पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४७९

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बृहत्फल-बृहद्धन काला वृहत्फल (सं० क्ली) १ कुष्माण्ड कुम्हड़ा। २ पनसेफल, वृहदुक्ष ( स० पु० ) जगत् मायकारक प्रजापति । कटहल । ३ जम्बूफल, जामुन । :: चण्डा, चिचड़ा। वृहदुत्तरतापनी (मत्रो०) उपनिषभेद । बृहत्फला (सं० स्त्री० ) बृहत्फलं यस्याः। १ अलावू, बृहदेला ( स० स्त्री० ) बहती एला, बड़ी इलायची । लौकी । २ कटुतुम्बी, तितलौकी। । महेन्द्रवारुणी । ४ बहद्गर्भ ( स० पु. ) राजा शिविक एक पुनका नाम । कुष्माण्डो, कुादा । ५ राज जम्मू. बडा जामुन। बृहद्ािर ( स० पु० ) १ प्रभूत स्तुति, ग्खूब तारीफ। २ बृहत्यादि (सं० पु०) सन्निपातज्वरोक्त कषाय । प्रस्तुत मरुन्, एक देवगणका नाम । प्रणाली -पृरती, पुष्कर, भागी, कचूर, शृङ्गी, दुरालभा, वृद्गु ( स० पु० ) राजभेद, पक राजाका नाम । वत्सकवीज और पटोल इमका समान भाग लेकर वृद्गृह ( म० पु०) दे विशेष, कारुपदेश। यह देश कषाय प्रस्तुत कर अर्थात आध सेर जलमें सिद्ध करके विन्ध्या पर्वतके पोछे मालवादेशके समीप अवस्थित है। जव आध पाव जल रहे तव उसे उतार ले । इसका सेवन वृहद्गोल ( म० क्ली० ) वृहद्गोल गोलाकारफलं यस्य । करनेसे सन्नितिक ज्वर जाता रहता है। शीर्णवन्त, तरबूज। बृहत्संवर्त (म0पु0) संवर्कभेद : वृहद्गौरोव्रत ( स० क्ली० ) व्रतभेद । बृहत्साम ( म० की.) वहत साम नित्यकं । मामभेद । वृहद्प्रावन ( स० त्रि.) बहत् प्रस्तरवत् , बड़े पत्थरके गीतामें लिखा है. कि सामके मध्य वृहनमाम श्रेष्ठ है। जैसा। "बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दमामहं ॥” (गीता) बृहदन्ती ( सं स्त्री०) पर एडपपिटप दन्तीविशेष, एक गृहत्प्सुन्न ( म०वि०) प्रभूत धनी. सुख सम्पन्न, खुश- प्रकारको दन्ती जिसके पसे एरण्ड के पत्तीफे समान होते हाल। है। इसके गुण कटु, दीपन, गुदांकुर, अश्म, शूल, युटरमेन (सं० वि० ) १ महासेनायुक्त, जिसके बड़ी फौज अर्श, कण्ड, कुष्ट भौर विदाहनाशक । दन्ती तम्या । हो । (पु०) २ वाहद्रथवंशीव भावीनृपभेद ३ मगधदेशीय बहाभ ( स० पु० ) कोयुवंशीय वृएन । नृपभेद । (स्त्री० ) ४ वृहतो सेना, भारी फौज।। वृहद्दल ( स० पु. ) वृहद् द वाय। १ पट्टिकालो, बृहत्स्तोम (म क्ली० ) स्तोमभेद । सफेद लोध । २ हिन्तालान । ३ रक्तरमोन, लाल वरस्फिज ( म नि० ) हन् रिफचगुरू।

लहसुन । ४ समय वृक्ष । ( मो०) ५ लजालुका, छोटो

वदग्नि ( म० पु० ) नानाविध अग्नियुत । लजाल। वृहदङ्ग सं० पु० ) वृहदङ्ग यस्म । मतङ्गज, हाथी। . बाहली (स. रा) लजःवंती, लजाद । वृध्दनीक । मलिः ) बहु सैन्ययुक्त। बृहिच ( सं० वि० ) ज्येष्ठ, प्रशल्यतम । बृहदम्बालिका ( स० स्त्री०) कुमारानुचर मानभेद।। बृहया ( सं० स्त्री० ) महादीप्तियुक्ता, जिममे समक बहदम्ल ( म०.० बहन अग्लो यस्म। कामङ्ग। बमक हो। बृहदश्व (संपु० ) ऋषिभेद । घाई यता ( स० स्त्री० ) वेदक अपि प्रतिपादक ग्रन्थभेद । बृहदात्रेय (सं.पु.) वैद्यक प्रन्थभेद । दहाम ( स० पु०) नृपभेद । बृहदारण्यक ( स० लो०) उपनिषभेद । इसमें बह्मतत्त्व हनुस (स.पु.) १ भाजमीढपंशीय नपभेद । (लि.) भति विस्तृतभावमें वर्णित हुआ है। शतपथब्राह्मणका वृदत्अनुस्य। २ महाचापयुक्त । आरण्यक अंश ही बृहदारण्यक कहलाता है । इसके बहुतों .. वृहद्धर्म (स.पु.) आजमीढ़वशीय नृपभेद । भाष्य और टीकाएं देखो जाती है। ....... वर्मपुराण (मस्त्री० ) पुराणप्रविशेष । यह एक वृहदि (स. पु०) १ आजमोढ़पुत्व नृपभेद । २ हर्यश्ववंशीय पृ नृपभेद । उपपुराण है। पुराण देखो। वृहदुकथ (स क्ली) १महत् उकथ। (पु०) २ मग्नि- वन ( स० लि. ) वृहत् धनं यस्य । १ महाधन । वंशोव तपस्व पुल भन्निभेद । | (पु०)२इक्ष्वाकुवंशीय नपभेट । Vol. V. 119