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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४९३

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तान। ४८६ अनुरक्तप्रज–अनुराजी अनुरक्तप्रज (सं०वि०) प्रजाका प्रिय, रैयतका प्यारा, अथवा उत्साह, दूसरे दरजेका मतलब या जोश । जिसे लोग चाहते हों। ३ वैद्यकमें-अनुगत खाद, भोतरी जायका। अनुरक्तलोक (सं• पु०) सबका प्रिय व्यक्ति, हरदिल अनुरहस ( स० त्रि.) अनुगतं रहः निर्जन-स्थानं अजीज शख स, जिस आदमौसे सब कोई लगाव रतं वा, अत्या०-अच-स० । १ निर्जन देशके अनुगत, रखे। सुनसान, निराला, जहां कोई न रहे। २ सुरतप्राप्त । अनुरक्ति (सं० स्त्री०) अनु-रन्ज-क्तिन् । आसक्ति, ३ तत्त्वप्राप्त। (अव्य.) ४ एकान्तमें, पृथक् रूपसे, अनुराग, मुहब्बत, प्यार, लगाव । अलग, पोशीदगीपर। "इच्छानु रहस पतिम् ।” (भट्टि ४।२४ ) अनुरञ्जक (सं० त्रि.) अनु-रन्ज-णिच्- ल् । अनुराग (सं० पु०) अनु-रन्ज-घञ्। १ आसक्ति, १ अनुरागयुक्त बनानेवाला, जिसे देखकर पर आ स्नेह, प्रोति, मुहब्बत, प्यार, जोश, नेकखाहिश । जाये। २ रङ्ग चढ़ानेवाला, जो रंगामजी लगाये। (त्रि०) अनुगतः रागं रक्त-वर्णम्, अत्या. तत् । अनुरञ्जन (सं० लो०) अनु-रन्ज-णिच्-भावे ल्युट । २ रक्तवर्णप्राप्त, जो सुखं पड़ा हो। १ आसक्तकरण, लगाव, दिलबहलाव, प्यार, मुहब्बत अनुरागवत् (स• त्रि०) प्रिय, प्यारा, आसक्त, मुश्ताक, पैदा करने का काम। (त्रि०) कर्तरि नन्दादित्वात् फंसा हुवा, जो किसीसे प्रीतिका लगाव रखे। ल्यु । २ अनुरञ्जक, खुश करनेवाला, जो तबीयतपर अनुरागिणी (स० स्त्री०) गोत-विशेष, किसौ किस्मकी रङ्ग चढ़ा दे। अनुरञ्जित (सं० त्रि०) अनु-रञ्ज-णिच् कमणि क्त । अनुरागिता (सं० स्त्री०) प्रेम रखनेको स्थिति, १ प्रीतिसम्पादित, जिसे अनुराग लगा हो, मुहब्बतसे मुश्ताक होनेवाली हालत। जोशमें आया हुवा, खुश। २ रङ्ग चढ़ाया गया, अनुरागिन् (स' त्रि०) अनु-रन्ज-घिणुन्। अनुराग- जिसपर रङ्ग फिरा हो। युक्त, मुहब्बतसे मामूर, जो प्यार पैदा करे। अनुरणन (स० क्लो०) अनु-रण-भावे ल्यु ट। शब्दक अनुरागी, अनुरागिन् देखो। पौछका शब्द, आवाजके पोछेको आवाज, प्रतिध्वनि, अनुरागैङ्गित (सं• क्लो) प्रेम दिखानेवाला भाव बाज गश्त, अनुगत स्वर, पीछे निकला बोल । अथवा सङ्केत, जो बात अदा या मुहब्बत जाहिर करे। अनुरत (सं० वि०) अनु-रम्-कर्तरि क्त। अनुरक्त, अनुराजी, अनुजारी-लेबानन प्रदेशको असभ्य जाति- आसक्त, मुश्ताक, फंसा हुवा, जो किसीको दिलसे विशेष। इन लोगोंको संख्या कोई २०००० होगी। अनुराजियोंका एक सम्प्रदाय शम्सी कहलाता है। अनुरति (सं० स्त्री०) अनु-रम-तिन् । १ आसक्ति, यह शम्स यानी सूर्यदेवको पूजा करते हैं। उसीसे अनुराग, मुहब्बत, प्यार। २ प्रेम, इश्क, नेक खाहिश, बोध बंधता, कि इन्होंने ईरानके शिया धर्मसे सूर्यको उपासना सौखी है। अनुजारीका वासस्थान बिलकुल अनुरथ (स० पु.) कुरुवत्सके पुत्र और पुरुहोत्रके समुद्रकूलमें है, जो उत्तरमें तरतोयातक फैल रहा ; इससे पूर्व ओर अनुजारी गिरि खड़ा है। इसमें सन्देह अनुरथ्या ( स० स्त्री.) १ पथके पाखका मार्ग, नही हो सकता, कि अनुजारो पर्वतसे ही अनुजारी राहके किनारको गलौ, फुट-पाथ। २ पार्श्वका मार्ग, जातिका नामकरण निकला ; 'अनुराजी' शब्द, बगलको राह, पथका पाख, राहका किनारा। मालूम पड़ता, अनुजारीका अपभ्रंश है। हमारे देशमें अनुरस (सं० त्रि०) अनुगतं रसम्, अत्या-तत् । जैसे बताशेको बशाता बोलते, उसीतरह वर्ण उलट ३१. माधुर्यादि रसके अनुगत, जिसमें मौठा वगैरह मजा जानेसे अनुराजी शब्द बना होगा। अनेक इन लोगोंको मिले। (पु.) २ काव्यमें-द्वितीय श्रेणीका भाव खेलवायो, शम्सायो और मेखलाजायो भी कहते हैं। चाहे। भली चाह। पिता।