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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१९६

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बलकुल देखो। ४ भग। । कलछुलो-कलन गरम बाल इसमें भरकर निकालते और खपही । कलतूलिका (सस्त्री.) के मुखं विषयत्वेन नाति डालते हैं। ग्वाति कलं कामं तूलयति पूरयति,. कल-तूल खुल- कलकुली (हिं. स्त्री०) लौह वा पित्तलपावविशेष, टाप अतं इत्वम्। १ इच्छावती, खाहिश रखनेवाली। लोहे या पीतलका एक बरतन। २ कामुकी, छिनाल । इसका संस्कृत पर्याय-वाच्छिनी कलज (स.पु.) कुक्कुट, मुरगा। और ललिका है। कलजात (सं० पु.) कलमशालि, कलमी धान। कलन ( क्ली) गड़ सेचने पवन गकारस्य कजिब्भा (हि.नि.) १ कृष्णवर्ण जिहाविशिष्ट, ककारः। गडादेय क) सण १०६ । १ स्त्री, पौरत । काली जीमवाला। २ पनिष्ट विषयका सत्यवता, २ भार्या, बीवी। ३ नितम्ब, चूतड़ । जिसके मुंहसे निकली बुरी बात झठ न ठहरे। ५ दुर्गस्थान, किला। कलजीहा (हिं० वि०) १ कलजिब्भा। वलनिवभा देखो। कलत्रवान् (सं० पु. ) कसत्रमस्यास्ति, कलत्र-मतप (पु.) हस्तिविशेष, काली जीभका हाथी। यह मस्य वः । सस्त्रोक, जोड़वाला। दूषित होता है। कलती (सं० पु०) कलनमस्त्यस्य, कलव-इनि । कलवा (हिं० वि०) श्यामवर्ण, सांवला। कलववान् देखो। कलन (स० पु०) के सनयति, क-लजि-अण् । १ विषा- कलदार (हिं.वि.) १ यन्त्रविशिष्ट, पंचदार । स्त्रहत मृग वा पक्षी, जहरीले इथियारसे मारा हुवा (पु.) २ अङ्गारेजी रुपया। जानवर या परिन्द। २ ताम्रकूट, तम्बाकू,। ३ परि- कलदुमा (हिं.वि.) १ कण्यावर्ण वर्णपुच्छविशिष्ट, काली माणविशेष, एक सौल। यह १० पलका होता है। पूंछ वाला। (पु०) २ कपोतविशेष, एक कबूतर । ४ वेबलता, उसकी । (लो०) ५ विषास्त्रहत इसका पुच्छ मष्णवर्ण होता है। मृगपचीमांस, जहरीले इथियारसे मारे हुये जानवर या परिन्दका गोश्त। कलधत (सं० लो.) कलेन अवयवेन धूतं शुद्धम्, कनजाधिकरण (सं० ली.) पञ्चावयव न्यायविशेष, ३-तत्। १ रौप्य, चांदी। (त्रि.) कलेन अध्यक्ष एक मन्तिक । इसमें 'कलन न खाना चाहिये' प्रभृति मधुरध्वनिना धूतं मनोरमम्। २ अव्यक्त मधुरखर युक्ता, समझ न पड़नेवाली मीठी पावान से भरा हुवा। बाक्य अवलम्बन किये जाते हैं। कलधौत (स क्लो) कलेन अवयवेन धूतं सबम् । कलट (सं० लो०) के जलं लटति पाहणोति, क. • चट-पच्। ढणादि निर्मित हाच्छादन, छप्पर । १ वर्ण, मोना। २ रौप्य, चांदी। इसका संस्कृत नामान्तर कुटल है। "अधिरावि यव मिपतनमौलिहां कलधीतधीमशिलवेश्माना रुची।" (माघ) कलटोरा (हि.पु.) कपोतविशेष, एक कबूतर । ३ अव्य मधुर ध्वनि, मीठी मीठी बोलो। इसका समय शरीर खेत और चच्चु कृष्णवणं होता है। कलध्वनि (पु.) कला प्रस्फुटमधुर ध्वनियंस्य, कलहर, बखकर देखो। बहुव्री०। १ कपोत, कबूतर। २ कोकिल, कोयल। कलहर (अं• पु० = Calendar) पत्रिका, तकवीम, ३ मयूर,मोर । ४ अव्यक्ता मधुर स्वर,मोठी मीठी बोली। पत्रा। "अप्सरागयसकोतवालपनिनिनादित।" (महानिर्वाणत.) कलत (२०.वि.) अकेश, गना, जिसके सरपर कलन (सं० लो०) कल्यते लच्यते दृष्यते वा, कल- बाल न जमे। ल्युट। १ चिन, धब्बा । २ दोष, ऐछ । कल्यते शुक्र. करता (सं. स्त्री०) कलस्य भावः, कल तल-टाप। शोणिताभ्यां अन्योऽन्य मिश्राते। ३ गर्भ में मिथित भव्यक्त मधुरता, खुधनवायो, समझमें न धानवाची शक्रयोणितका प्रथम विकार, हमलमें मिले मनी और पावाजको मिठास। खूनको पहली बनावट। कवच देखो। ४. गर्भवेष्टन, Yol, IV. 50 -