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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४६२

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४५६ बुयाम-बुजे धुयाम ( पु०) चीनी मट्टीका बना हुआ एक प्रकारका और तैलंग आदि श्रेणीविभाग हैं। पे एक दूसरेके गोल भोर ऊँचा बड़ा पात्र । यह साधारणतः नेजाव साथ न तो आदानप्रदान करने और न एक साथ बैठ कर और अचार आदि गबनेके काममें आता है, जार। ग्वाते ही हैं। प्रायः सभी लोग मद्य तथा मांसप्रिय होते वग्कना ( हि क्रि.) : किमी पिसी हुई या महीन चीन और पूजादिमें उपवास करने हैं। इन लोगोंका पहनावा को हाथमे धीरे धीरे किमी दूसरी चीज पर छिड़कना, बहुत कुछ मराठियोंमे मिलता जुलता है। भुरभुगना ।। पु० ) २ बचोकी वह दाबात जिसमें वे महादेव इनके प्रधान उपास्य देवता हैं । ब्राह्मण और पटिया आदि पर लिग्वन के लिये बगिया मट्टो घोल कर जङ्गमोंमें इनकी अटल भक्ति है। विवाह और श्राद्धादिमें रखते हैं। ब्राह्मणोंको बुलाते हैं। खुरका ( अ० पु०।१ मुसलमान स्त्रियों का एक प्रकारका जातवालकके पांचवे दिन ये पष्ठी देवीको पूजा पहनावा। यह प्रायः शैलेके आकारका होना है। दूसरे करते हैं। तीन महीनेके बादमे ले कर दो वर्ष नकके दमरे वस्त्र पहन चुकने के बाद यह सिर परमे डाल लिया वालकोंका मुगडन होता है। मृत्युके बाद ये लोग जाता है और इससे मिरसे पैर तक सभी अंग ढके शवको जलाने और गाड़ते भी हैं। दशवें दिन पिराष्ट्र- रहते हैं। जो भाग आँखोंके सामने पड़ता है उसमें दान करते हैं। इन लोगोंमें विधवा विवाह प्रच जाली लगी रहती है जिसमें चलने समय सामनेको चीजें लित है। दिखाई पडे। २ वह मिली जिसमें जन्मके ममय बचा बगपन (हि. पु.) बुराई दग्व।। लिपटा रहता है, खेड़ा। बुरुश ( अं पु० ) अंगरेजी ढंग पर बनी हुई किमी बुरकाना ( हिं० क्रि०) वुरकनेका काम दुसरी कगना, प्रकारकी कूची। यह कृची चीजोंको रंगने, साफ दुसरेको बुरकनेमें प्रवृत्त करना। करने या पालिश आदि करनेके काममें आती खुरद् ( ० पु० ) १ पार्श्व, बगल। २ ओर, तरफ।३ है। बुरुश प्रायः कूटी हुई मूज या कुछ विशेष जहाजका वह भाग जो हवा या तूफानके रुग्व पर न पशुओंके बालोसे बनाए जाते हैं और भिन्न भिन्न कार्योके पडता हो, बल्कि पीछकी ओर हो। ४ जहाजा बगल- लिये भिन्न भिन्न आकार प्रकारके होते हैं। रंग आदि वाला भाग। भरनेके लिये जो बुरुश तैयार किये जाते हैं उनमें प्रायः बुग ( हिं० वि० ) निकृष्ट. मदा। काठके एक चौड़ टुकड़े में छाटे छोटे बहुतसे छेद करके बुराई । हिं० स्त्री० ) १ नीचता, खोटापन । २ बुरे होनेका उनमे एक विशेष क्रिया और प्रकारसे मूंज या बालोंके भाव, युगपन। ३ किसीके संबंधमें कही हुई कोई बुरो टुकड़ोंमें एक दस्ता भी लगा दिया जाना है। यह प्रायः वात, शिकायत, निन्दा । ४ अवगुण, दोष। मूंज या नारियल, बेंत आदिके रेशोंसे अथवा घोड़े, बुरादा ( फा० पु० ) १ वह चूर्ण जो लकड़ीको आरेसे गिलहरो, ऊँट, सूअर, भालू, बकरी आदि पशुओंके बालों- चोग्ने पर उसमें से निकलता है, लकड़ीका चूरा। २ से बनाये जाते हैं।। चूर्ण, चूरा। बुरुल ( हिं० पु.) एक प्रकारका बहुत बड़ा वृक्ष। यह बुरुड़ दाक्षिणात्यवासी अन्त्यजजातिविशेष । बामको हिमालयमें १३०० फुटकी ऊंचाई तक होता है । इसका डाली आदि तैयार करना हो इन लोगोंका जातीय व्यव- छिलका बहुत साफ और चमकीला होता है जिससे साय है। इनकी उत्पत्तिका विवरण यो है पहले ये पहाड़ी लोग झोंपड़े बनाते हैं। इसकी लकड़ी छत पाटने लोग मराठा थे। ज्येष्ठको पूर्णिमा पार्यतो देवीकी बट- और पने चारेके काममें आते हैं। वृक्षपूजाके लिये इन्होंने फलपुष्पवहनापयोगी डाली बुर्ज ( अ० पु० ) १ किले मादिकी दीवारोंमें, कोनों पर बनाई थी इसीसे ये जातिच्युत हुगे। ___ आगेकी ओर निकला अथवा आम पासकी इमारतके इनके मध्य जाट, कणाची, लिंगायत, मराठा, पवारी ऊपरकी ओर उठा हुआ गोल या पहलदार भाग। इसके