पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

किया हुवा। पनदासने कर्पू खेद-कलकत्ता उप ८२ । १ कृषि, खेती,... २ जीविका, रोजगार । । कलईगर. (फा• पु०) रङ्गलेपन चढ़ानेवाचा, जो ३ करोषाग्नि, सूखे गोबरको भाग । (स्त्री०) कलई करता हो। ४ कृत्रिम क्षुद्र जलाशय, छोटा बनाया हुवा तालाब। कलईदार ( फा० वि० ) रङ्गलेपनविशिष्ठ, कराई ५ नदीमात्र, दरया। ६ इष्टिखास, पक्का गड्ढा। इसमें यनीय अग्नि स्थापन करते हैं। ७ नहर। कलक (सं० पु.) कलते, कल्-खुल स्वायं कन्। कर्ष खेद (सं० पु.), खेदविशेष, किसी किस्मका १ शकुलमत्य, एक मछत्ती। पसेव। स्थानको देख एक गड्ढा खोद लेते और उसे २ वेतसवृक्ष, वेंतका पेड़, किलक । दीस अधूम अङ्गारसे पूर देते हैं। फिर उस पर पलंग कलक (प्र. पु.) १ दुःख, रत, सोच । २ व्याकुसता, विछाकर सीनसे पसीना आता और शरीर हलका पड़ घबराहट। जाता है। (मुक्षुत) कहिं (सं० अव्य.) किम्-हिल कादेशः। कलक (हिं• पु०) कल्ला, धरन। कक्र देखो। हिलन्यतरस्याम्। पापाश॥ किस समय, कव। कलकण्ठ (सं० पु. ) कन्चप्रधानः कण्ठो यस्स। कहिचित् (सं० अव्य० ) कहिं च चिच, इन्द । किसी १ कोकिल, कोयल। २ हंस । ३ पारावत, कबूतर । ४ शकपक्षी, तोता। ५ करध्वनि, मोठी आवाज। समय, कभी न कभी। कल ( पु०-लो०) कड़ति माद्यति भनेन, कड़- (वि.) किलध्वनिकारी, मोठी भावान निकालनेवाला। घञ् डलयोरेकत्वम् । कलकत्ता-भारतका सर्वप्रधान नगर। यह प्रचार इलय। पा २०१२॥ १ शुक्र वीर्य । २ शालवृक्ष, सालका पेड़। ३ बदरीगुल्म, २२. २४ उ० पार देशा०८८ २४ पू, भागीरयो वेरका झाड़। ४ मधुरास्क टध्वनि, मोठी और समझ नदीके पूर्व तट पर अवस्थित है। इसको भूमिका म पड़नेवाली आवाज। ५चार मात्राका अवकाश। परिमाण २७२६७ एकर पौर लोकसंख्या प्रायः (त्रि.) ६ अजीणं, कच्चा। ७ अव्यह समझन १० लाख है। पहले यह भारतको राजधानी रहा। पड़नेवाला। ८ मधुर वा निनखरयुख, मोठी या किन्तु १९१२ ई के दिसम्बर मास राजधानी दिली नीची पावाजवाला। ८ दुर्बल, कमजोर । चली गयी। कल (हिं० स्त्री.) १ कस्यता, सेहत, पाराम । इतिहास-१५९६ ई०को सम्राट अकबरके प्रधान- २ सुख, चैन । ३.सन्तोष, तसनी। ४ आगामी सचिव अवुलफज्लके बनाये आईन-इ-प्रकवरी प्रत्वमें दिवस, भानेवाला दिन। ५ गत दिवस, गयां हुवा कलकत्तेका प्रथम ऐतिहासिक उलेख मिलता है। दिन। ६ भविष्यत् काल, पायिन्दा वक्त । इससे पूर्व प्रन्य किसी ऐतिहासिक अथवा प्रामाणिक. ग्रन्थमें कलकत्तेका नाम नहीं पाया। प्रकवरक राजस्व- पहलू, भोर । ८ अङ्ग, पुरजा। ८ कला, ढङ्गः । सचिव टोडरमलको बनायो तालिका वडादेशको कई १० यन्त्र, औजार। ११ बन्दुकका घोड़ा। (वि.) १२ कांता, स्याह। यह शब्द विशेष्यके पहले यौगिक भागों या सरकारों में बांटती है। कलकत्ता सातगांव. सरकारमें रहा, कलकत्ते, बारवाकपुर और बकुया रूपसे पाता है। यथा-कलमुहा। कसइया (हि.स्त्री०) १ कलाबाजी, कलैया । २ करती, तीनों महालोंसे २३४०५) रु० राजस्वस्वरूप वादगाही कोषमें जमा होता था। काट कूट, तोड़मरोड़। कम् (प्र. स्त्री०) १ रा, रांगा। २ गलेपन, पाईन-इ-अकबरी बनने के पीछे और बादेपसे रंगकी पोत । यह बरतनपर कसाव न लगनेको युरोपीयोंका संसव नगर्नसे पहले किसी मुसलमान चढ़ायी जाती है।३ वर्णक, रंग, वारनिय। ४ भावरण, इतिहास-लेखकके विरचित पुस्तकमें कलकत्ता शाह चमक, देखा। ५ चूर्णखण्ड, चुना। देख नहीं पड़ता। किन्तु कवि कविकार मुकन्द- 1 ७ पावं,