पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४९८

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१६२ बेताल-बेतिया प्राइमरी कायेलका एक तार बैटरीके एक छोरसे तथा बारी होती है। प्रवाद है, कि अयोध्याके किसी राजाने दूसरा स्त्रि और एक पाश्चके कनडेन्सरके साथ मिला यहां यज्ञकुण्ड खोदवाया था। आज भी उसके आस- रहता है। स्तम्भके नोचेसे एक तार कनडेन्सरके अपर पासका स्थान खोदनेसे यक्षीय दग्ध शस्यादि मिलते पाच और 'की' के साथ तथा एक दुसरा तार बैटरीके हैं। इस ह्रदमें वहुतसी बड़ी बड़ी मछलियां और तीर- अन्य प्रान्तसे संयुक्त रहता है। वतों वनभागमें अपर्याप्त वन्यकुक्कुट मिलते हैं। ह्रदके 'कि' पर ( kcy ) दवाव डालनेसे ताड़ित बैटरोसे मध्यस्थित छोटे द्वीपके मध्यस्थलमें एक छोटा प्रासाद निकल कर स्क्र और स्त्रि के द्वारा पाइमरी कायेलमें प्रवेश निर्मित है। पहले उस स्थानसे राजपुत्रगण पक्षी आदिका करेगी। प्राइमरी कायेलमें ताडितके प्रवाहित होते ही : शिकार करते थे। अलावा इसके यहां दो प्राचीन हिन्दु- भीतरके लौहतारमें चुम्बक गुण आ जायगा । उस समय देवालय भी हैं। उक्त लौहखण्ड सामनेको ओर आकृष्ट होगा तथा स्प्रिं बेतिया-१ विहार और उड़ीसाके चम्पारन जिलेका एक स्क्र से विच्छिन्न हो जायगा। सुतरां उस समय ताड़ित- उत्तरीय उपविभाग। यह अक्षा० २६.३६ से २७३१ प्रवाह बन्द हो जायगा और माथ साथ लौहतारका उ० तथा० देशा० ८३°५० से ८४°४६ पृ०के मध्य अव- चुम्यकत्व गुण भी जाता रहेगा। अतः स्पिफिरसे स्थित है। भूपरिमाण २०१३ वर्गमील है। इस उप- पूर्वस्थान पर आ कर स्क्र के साथ मिल जायगा। इस विभागका दक्षिणी हिस्सा समतल है। यहां जो पर्वत- प्रकार धीरे धीरे द्र तगतिसे ताड़ित-प्रवाह रुद्ध और प्रवा- माला है वह करीब २० मील तक विस्तृत है । जनसंख्या हित होता रहेगा। इस अवस्थामें सेकण्डरी कायेलमें साढ़े सात लाखके करीब है। इसमें बतिया नामका प्रचण्ड वेगसे ताड़ित उत्पन्न हो कर इसके दोनों छोरोंसे एक शहर और १३१६ ग्राम लगते हैं । इस उपविभागका निकलती रहेगी। विस्तार हो जानेके भयसे इस तार- अधिकांश बेतियाराजके शासनामुक्त है। बेतियासे विहीन टेलिग्राफके अन्यान्य यन्त्रोंकी कथा नहीं लिखी १३ मील उत्तर पश्चिम रामनगर नामक पक गण्ड- ग्राम है जहां रामनगरके राजा रहते हैं। राजाको बेताल ( स० पु०) भूतयोनिविशेष । बेतान्न दग्वा । १६७६ ई०में दिल्लोसम्राट औरङ्गजेब द्वारा उपाधि मिली बेताल ( हिं० पु०) भाट, वंदी। थी। १८६० ई०में वृटिश सरकारने भी उसे स्वीकार बेताला (स स्त्री० ) वह वाद्य या संगीत ताल जो सह- कर लिया । त्रिवेणी नामको जो नहर काटी गई है उससे गामी नहीं है। दुर्भिक्षके समय उपविभागका भारी उपकार होता है। बेताहाजीपुर-युक्तप्रदेशके मीरट जिलेका एक गण्ड २ उक्त उपविभागका सदर। यह अक्षा० २६ ४८ ग्राम । यह लोशी नगरसे ३ मोल पश्चिममें अवस्थित है। उ० नथा देशा० ८४३० पू०के मध्य हरदा नदीके प्राचीन यहां मुसलमान साधु अबदुल्ला शाहकी दरगाह और गर्भ पर अवस्थित है। जनसंख्या २५ हजारके करीव सम्राट औरङ्गजेब द्वारा निर्मित एक मसजिद है। है जिनमेंसे हिन्दूकी संख्या ज्यादा है। २८६६ ई में बेति-अयोध्या प्रदेशके प्रतापगढ़ जिलान्तर्गत एक म्युनिस्वलिटी स्थापित हुई थी। यहां जो रोमन कैथ- नगर। अभी यह गण्ड ग्राममें परिणत हो गया है और लिक मिसन है उसे १७४० ई में फादर जोसेफ मेरोने एक सुविस्ती हदके किनारे अवस्थित है। हद वर्षा- स्थापित किया जो इसी शहर में रहते हैं। कहते हैं, कि कालमें १० वर्गमील और गोप्ममृतुमें ३ वर्ग मील स्थान उक्त जोसेफ साहब किसी समय नेपालसे बेतियाकी तक छा लेता था। अभी गङ्गाके साथ जो एक नहर- ओर जा रहे थे उसी समय राजा ध्र वसिंहसे इनका काटी गई है उससे इस हदका लगाव होनेके कारण अब परिचय हो गया। राजाकी कन्या सख्त बीमार थी उतना जल इसमें रहने नहीं पाता। हदके उत्तरी किनारे , जोसेफने उन्हें बिलकुल आरोग्य कर दिया था । इस सुन्दर सुन्दर बृक्षोंके यन हैं और अन्यान्य किनारे खेती- प्रत्युपकारके पुरस्कारस्वरूप राजाने उन्हें बेतियामें बसा गई।