पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१९७

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- इसका काठ १६८ कलना-कलफ हमलका लिपटाव । ५ एकमासिक गर्भ, एक महीनेका । कलन्दरी (हिं० स्त्री०) कलादर लगा हुश खोमा, इमला खंटीदार छोलदागे। "कलन करावण पञ्चरावे प बुदबुदम् । कलन्दिका (सस्त्री०) कलं कामं सर्वामोष्टं ददाति, इशाईन तु फर्कन्धः पैमणं वा तनः परम् ॥” ( भागवत ३३१०२) अल-दा-क संज्ञायां कन्-टाय अस इत्वम् पृयोदरादि- ६ ग्रहण, लेवायो। ७ ग्रास, कौर। ८ ज्ञान, समझ, लात् मुम् च। सर्वविद्या, इल्म, सब काम निकालने पहचान। वाली समझा "लोकानामन्तवत् शाल वालोऽन्यः कलनामकः ।" (सूर्यसिद्धान्त) कलन्धु (सं० पु.) कलाया: मावाया पन्धुरिव, शक- 'खनात्मकः ज्ञानविषयसपः नातु यक्व प्रत्यर्थः। (रखनाथ) धादिबादलोपः। धोलीयाक, एक सन्नी। (पु.) के नलं चाति, क-ना-क; कचः सन् नमति, कलप (हिं० पु०) १ कला, कपड़े पर चढ़ाया कल-नम-डा वैतम, बेंत। जानवाल एक लेप। २ खिजाब, बांच काले करनेका कलना (सं० स्त्री० ) कन्त भावे युद्-टाए। १ वथी- रौगुन। ३ कल्प। कल्प देखो। भूतता, तावेदारी। कचपत्तर (हिं० पु०) वृक्षविशेष, एक पेड़। यह मिमले "करारं यतथे ई सवलिसवनः कालकलना ।" (भानन्दलहरो) और जौसरमें अधिक उपजता है २ जल्पना, कहासुनी, कलकल । ३ पवमोचन। खेतवणं तथा सदृढ़ रहसा पोर रहनिर्माण एवं कपिक यन्वादिमें लगता है। "पिच्छावचा कलनामिवीरः।" (माघ) कलपना (हिं. क्रि०) १ दुःख करना, विपना, कलनाद (सं० पु. ) कली नादोऽस्य, बहुनौ०। रह रहके रोना। २ कलप चढ़ाना, इसतिरो लगाना। १ कलईस। २ कलध्वनि, मोठी मोठी बोली। ३ कल्पना करना, अन्दान लगाना। (वि.) ३ कलध्वनियुक्त, गानेवाला। कलपना (हि.) कल्पना देखो। कसतक (सं० पु.) पक्षिविशेष, किसी किस्मको कत्तपनी (हिं० ) कलाना देशो। चिड़िया। कलपाना (हिं• क्रि०) दुःख देखाना, तरसाना, रचाना। कलन्दक (सं० पु० ) १ गोत्रप्रवरमुनिविशेष, किसी कलपून (हिं. पु०) क्षविशेष, एक पेड़। यह वृक्ष ऋषिका नाम। २ कलन्तक, एक चिड़िया। उत्तर एवं पूर्व वङ्गालमें उपजता और सतत हरित कलन्दर (सं० पु.) कलं शास्त्रविहितं वाक्यं विटा रहता है। काठ रहावर्ण तथा सुद निता, चार वा दृणाति, कल-ह-खच्-मुम् । वर्णसहरजाति बहुमूल्य पड़ता और ग्टहरू निर्माण कार्यमें लगता है। विशेष, एक दोगली कोम। लेट पुरुषके औरस और कलपोरिया (हिं. स्त्रीग) पषिविशेष, एक चिड़िया। तीवर स्त्रीके गर्भसे कलन्दर निकले हैं। इसका पोटा वणवणं होता है। कलन्दर (अ.पु०) मुसलमान साधुविशेष, किसी कलप्पा (हिं. पु.) द्रयविशेष, एक चीज, या किसका फकीर। यह संसारसे विरक्त रहते हैं। कठोर तथा खेत वर्ण रहता और कमो कमो नारि- २मदारी। यह भाल और बान्दर नचाते हैं। कैलके अभ्यन्तरमें मिलता है। चौना लोग इसे बह- कलन्दा देखो। मूल्य समझते और 'नारियलका मोतो करते हैं। कलन्दर, कलार देखो। कलम (हिं. ५०) तण्डुल वा आरारोटका तरत लेप, कसन्दरा (प. पु.) १ वस्त्रविशेष, एक कपड़ा। यह चावल या पारारोटको पतली लेयो। इसे माड़ो भी रूयी, रेशम और टसरसे बनता है। २ कांटा, खं टो। कहते हैं। यह वस्त्रका पास्तरप कठिन तथा समान यह खोममें कपड़ा या रेशम सयेट कोई चीज टांगने के बनाने में इगता है। २ सुखका बथवर्ष विक, झाई, चेहरका कालापन। लिये लगाया जाता है।