पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१८८

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कलकत्ता दक्षिण सीमा-का पन्त है। पश्चिम सीमा-शेषोख पादिगा और भागोरधो सङ्गमके मुख पर एक स्थानसे लगाकर भागीरथीके पश्चिम तौर निम्न जल सेतु है। वह मारकिस अव-इष्टिङ्गसके शासन रेखा चिट्ट ही क्रमशः रामकृष्णपुर, हावड़ा और काल साधारण चन्दे से बना था। इससे उसका नाम सलकियाघाट छोड चितपुरवाले पुलके निकट (नदीके . 'हेष्टिङ्गस बिज' पड़ा। खिदिरपुरसे उस सेतु पार- पयिम तोर) पूर्वोत जाफरपुरमें करनेल रावटसनके कर कुलीबाजार नाना पड़ता है। यहां गवरनमेण्टको बागके उत्तर कोण होकर शेष हुयी है। कमसरियटके गुदाम हैं। १७७५ ई०की ५ वी पगस्त- पूर्वकथित विधि (Act 56)के अनुसार स्थानीय को ब्राह्मण-वंशके महाराज नन्दकुमारने यहाँ फांसी गवरनमेण्ट सीमा बदलनेको सक्षम थी। किन्तु कल. पायी थी। नन्दकुमार देखी। कसेकी सीमा में फिर कुछ देरफेर न हुवा। किन्तु वर्तमान अलीपुरके सेतुसे थोड़ी दूर दो पक्ष रहे। मालूम नहीं-किस समय कलकत्ते पोरं पञ्चाग्राम उन्होंके नीचे वारेन हेष्टिङ्गस और सर फिलिप फ्रान- उभयको सीमा ठहरायो गयो। १७८४ ई.को घोषणा सिस का हन्दयुद्ध हुवा। अलीपुरके सामरिक अस्पताल पन निकलनेसे इस सौमाके सम्बन्ध में कुछ गड़बड़ में पहले सदर दीवानी या अपीचको पदालत लगती पड़ा। क्योंकि इसमें पूर्व सीमाके लिये लिखा था थी। बड़ी अदालतसे मिल जानेपर उ भवनमें जहां तक मराठा खात देख पड़ता, वहीं कन्चकत्तेकी सामरिक अस्पताल (Military Hospital) हो गया। सौमाका अन्त मिलता है। किन्तु न तो यह खात भवनसे पूर्व नगरके सामने पागला गारद पोर माषा- सम्पूर्ण खोदा गया और न मछुनाबालार सड़कके रण चिकित्सालय (General Hospital) रक्षा। दक्षिण इसका कोई चिह्न देख पड़ा। यहां पागे शेषोक्त भवन पहले किसी धनौका बाग था। पीछे सरकुलर रोड ( उस समय इसको बैठकखाना रोड १८८ को गवरनमेण्टने उसे मोल ले साधारण कहते थे) और सरकुलर रोडसे आदिगङ्गाके दक्षिण चिकित्सालय स्थापन किया। सक सीमा लगी है। स्पष्ट समझ नहीं सकते १७९.४ उत चिकित्सालयसे कुछ पूर्वदिक पानपर चौरङ्गी दे को कहां तक पूर्वदक्षिण सोमा रही। १७५७ ई०को नामक मार्ग है। यह चितपुरसे कालीघाट तक विस्तृत कलकत्तेका नो मानचित्र बना, उसकी नापमें सम्भवतः है। पहले यात्री चितपुरमें चित्रेश्वरीका दर्शन कर भ्रम था। अथवा कलकत्तेकी सीमा उस समय सम्पूर्ण | कालीघाट जाते थे। चौरी पश्चिम किले का मैदान भिन थी। उस मानचित्रमें एमनेष्ठको भूमिका और पूर्व सम्धान्त पगारेजों के रहनेका स्थान है। पूर्व- परिमाण असतो नापसे विलकुन्त बाधा लगा है। फिर कालको यह स्थान और मैदान निविड़ वनसे प्रच्छन्न १८३८९ को 'फोवर इसपिटाल कमिटी के समक्ष था। वन्य वराह व्याघ्र प्रकृति हिंस्रक जन्तु इसमें सायदानमें डाकर निकोलसन साहचने कहा था, भरे रहे।- वनके मध्य दुर्दान्त डाकुवाका पडा था। '३० वार पूर्व साधारण तथा सामरिक अस्पताल अस्त्रशस्त न लेकर इस पथमें चलना कठिन रहा। भाध मील दक्षिण एक स्तम्भ प्रोथित था। इसमें किसी किसी के कथनानुसार उस समय यहां गोरक्ष- लिखा रक्षायहां फोर्ट विलियमका एसदेनेड शेष नाथके एक शिष्य वास करते थे। उनका नाम चौरङ्गी हुवा है। फलतः यह निर्णय करना अतीव सुकठिन हठयोगौ रक्षा इसीसे लोग इस राइको चौरङ्गी करते -किस समय कनकत्तेको क्या सीमा थी। हैं। परन्तु चौरङ्गी नाम अधिक दिनका प्राचीन समझ - Solections from the Calcutta Gazette, Vol. IL by नहीं पड़ता। · १७५८-५८ ई० को नवाव मौरजाफरके W. S. Seton Kurr, 0. 8. p. 129, i. पुत्र मौरन एक सनद दी थी। उसके एक पत्र में सबसे + Census Ikeport of Calcutta, 1878, by E; Beverly. पहले चौरङ्गी मौजेका नाम लिखा गया। उस समय Raqr C, 8, 7, 84, यह स्थान कुछ परगने कलकत्ते और कुछ परगने पार-. Vol. IV. 48