पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६७६

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अप्राप्तकाल-अप्रियवादिन् अप्राप्तकाल (सं० वि०) न प्राप्तः कालो यस्य । अप्रमाणिक (सं० त्रि०) प्रमाणे सिद्ध प्रमाणं वेत्ति १ अप्राप्त-वयस्क, नाबालिग। २ ऋतुविहीन, वा ठक्, नज-तत् । प्रमाण-अनभिज्ञ, प्रमाणरहित, बेमौसम, बेवक्त। (को०) ३ वादीका व्यत्यस्त मिथ्या, अयौक्तिक, बेसुबूत, मठ, जिसका कोई सुबूत नामक दोष विशेष, बेकायदा बहस । न रहे। (स्त्री०) अप्रमाणिकौ। अप्राप्तप्रापक (संपु०) अप्राप्तं प्रापयति बोधयति ; अप्रामाण्य (स. क्लो०) न प्रामाण्यम्, न -तत् । प्र-आप-णिच्-खुल, ६-तत्। प्रमाणान्तर द्वारा न १ प्रमाण वा यथार्थका प्रभाव, सुबूत या सच्ची बातका मिलनेवाला यागादि बोधक लिङादि शब्द । न होना। (त्रि.) नज-बहुव्री। २ प्रमाणशून्य, अप्राप्तयौवन (स० वि०) अतरुण, नाबालिग, जो बेसबूत । जवान् न हो। अप्रामि (सं० वि०) प्रकर्षण अम्यते हिंस्यते इदम् ; अप्राप्तवयस्, अप्राप्तव्यवहार देखो। प्र-अम-णिच् कर्मणि इण्, नज-तत्। अहिंसित, मारा अप्राप्तव्यवहार (सं० त्रि०) न प्राप्तः व्यवहारयोग्यः न जानेवाला। कालो यस्य । १ अप्राप्तकाल, नाबालिग, कानूनसे जो अप्रामिसत्य (वै० त्रि०) अप्रतिहत सत्यसम्पन्न, ध्रुव जवान् न हो। २ षोड़श वर्षसे अनधिक वयस्क, सोलह सत्यशाली, जिसको रास्तोमै दाग न लगा हो। सालसे कम उम्रवाला। नारदने व्यवस्था दी है, अप्रायत्य (स. क्लो) अशुद्धि, नापाकोज़गी, मुंह- "गर्भस्थ : सदृशे ज्ञेय आष्टमात् वत्सरात् शिशः । जोरी, सरकशी। बाल भाषीड़शात् वर्षात पोगण्डोऽपि निगद्यते । अप्रायु (सं० त्रि०) प्र-श्रा यु मिश्चणे बाहुलकात् क, परती व्यवहारजः स्वतन्त्रः पितराहते।" ततो नञ्-तत्। अप्रगत-मनस्क, अप्रमादी, मुस्तैद, अष्टमवर्ष वयःक्रम पर्यन्त शिशुको गर्भस्थ-जैसा तय्यार। समझना चाहिये। सोलह वत्सर वयस पर्यन्त बाल अप्रायुस् (सं० त्रि०) न प्रकृष्टं प्रगतं वा आयुर्यस्य । किंवा पोगण्ड कहलायेगा। उसके बाद मनुष्य अप्रकृष्ट आयु, जो गतायु न हो, जान्दार, ताकतवर। व्यवहार होता है। पौछे माता-पिताके मर जानेसे अप्रासङ्गिक (सं० त्रि.) प्रसङ्गशून्य, बेसिलसिला, वह स्वतन्त्र बन जायेगा। शास्त्र में लिखा है, कि नाबालिगका धन कोई न अप्रिय (सं० त्रि०) न प्रियम्, विरोधे नञ्तत् । खुर्चे। उसे बन्धु किंवा मित्रगणके पास रख छोड़ना १ अप्रीतिकर, अनभीष्ट, अनीप्सित, नापसन्द, ना- गवार, जो अच्छा न लगता हो। २ असुहत्, नाराज, अप्राप्ता (स. स्त्री०) न प्राप्तः विवाहकालो यस्याः, नाखुश, दोस्ती न रखनेवाला। उत्तरपदलोपः। कुमारी, जिस बालिकाका विवाह- ४ यक्ष-विशेष। काल न पहुंचा हो, लड़की। अप्रियंवद, अप्रियवादिन् देखो। अप्राप्तावसर (सं० त्रि.) ऋतुरहित, बेमौसम, अप्रियकर (सं• त्रि.) १ अक्कपा देखानेवाला, जो जिसका समय न पाया हो। मेहरबानो न करता हो। २ अमित्र, नाराज, जिसका अप्राप्ति (सं० स्त्री०) न प्राप्तिः, अभावे नत्र-तत् । दिल बिगड़ जाये। (स्त्री०) अप्रियकरा वा अप्रियकरी। १ अलाभ, पसम्भव, अनुपपत्ति, किल्लत, नाइकतिसाब, अप्रियकारिन्, अप्रियकर देखो। न मिलनेको हालत। अप्रियभागिन् (सं० त्रि०) हतभागा, कमबखत, अप्राप्य (संत्रि०) न प्राप्यम्, नज-तत् । १ दुष्याप्य, जिसका नसीब फूट जाये। अप्रापणीय, जो मिलने योगा न हो, मुश्किलसे पाया अप्रियवादिन् (सं• त्रि.) असभ्यतासे सम्भाषण जानेवाला। (अव्य०) २ न पाकर, बेपाये हुये। करते हुवा, जो नाराजीसे बोल रहा हो। बेमौका। चाहिये। (पु.) ३ शत्रु दुश्मन।