पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७५६

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अभिनिपत् -अभिगोप्त ७४४ अभिक्षिपत् (सं० त्रि०) अग्रगमन करते हुआ, जो | अभिगम्य (सं० त्रि.) आभिमुख्य न गन्तुं शक्यम्, सबकत ले जा रहा हो, आगे बढ़ जानेवाला। अभि-गम शक्यार्थे यत्। अभिमुख जाने योग्य, जिसके अभिख्या (सं० स्त्री०) प्रकर्षेण कथ्यन्ते आइयतेऽ सामने पहुंच सकें। २ निमन्त्रणदाता, न्योता नया; अभि-खया प्रकथने अङ, आलोप: टाप् च । देनेवाला। १ दृश्य, नजारा। २ चमत्कार, झलझलाहट । अभिगर ( स० पु. ) अभि-गृ स्तुतौ अप् । १ प्रशंसाका ३ शोभा, खूबसूरती। ४ कोत, नाम, माहात्मा, स्तव, तारीफका गौत। २ प्रशंसा, तारीफ़ । शोहरत, नामवरौ । ५ अपकीर्ति, बदनामी । ६ कथन, | अभिगर्जन (स. क्लो. ) भीषण चीत्कार, शोरोगुल । बात । अभिया तु शोभायाम् । कौर्तिस'नयोः' (हेम) ७ आह्वान, अभिगर्जित, अभिगर्जन देखो। सम्बोधन, पुकार, बुलावा । ८ प्रज्ञा, अक्लमन्दी। अभिगामिन् (संत्रि०) अभिगच्छति, अभि-गम- अभिख्यात (स'. त्रि.) प्रसिद्ध, मशहूर, जिसको णिनि। अभिगमनकर्ता, स्त्रीससगै सटानेवाला, जो लोग जान गये हों। औरतसे हमबिस्तरी रखता हो। अभिख्या (सं० त्रि०) अभिख्याति, अभि-ख्या-ढच् । अभिगामी, अभिगामिन् देखो। १ वक्ता, बोलनेवाला। २ गमनकर्ता, चलनेवाला । अभिगीत (स. त्रि) अभि गीयते स्म, अभि-गै-त । ३ द्रष्टा, देखनेवाला । (स्त्री०) डोप, अभिख्यात्री। आनुकूल्यके निमित्त तुत, समीपस्तुत, मुलाकातके अभिख्यान (सं० लौ) कीर्ति, यश, नाम, शोहरत । लिये गाकर जिसकी तारीफ को गयो हो। अभिगच्छत् (सं• त्रि०) गमन करते हुआ, पहुंचने- | अभिगुप्त (सं० त्रि०) अभिरक्षित, गुप्त, हिफाजत वाला, जो नजदीक जा रहा हो। किया गया, छिपा हुआ। अभिगत (सं• त्रि.) अभि-गम-त। आनुकूल्यप्राप्त, अभिगुप्ति ( स० स्त्री.) अभि-गुप रक्षणे क्तिन् । अभि- सेवित, अभिमुखगत, पास पहुंचा हुआ, जो सामने रक्षण, निगहबानो। चला गया हो। अभिगूर्ण (सं० वि०) अभि-गुर्-ता। उक्त, अभ्युद्यत, अभिगन्तव्य (सं० त्रि.) अभि-गम-तव्य । अभिगम्य, कहा गया, जो जाहिर रहा चुका ही। नज़दीक पहुंचने काबिल, सेवा किया जानेवाला । अभिगूर्त (वै० वि०) अभि-गुर-त, वेदे नत्वाभावः । अभिगन्तृ (सं० वि०) अभि-गम-ढच् । १ अभि उद्यत, कथित, राजी, तैयार, कहा हुआ। गमनकर्ता, जो पास पहुंच रहा हो। २ प्रज्ञ, समझ- अभिगूर्ति (स. स्त्री०) अभि-गुर-क्विन् । दार। ३ युद्ध निमित्त अभिमुख जानेवाला, जो लड़ उद्यम, इरादा, सजवीज.। नेके लिये आगे बढ़ रहा हो। (स्त्री०) अभिगन्त्री। अभिग्रहीत (सं० वि०) पकड़ा हुआ, जो बांध लिया अभिगम (सं० पु.) अभि-गम-धज । १ आभिमुख्य गया हो। गमन, भानुकूल्यहेतु गमन, पहुँच, मुलाकात। अभिग्रहोतपाणि (सं० वि०) आनुकूल्याथै टहीतः २ स्त्रीसन, हमबिस्तरौ। पाणिः हस्तो येन, बहुव्री०। जो पानुकूल्य पानेके अभिगमन (सं'• क्लो०) अभि-गम-ल्युट । १ अभिगम । लिये कृताञ्जलि हुआ हो, दस्त बस्ता, हाथ जोड़ने- २ रामानुज वैष्णवोंके मतानुसार भगवान्को पांच प्रकार वाला। उपासनामें एक उपासना विशेषको भी अभिगमन कहते अभिगेष्णु (सं० त्रि०) अभि-गै-इष्णुच् । समोपका हैं। पांच प्रकारको उपासना यह है-१ अभिगमन, गायक, खासा गानेवाला, जिस शखू सका गाना अच्छा २ उपादान, ३ ईज्या, ४ स्वाध्याय, ५ योग। देवालय लगे। और देवप्रतिमाके साफ करने और सुसज्जितादि अभिगोप्त (सं० वि०) अभि सर्वतोभावेन गोपयति, रखनेको भी अभिगमन कहते हैं। अभि-गुप-वच् । सकल प्रकार रक्षक, हरतरह निग- Vol. I. 188