पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२६१

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त पर्याय- २६२ करुका-कष्टस्थान कषेरुका (स'. स्त्री०) कष-एरक-ठ सजायां कन् कष्टकारक (सं० त्रि.) कष्टकार स्वार्थ कन, कष्ट छ. टाप। १ पृष्ठास्थि, रीढ़। २ कशेरू, कसेरू । खुल वा कष्टस्य कारकः, ६-तत्। दुःखका कारण कष्कष (वै०पु०) कष इति अव्यक्त शब्दमुचार्य कषति, वननेवाला, जो तकलीफ का सबब ठहरता हो। (पु०) कष-कष्-अच्। विषधर क्वमिविशेष, एक जहरीला २ संसार, दुनिया। कोड़ा। कष्टजीवी (म० वि०) कष्टेन जीवति, कष्ट-जीव-इनि । “येवापास: कष्कपास एनत्का: शिवविबु काः। १ कष्टसे जीविका निर्वाह करनेवाला, जो मुशकिलसे दृष्टय हन्यतां कृमिरुतादृष्टय इन्यताम् ॥ (अथर्ववेद ५। २३१७) काम चन्नता हो। २ अनेक भोग कर बचनेवाचा, जो कष्ट (सं० त्रि.) कप्यते ऽसौ, कपं कर्मणि का नेट् । मुश्किलसे बचा हो। १ पनिजाति, चिड़िया। कृच्छ गइनयोः कपः। या ७ । २॥ २२॥ १ पौड़ायुक्त, पुरददै, कष्टतपस् (स'• पु०) कष्टं कष्टकर तपो यस्य, बहुव्री० । दुखनेवाला। २ गहन, मुश्किल । ३ पौड़ाकारक, कठिन तपस्या करनेवाला, जो इसतिफगारके मुताशिक तकलीफ देनेवाला। ४ कष्टसाध्य, बहुत खराव । श्रम करता हो। ५ कुतसित, वुरा। (लो०) कप भाव त। ६ पौड़ा- कष्टतर (स० वि०) सापेक्ष पौड़ायुक्त, ज्यादा तक- मात्र, कोई दर्द या वामारी। इसका संस्कृत बीफ देनेवाला। पौड़ा, वाधा, व्यथा, दुःख, अमानस्य, प्रसूतिज, कृच्छ्र, कष्टद (त्रि.) कष्टं ददाति कष्ट-दा-क। कष्ट- कलाकल, अति, आति, पौड़न, वाधन, प्रामानस्य, विवाधन, विहठन, विधानक, पीड़ित, काथ और प्रशम दायक, तकलीफ पहुंचानेवाला। है। अर्थ-प्रतीति व्यवहित (अलग) होनेसे कष्ट | कारिपु (सनि०) कष्टः कष्टसाध्यो रिपुः, कर्मधा। वा क्लिष्टता दोष कहलाता है, कष्ठसे पराजय किया जानेवाचा शत्रु, जो दुश्मन मुश- “शिष्टत्वमर्थ प्रतीतर्व्यवहिनत्वम् ।" (साडिव्यदपं० प्र०) किन्चसे हारता हो। इसका उदाहरण 'क्षीरोदनावसतिजन्मभुवः "प्रान खान एष दच' दावारमेव च । कत तिमन्नव कष्टमार िबुधः।" (मनुस्दिवा) प्रसन्नाः' वाक्य में मिलता है। उता वाक्य 'जल प्रसन्न है' अर्थम प्रयोग किया गया है। किन्तु सहजमें विहान, कुलीन, वौर, दक्ष, दाता, कृतन्त्र और उसके समझने का कोई उपाय देख नहीं पड़ता। धर्यशाली शत्रुको पण्डित कष्टरियु कहते हैं। क्षीरीदना लक्ष्मी, उनकी वसति पद्म और पद्मका जन्म- कष्टचभ्य (त्रि.) कटेन लभ्यम्, ३-तत्। कष्टसे स्थान जल है। अतएव यहां पर लिष्टल वा कष्टदोष मिलनेवाला, जो मुशकिलसे हाथ पाता हो। लगता है। कष्टथिन (संवि०) कष्ट थित पायितं येन, बहुव्री। (अव्य)७ हन्त ! हाय ! १ कष्टयानवाला, जो तकलीफ हो। २ कठोर व्रत- कष्टकर (सनि०) कष्टं करोति, कष्ट क-ट। १ पीड़ा कारक, कड़े इसतिफगारको अमल में लानेवाला। जनक, दर्द पैदा करनेवाला । २ दुःखननक, तकलीफ | कष्टश्रोत्रिय -वङ्गदेशक श्रोत्रिय ब्राह्मणों का एक विभाग। थोविय देखी। देनेवाला। कष्टकल्पना (स. स्त्री०) कटेन कल्पना, ३-तत् । कष्टसह (वि.) कष्टं करते, इष्ट-सह-प्रच् । कठोर .अनुमान, कड़ी अन्दाज। जिसे देख स्थिर कष्टसहिष्णु, तकलीफ उठा सकनेवासा । करने में कष्ट पड़ता और जो सहजमें कल्पनापर नहीं | कष्टसाध्य (त्रि.) कष्टेन साध्यम्, ३-तत् ।१ कष्टये पारोग्य होनेवाला, जो मुकिससे अच्छा हो।रवाष्टमे चढ़ता, उसे विद्वान् कष्टकल्पना करता है। कष्टकल्पित (सं० वि०). कष्टेन कसितं रचितम् । पराजय किया जानेवासा, वो मुश्किससे हारता हो। कष्टसे बना हुवा, जो मुश्किलसे ठीक किया गया हो। कष्टयान (स• ली) कष्ट कष्टकर स्थानम्, कर्मधा