पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२७३

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1 २७४ कहवाना -कलहारात लोग कलमें डाल वीजीका गूदा छोड़ाते है। कलका । कहारा (हिं. पु.) टोकरा, दौरी, मोवा। नाम डिस्क पलपर ( disc pulpar ) है। इसमें गूदेसे कहाल (हि.पु.) वाद्यविशेष, एक वाजा। वीज छूट अलग जा पड़ता है। फिर वोजको हौज में | कहावत (हिं. स्त्रो०) १ लोकोक्ति, मसन, चनती डाल १२ घण्टे धोते हैं। धुलहुवा वीज धूपमें सुखाया वात। २ कधित विषय, कहां हुयौ बात। जाता है। सूखनेको भूमिपर मोटी घटायो विछा कहासुना (हिं. पु०) पनुचित वचन, गैरवाजिव देते हैं। सूखते समय माहवेको लोटते रहना चाहिये। बात, भूल चूक। भारतवर्ष में जितना अधिक और उत्तम कहवा | कहासुनी (हिं. स्त्री०) वादविवाद, लगाई झगड़ा। उपजता, उतना किसी दूसरे अंगरेजी अधिकारमें देख कहाह (स'• पु० ) १ महिष, भैसा। २ कटाह, नहीं पड़ता। किन्तु इसमें पनेक रोग लग जाते हैं। कड़ाह। यथा,-पत्तियोंका पीला और काला पड़ना, पत्तियों, कहिक (सं० पु.) कहोड़-ठक। एक ऋषि । फूलों और फलोंका चिपचिपा उठना और कोड़ा कहिया (हिं० क्रि० वि० ) १ किस समय, कब । (४०) लगना । टिड्डियां भी इसको बड़ी हानि पहुंचाती हैं। २ यन्त्रविशेष, एक भौजार। कन्चदंगर इससे रांग कश्वकी पत्तियां भी उबाल कर पीनेसे अच्छी लगती रख जीड़ लगाते हैं। यह एक प्रकारका नौह दण्ड हैं। गूदमें चीनी रहती है। अरबमें लोग गूदेका है। इसमें मुष्टि रहता है। एक किनारा काक- अर्क तैयार करते हैं। कहवेमें तेल भी होता है। चच की मांति कुटिल हाता है। यह उत्तेजक है। इसके सेवनसे यकाइट दूर हो कहीं (हिं० क्रि० वि० ) १ किसी स्थान पर, दूसरी जाती हैं। शिरःपौड़ाका यह उत्तम प्रौषध है। जगह। २ नहीं। इस अर्थ में यह प्रश्न रूपसे पाता काशखास रोगर्ने भी इससे लाभ होता है। विशूचिका है। ३ यदि, अगर। पतियय बहुत, बहुत । और ग्रहणोरोग इसके सेवनसे दब जाता है। कहवा कई. को देखो। ज्वर पर भी चलता है। पौनसे मूत्रकच्छ और वात- कई, वो देखो। रक्त रोग.नहीं लगता। काय (सं० पु.) कः सूर्य: इयो यस्य, काय कहवाना (हिं.क्रि.) कहलाना, कहाना। वहुव्री। सूर्यको आह्वान करनेवाले एक ऋषि । कहवैया (हिं० वि०) कथनकार, कहनेवाला। कहोड़ ( स..पु.) एक ऋषि। यह उद्दारकके कहा (हिं० यु.) १ कथना, वातचीत। (क्रि.वि.) शिष्य और अष्टावक्र के पिता थे। २ कैसे, किस प्रकार। (सर्व०) ३ क्या। (वि.) कवक, कल्हार देखो। ४ कौन। ५ कथित। कवण (स.पु.) कल्हण, राजतरशिपीके प्रणेता। कहां (हिं. क्रि० वि०) १ कुत्र, किस जगह । (पु०) २ शब्दविशेष, एक आवाज़। सद्योजात शिशुक शब्द कहार (सं० ली.) कस्य जलस्त्र द्वार इव के बहे करने या रोकनेको 'कहां कहां कहते हैं। इतादते वा, क-हलाद पचायच, पृषोदरादित्वात् कहाना (हिं.क्रि.) कहताना, कहा जाना। साधुः । १ खेत उत्पल, बधवन, कोकाबेली। कहानी (हिं. स्त्री०) १ कथा, किस्सा । २ मिथ्या ( Nymphaea edulis) यह भारसके नाना स्वानोंपर वचन, अटी वात। जलमें उत्पन्न होता है। कल्हार योतल, ग्राही, यह विष्टम्भी, गुरु और सच है। (भावप्रकाश) २ ईषत् कहार (हिं० पु.) जातिविशेष, एक कौम । खेत रकमल, कुछ सफेदी लिये लाल कंवल । लोग पानी भरते और डोली लेकर चलते समय अनेक प्रकारके सातिक शब्द व्यवहार करते हैं। वहारमें कद्धारावटत (स तो.) घृतविशेष, एक धौ कहार लोग जरासन्धका बंधीय कहलाता बाप देखो। ३ कमर्ससाधारण, कोई कंवल । - ।