पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अञ्जनयुग्म-अञ्जनेरी २१५ उत्तर ६ दुरङ्गी राजा। इनके पुत्रका नाम पुण्यवन्त था। बौद्धोंके ३ नदीविशष। कृष्णनगर जिले के अन्तर्गत अवदान ग्रन्थमें पुण्यवन्तके सम्बन्धपर कितनी हो बारुईहुदेसे दक्षिण और दोगाछिया और हंसखालौसे कहानियां लिखी हैं (महावन्त्ववदान) । यह नदी बही है। यात्रापुरके निकट अञ्जनयुग्म (सं० लो०) स्रोतोञ्जन और रसाञ्जन । अञ्जना नदी विधा बनी और आगे बढ़कर उभय धारा अञ्जनरस (सं० पु०) सन्निपातज्वरका नास । मामजोयानी ग्रामके निकटसे दहिण पहुचों और अञ्जनविधि (सं० पु.) नेत्रप्रसाधन-क्रियाविशेष । अन्तमें हरधामसे उत्तर होकर चाकदहके निकट अञ्जनवेल-बम्बई प्रेसिडेन्मोके अन्तर्गत रत्नागिरि गङ्गामें मिल गई हैं। राजा रुद्रके समय यह नदी जिलेका एक बन्दर। अक्षां' १७° ३३ उ. और वद्ध रहती थी। द्राधि० ७३° १३ पू०के मध्यमें यह अवस्थित है। ४ दिग्रहस्तिनौ। ५ आंखको फुन्सो। एक छोटी खाड़ीके पास अञ्जनवेल नामक नदी छिपकली। ७ धान्य-विशेष । किनार यह बसा है। इस बन्दरसे प्रति वत्सर प्रायः अञ्जनागिरि (सं० पु०) अञ्जनवर्णो गिरिः पर्वतः । साठ लाख रुपयेक द्रव्यादि भेजे और प्रायः पैंतालीस वनगिर्योः स'ज्ञायां कोटरकिंशुलकादीनाम् । पा ६।३।११७ नौलपर्वत। लाख रुपये के द्रव्यादि मंगाये जाते हैं। अञ्जनादि (सं० पु०) द्रव्यसमूह । अञ्जन, रसाञ्जन, अञ्जनशलाका (सं० स्त्री०) अञ्जनलेपनार्थ शलाका नागपुष्य, प्रियङ्गु, नौलोत्पल, नलद, नलिन, केशर मध्यपदलोपि-कर्मधा। चक्षुमें अञ्जन लगानेको और मधूक। सुश्रुतके मतमें इस द्रव्यका गुण शलाका, आंखमें सुरमा डालने की सलाई। यह प्रायः रक्तपित्त, विष और दाहनाशक है। सौसा धातुसे निर्मित और गुणसूची जैसी मोटी और अञ्जनाद्रि (सं० पु०) अञ्जनमिव कृष्णवर्ण: अद्रिः । बड़ी होती, किन्तु दोनो मुखों पर ढालू रहती है। नौलपर्वत। अञ्जना (सं० स्त्री.) अञ्जन-आप् । १ वानरो- अञ्जनाधिका, अञ्जनिका (सं० स्त्री० ) अञ्जना- विशेष, हनूमान्को माता। दधिका कृष्णवर्णत्वात् ५-तत् । १ अञ्जनिका, यह सुमेरु पर्वतके निकटस्थ प्रदेशवाले अधिपति हलिनी, हलाहल । २ क्षुद्र मूषिका, छोटा चूहा । केशरी वानरको पत्नी थीं। इनके गर्भ और पवनके अञ्जनानन्दन (सं० पु०) अञ्जनाके नन्दन, हनूमान् । औरससे हनूमान्का जन्म हुआ। अञ्जना बड़ी धौर अञ्जनाम्भ (स० क्लो०) अञ्जनका पानी। वीर नारी थीं। कहते हैं, कि हनूमान् लङ्काविजय | अञ्जनावली ( स० स्त्री० ) अञ्जन-मतुप्, मकारस्य होनेके बाद जब फिर मातासे मिलने गये, तब वः। अञ्जनं विद्यते अस्याः अधिककृष्णवर्णत्वात् । अञ्जनाने उन्हें तिरस्कार कर कहा,-'हनू ! तुम १ ईशानकोणको दिग्हस्तिनी, सुप्रतौक नामक धिक्कार है। तूने मेरा पुत्र होकर अतिसामान्य हस्तिको भार्या । कालाञ्जनो वृक्ष, कुटको । रावणके साथ युद्ध किया ! दश नखसे रावणके दश अञ्जनिक (स' त्रि) १ अञ्जनसम्बन्धी। स्त्रियां टाप मुण्ड नोच रामको उपहार ला न सका! सौताके अञ्जनिका । २ चूहा । ३ छिपकली। साथ अशोकवनको उठा लाने में असमर्थ हुआ ! अञ्जनी (स० स्त्री० ) अन्ज्-ल्य ट् कर्मणि, ङोप् । समुद्र क्यों बांधा गया ? तेरे निज शरीर विस्तार अज्यन्ते चन्दनकुमुमादिभिरसौ । १ कुङ्कुमादि अनु- कर सेतुस्वरूप बन जानेसे क्या काम न चलता ? लिप्त नारी। २ कालाजनी वृक्ष, कुटकी । ३ वानरो- तुझे धिक्कार, तू मेरा कुपुत्र है।' विशेष, हनूमान्को माता। २ काश्मीरको एक राणी, जो तोरमाणकी पत्नी आंखको फुन्सी। और वजेन्द्रको कन्या थीं। इनके पुत्रका नाम | अञ्जनेरी (अञ्जना-गिरि)-बम्बई प्रेसिडेन्सीका एक प्रवरसेन रहा। (राजतरङ्गिणी) पत्त। यह नासिकसे दक्षिण-पश्चिम साढ़े सात ४माया। ५ बिलनी,