पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१५५

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१ कर्म करनेको भूमि, काम बनानेको ! कर्म देखो। कर्मकाण्डी-कर्मचित काण्डम्, मध्यपदलो। १ कर्मका कर्तव्यता-प्रति- ६.तत् । पादक वेदांश । कम देखो। २ धर्मसम्बन्धीय कर्म जगह। भारतवर्ष । इस स्थानपर कर्म करनेसे यज्ञादि। फलानुसार पन्यान्य वर्षमें जन्म मिलता है। कर्मकाण्डी ( स० पु०) १ यज्ञादि कम विधिवत् करने. "भनापि भारतमेव वर्ष' कमवम् । पन्यान्वष्टवापि सनि पु- वाला,जो कम का कर्तव्यताप्रतिपादक वेदांश पढ़ा हो। शेषोपभोगस्थानानि मौमखगपादानि व्यपदिन्ति।" (मागवव U२०११) कर्मकार (सं० वि०) कम करोति भृति विना इति कथित वर्षसमूहके मध्य भारतवर्ष हो कर्मक्षेत्र शेषः । १ वेतन व्यतिरेक कार्यकारक, वेगार, जो विला है। अन्यान्य प्रष्ट वर्ष खगवासियोंके प्रवशिष्ट पुख्य- उजरत काम करता हो। २ कार्यकारक, काम भोगका स्थान होते हैं। इससे उनको भौमवर्ग बनानेवाला। (पु.) ३ वृष, बैल। ४ जातिविशेष, कहते हैं। लोहार। लोधार देखो। यह विश्वकर्माके औरस और कर्मग्रन्थि (सं०पु०) कर्मणां ग्रन्यिवन्धनमस्मात्, बहुव्री०।- शूद्राके गर्भसे उत्पन्न हुवा है। पजानजन्य वासनारूप दोष। यही वासना सकर "इरिणाचि कटाचेष पात्मानमवलोकय । प्रवृत्ति और वन्धनका हेतु है। महि खड़ी विजानाति कर कार खकारणम् ॥” (उबट) कर्मघात (सं० पु०) कमका विनाश, काम छोड़ को कारक (सं० वि०) कर्म-क-लु ल । १ कार्यकारक, | बैठनेको हालत। काम करनेवाला । (पु.) व्याकरणोत कारक विशेष। कर्मचण्डाल (सं० पु० ) कर्मणा चहाल इव । १पसूयक, हिंस्रक, मारकाट करनेवाला। २ पिएन, कर्मकारी (सं० वि०) कम करोति, कर्मक णिनि । खल, चुगलखोर । ३ कृतघ्न, एहसान फरामोग। कर्मकारक, काम करनेवाला। ४ अत्यन्त क्रोधी, निहायत गु.स्मावर । "f विदिला सुचरित गूढ सत् कर्मकारिमिः।" (मनु स२६१) "अस्यकः पियनय कवनो.दीर्घरोषकः। कर्मकामुक (6.पु०-लो०) सुदृढ़ चाप, बढ़िया कमान् । चत्वारः कर्मचणाला जन्मतयापि पञ्चकः।" (बशिष्ठ) कमकीलक ( पु०) कर्मणा कोलक इव वस्त्र- चालनादिना गृहस्थानां मानरमाकपाटकोलक "उत्तिष्ठ गन्यवां रीही त्यच्यतां चन्द्रसङ्गमः । कर्मचणाल यौगोब्ब मम पापचयं कुरु।" (ग्रहपछि खान-मन्त्र) खरूपः। रनक, धोबी।. कर्मकुशलः (सं० वि०) कर्मणि कुशलः, ७-तत। कर्मचन्द्र (स'. पु०) मानव देशके एक राजा । कम में निपुण, काममें होशियार। हिन्दी में कर्मचन्द्र भाग्यको कहते हैं। कर्मवत् (सं० वि०) कर्म करोति, कम न-क-क्षिप् । कर्मचारी (सं० वि०) कर्मणि घरति, कम घर्-पिनि । कर्मकारक, काम करनेवाला। वेतन पर कार्य करनेवाचा, जो तनखाए पर काम "क्षमापि विविध प्रेयमय राममेव च। करता हो। अनभं दासको अभं कर्मळता खतम्" (मिताघरा) कर्मचित् (सं० वि०) कर्म-चि भूत क्षिप् । १ इतकम, कमवतवान् (सं: पु०) धर्म सम्बन्धीय कृत्य कराने किया हुवा काम। (वै०) २ कर्म द्वारा सन्धित कामसे बना हुवा। बांला। पत्य (दै० को०) व्यवसाय, उसाइ, फुरती। "कममयान् कर्मचितस्ते कम का धीयन्ते । कर्मपा चौबन्।" (शतपथना-पाश) बर्मचम (सं.वि.) कर्मणि चमः समर्थः, ७-तत् । कम करनेको समर्थ, काम कर सकनेवाला। कर्मचित (व.वि.) कर्मया चितः, कर्म-चिका कम: "भावाकम दम दे चामो धर्म इवाधिवः।" :(र) निष्याध, कम दाग सम्पादन किया जानवाला। बर्मन (म.की.) कर्मणां क्रियानुष्ठानानां विम्, “तय वर्मचियो बोका बोयवे एवममुन प्रचचिकः।" (वेदपरि.) . ।