पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१०२

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अगराड-अगम्या योग्य । अगण्ड (सं० पु०) बिना-हाथ पैरका कबन्ध। वह धड़। अगन (हिं० स्त्री०) १ अग्नि, आग। (पु०) २ अशुभ । जिसके हाथ-पैर कट गये हों अगनित (सं० अगणित) अगणित देखो। अगणनीय (सं० त्रि०) १ न गिनने योग्य । २ सामान्य | अगनी (हि० स्त्री०) १ अग्नि, आग। २ घोड़े के माथे- कौ भौंरी। ३ अगणित। ४ असंख्य । ५ बहुत । ६ बेशुमार। ७ बेहिसाब। ८ अनेक । साधारण । अगनू, अगनेउ, अगनेत (हि० पु०) अग्निकोण, दक्षिण अगणित (सं० वि०) अगणनीय । जो गिना न जा सके। और पूर्वके बीचको दिशा। अगण्य (सं० त्रि०) न-गण-यत् । धनगणं लब्ध्वा । पा० ८।४।८४ । अगम (स० पु०) न गच्छति, गम-अच्, नञ्-तत्। १ १ नगण्य । २ तुच्छ । ३ न गिनने योग्य । ४ सामान्य । वृक्ष, पेड़। २ पर्वत, पहाड़। ३ (वि०) न जानने ५ असंख्य । ६ अगणनीय । ७ अकिञ्चित्कर । ४ न पहुंचने योग्य । ५ गहन, विकट।६ अयोग्य । 2 छोटा। १० थोड़ासा। कठिन । ७ दुर्लभ, जो मिल न सके । ८ अपार,जिसका अगति (सं० स्त्री०) न-गम-क्तिन् । १ दुर्गति, बुरी गति, कोई पार न मिले। ८ दुर्बोध, जो समझमें न आये। दुर्दशा । २ उपायाभाव, अनुपाय। ३ उपचारराहित्य। १० अथाह, जिसको थाह न लगे। ४ वृक्ष । ५ पर्वत । ६ गतिहीन। ७ मृत्यु के पश्चात् बुरी अगमन (हिं० क्रि० वि०) आगे। पहिले। आदिमें। दशा, मोक्ष की अप्राप्ति। ८ बुरा फल । ८ बन्धन । १० प्रथमतः। नरक। अगमनीया (सं० स्त्री०) वह स्त्री जिसके साथ सम्भोग अगतिक (सत्रि०) जिसको गति या पैठ न हो। जिसे करना उचित नहीं। कहीं ठौर-ठिकाना न लगे। अशरण । अनाथ। दोन। अगमानी (हि. पु०) आगे चलनेवाला, अगुआ। अगती (हिं० वि०) १ जो मोक्ष (गति) का अधिकारी अगमासी (हि० स्त्रो०) १ हलको फालवाली लकड़ी। न हो। २ पापी। ३ कुकर्मा। ४ दुराचारी। २ फ़सलके अन्नसे दी जानेवाली हलवाहेको मजदूरी । ५ कुमार्गी। अगमूदैयन-दाक्षिणात्यकी एक जाति । इसके अधिकांश (पु०) पापी-आदमी, कुमार्गि-मनुष्य । लोग कृषिजीवी हैं। चिङ्गलिपट, उत्तर-अर्काट, सलेम, (स्त्री०) १ चक्रमर्दक । २ ददुन्न, चकौंड, पमार, त्रिचनापली प्रभृति स्थानोंमें यह जाति अधिक देखी दादमर्दन। ३ दद्रु नाशक । (हिं० वि०) ४ आगसे । जाती है। रीति-नीति और आचार-अनुष्ठान में यह पहिलेसे । अगत्तर (हिं० वि०) आनेवाला, भावी। बल्लालोंका अनुकरण किया करती है। ब्राह्मणोंके अगत्या (सं० अव्य०) १ आगसे, पहिलेसे । २ भविष्यत् संवमें आकर यह क्रमसे अधिकतर हिन्दू-भावापन्न में, आगेको। ३ अन्तमें। ४ एकाएक, अकस्मात् । हो रही है । बेलालोंको तरह यह जन्म, विवाह अगद (सं० पु०) नास्ति गदः रोगः यस्मात् ५-बहुव्री० । और श्राद्धादि कार्यों में ब्राह्मण पुरोहित नियुक्त १ औषधि, जिससे रोग मिट जाये। नास्ति गदः रोगः करती है। इसके अधिकांश लोग शैव हैं। साधारणतः यस्य, बहुव्री०। २ जिसके रोग न हो, सुस्थ, नौरोग, यह मृत देहको जला दिया करतौ ; किन्तु मट्टी भला चङ्गा, तनदुरुस्त । नगद व्यक्तायां वाचि अच् देनको भी प्रथा इसमें प्रचलित है। नञ्-तत् । (त्रि०) ३ अकथक, जो बात न करे, मुंह (सं० वि०) न-गम-यत् नञ्-तत्। चुप्या। ४ दैवशक्तिसम्पन्न रत्न-विशेष । ५ नदी विशेष । अगन्तव्य, गमनके अयोग्य, जहां कोई जा न सके । अगदङ्कार (सं० पु०) अगदं करोतीति क-अण ममा २ विकट, कठिन। ३ अपार, बहुत। ४ बुद्धिक गमः । उप-स। वैद्य, हकीम, बाहर। ५ बहुत गहरा। अगदतन्त्र (सं० पु०) विषैले कौड़ोंकी औषधियोंका अगम्या (स. स्त्री०) वह स्त्री जिसके साथ सम्भोग आयुर्वेदिक प्रकरण। करना निषिद्ध है। अगम्य १ डाकर।