कट -कदम कत, वर्ता देखो। कत्रिका, वर्तिका देखो। कर्तृक (म त्रि०) प्रतिहस्त, प्रतिनिधि, कारगुजार, | कनों (सं० स्त्री० ) कंतरनी, के यो । करनेवाला। कर्त्य (स.वि.) कर्तन किया जानेवाला, जो कर्तृका (सं० स्त्री०) कन्तति छिनत्ति, कत्-ढच् कटनेवाला हो। खल्पार्थे कन्-टाए। खुद्रखड़ग, कटारी। कौं (सं० स्त्री०) करोति या, कटच्-डोम् । १ कार्य- "हास्ययुक्ता विनेवाय नपालकटं काकराम् ।" (नन्नसार, यामाध्यान) सम्यादन-कारिणी, काम बनानेवाली। २ प्रभुपनी, कर्ट व (सं० लो०) कर्तुभावः, कट त्व। कर्ता का मालिकको बीवी। 'धर्म, कारगुजारी, करनेवालेको माकूलियत । कत्ल (सं० लो०) क-वन् । वव्याधै नयकेन् केन्यत्वनः । "नकवन करणि लोकस्य मजति प्रक्षः।" (गौता ५१३) पाशा१४। हत, घो। कटपुर (सं० लो०) नगरविशेष, एक शहर । यह कद (सं• पु० ) कद-पच् । कर्दम, कीचड़ । भारतके उत्तरपूर्व अञ्चलमें अवस्थित है। समुद्रगुप्तने कदंड-पन्नाबके कांगड़ा जिलेका मध्यवर्ती एक ग्राम । यह स्थान जय किया था। , समुद्रगुप्त देखो। यह भागनदोके वामकूलपर प्रवस्थित है। कर्दमें करवाचक, कर्ट वाचा देखो। अच्छे अच्छे मकान बने हैं। कटवाची, कर्ट वाचा देखो। कदंट (सं० पु. ) कदै कर्दम अति कारणत्वे न कट वाच्य (सं० पु०) कांवाच्यो यत्र, बहुव्री० । प्राप्नोति, कद-पट् अच् । १ पह, कोचड़। २ करहाट, क्रियापद हारा कता को लक्षित करनेवाला वाक्य, कंवलको जड़।३ मृणाल, कंवलको डण्डौ। ४ जलन- जिस जुमलेमें फेलसे फायलको समझ सके। (Active टपमात्र, पनिहा घास। (त्रि.) ५ पार, कीचड़में voice) इसमें कता प्रधान रहता और कर्म में 'कोचिन चन्ननेवाला। लगता है जैसे-रामने रावणको मारा। प्रत्येक क्रियाका कर्दन (स' लो० ) कर्दते, कद भाव त्य ट । कुधि- प्रकृत रूप कटवाय ही होता है। जैसे-लिखना, शब्द, पेटको आवाज, गुड़गुड़ाहट । पढ़ना, लड़ना, हंसना, खेलना, कूदना। किन्तु कर्म- | कदम (सं० पु०-लो०) कदं-प्रम । कविको रमः । उए ४४८॥ वांच्यमें प्रधानं क्रिया भूतकालमें पाती और उसमें १ पङ्ख, कीचड़, चहला। इसका संस्कृत पर्याय - 'नानी' क्रिया पीछे जोड़ दी जाती है। जैसे-लिखा निषंदर, जम्वाल, ‘पद्य और शाद है। राजवल्लभके या पढ़ा जाना। फिर क-वाच्यसे कर्मवाच्य बनाने में मतसे कर्दम शीतल, कंक्ष और विषरोग, वेदना, दाह कर्मको कती और कतीको करण ठहराते हैं। जैसे तथा शोथनाशक होता है। रामने रावणको मारा' कट वाच्य का 'रावण रामसे प्रजापति विशेष । इनके पिताका नाम कौर्तिमान् और "मारा गया' करवाच्य हुवा। पुत्रशा नाम अनङ्ग था। (भारत, शान्ति) यह ब्रह्माकी कटवांच्यक्रिया (सं० स्त्रों० ) क वाचा देखो। छायासे उत्पत्र हुये। फिर इन्होंने सरखतीतीर कटस्थ (स.नि.) कतरि कट सम्पादनयोग्य विन्दुसरतीर्थ में दश सहस्र वत्संर तपस्या की। स्वाय- 'तिष्ठति, कळं स्था-ड। कट स्थानीय, कताका प्रति- म्भवमनुको कन्या देवहुति इनको पनी थौं। पुत्रका निधि, करनेवालेको जगह रहनेवाला। नाम कपिलदेव रहा। इनके कलादि नव कन्या भी कटस्थ क्रियक (वि.) कतामें अपने कार्यको थौं। कपिल और कला देखो। ३ पाप, गुनाइ। ४ छाया, परकाहीं। “वदेषु कदमः भन्दश्शायायां वर्तते स्फुटम् (ब्रज लगानेवाला, जो अपना काम फायलसे रखता हो। कटस्थभावक (सं० वि०) कतामें अपना भाव ब्रा० २२०) ५ नागविशेष, एक सांप। “वर्दमय महानागा रखनेवाला। नागय बहुमूखकः।" (मारत १३१८) मृत्तिका, महो। ७ मत, कूड़ा। ७ प्रजापति पुनके एक पुन। कत्तृका (सं• स्त्री०) शुद्र खड्ग,कटारी,शिकारीको कुरों। २ वायम्भुव मन्वन्तरके
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१४५
दिखावट