- एक गिरिकन्दर। यह गोआलदेवके गिरिश्ङ्गाके निकट पालको पगस्त किया और वहांके अधीश्वर बन बैठे। यह अवस्थित है। उक्त राज्यकी उत्तरी सोमा हो कर मन- स्थान भभी ढाका लेके अन्तर्गत है। नदी बहती है। १८०३ ई०में महाराष्द्रयुद्धके समय कार-