कागज Bombycina) बीच में लेखकगण "चार्टी गसिपना" है; पर कच्ची रूई (अर्थात् सूत वा वस्त्रादिके सिवा वा "एक्स्जीलोना" (Charta Gossipena or xglina)| दूसरी अवस्था ) से जो 'मंड' बनाया जाता है, वह और रनिके लोग "पागोंमिनो डि पानो" (Perga सहजमें व्यवहृत नहीं हो सकता। समय समय पर, mino di panno) कहते थे। डामाखसमें जो तरह तरहके मनुष्योंने तरह तरहको चौजोंसे कागज कागज बनता था, वह अच्छा बनता था; इसलिए बनाया है ; सहनमें और कम खर्च में अधिक कागज उसको “चार्टा डामारकन* ( Charta Damascena) बनानेकी पायासे लोग घास, पूना, पत्ते इत्यादिसे और बहुत से "चार्टी कटोनिया" (Charta Gotonia) कागज बनानेको तरकीव निकाल रहे है; पर. भाज एवं पन्त, "चार्टी सेरिका (Charta Serica) तक रूई और रेशमके वस्त्रांशों के कागजको भांतिके कहते थे। क्योंकि, चीनके शेरेका प्रदेशसे ही पहिले कागज्ञ किसी दूसरी वस्तुसे नहीं बन सके। हां, पहल कई बामदनी होती थी। उसके बाद क्रमशः बरावर प्रयत्न करने पर भविष्यमें कैसा फल ही यह उन्नति हुई है। नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, पेपिरस बक्कल खुष्ट रुईके कागजके बाद रेशमसे कागज बनना शूरू जन्म के बाद भी प्रायः १२ सौ वर्ष तक चला था; और हुआ। प्लिनिकी वर्णना पढ़नेसे मालूम होता है कि, रूई रेशमके कागजको उमर तो अभी १२५० वर्षको रेशमी वस्त्रके एक टुकड़े की नाना उपार्योसे बनाकर ही हुई है। लन्डनमें प्रखी सन् १८००में धानके मूलासे उसी पर लिखनेको रिवाज भी थी, इसको "लिबि. कागज बनता था। उस समय माकुंइस पाफ्सन : लिण्टा" (Libitintie) कहते थे। आजकल रेशम वारिने इलैंडके राजा सीय जनको एक पुस्तक पर चित्र बनानेके लिए, चित्रकर रेशमको पहिले उपहारमें दी थी, जिसका कागज धानके पूलासे बना जिस प्रकार बना लेते हैं। उस समय भी रेशम पर हुधा था। और जिस जिस चीजीसे कागज बन सकता लिखने के लिए ऐसा करते थे। १३०८ ईस्वीमे सबसे था, उन सबका जितना विवरण उस समय मिला था, पहिले यूरोपमें जर्मनियोंने रेशमसे कागज बनाया उसीका इतिहास उस पुस्तकमें मुद्रित था। धानके था। कोई कोई इटालियोंको प्रथम निर्माता कहते पूलासे बनाया हुमा कागज आज कल यूरोपमें सर्वत्र है। यूरोपियांने चीनवासियांसे यह सौखा था। कोई प्रचलित है; और यथेष्ट बनता भी है। एकवार कोई कहते हैं कि, ईस्त्रीको १२वीं शताब्दीम भी शिल्पसमितिमें भारतवर्षके कुछ ढोंकी परीक्षा की 'यूरोपमें रेशमी कागज था। : गई थी, इसमें स्थिर किया गया था कि, सब पांसे कागजको मिलें और . व्यापार इत्यादि-अब हो कागज बन सकता है; पर इनमेसे धानका पूला यरोपके सर्वत्र, एसिया और अमेरिकाके बनेकानेक ही सबसे अच्छा है। . १७७२ ई० में जम्मन भाषामें, स्थानों पर साधारणत: वाष्योय यन्त्रको सहायतासे एक पुस्तक लिखी गई थी, जिसमें भिन्न भिन्न ६० तरह तरहका कारखानोंमें कागज बनता है। प्रकारके स्वतन्त्र व्यासे बने हुए कागज थे। समय कूटना, पीसना, 'मंड' बनाना, धोना, सांदम अफ्रिकामें एस्पार्टा ( Esparta) ढण.और एडान्- डालना, सुखाना, चिकना बनाना, 'मापके अनुसार सोनिया (Adansonia) वृक्षके बक्कलके सिवा "डिस्" कारना-इत्यादि सबही काम कल या मधोनोंसे होता धास ( Diss-grass) से भी कागज बनाया जाता है, है। आजकल यूरोप, अमेरिका आदि सर्वत्र फटे पर यह सहज-प्राप्य नहीं। प्रानजिरिया प्रदेश में एक पुराने कपड़ेसे ही प्रधानतया कागज बनाया जाता प्रकारका छोटा ताड़ होता है, इससे भी कागज बन है। बहुतसे मिल वाताँका कहना है कि, रूई सकता है। पर यह भी दुष्याप्य है और इसमें तेल सरीखी चीजों (वस्त्रादि) से जैसा 'मंड' बनता है, रहता है, इस लिए कागज भी अच्छा नहीं बनता। वैसा ही पाधुनिक मि में अच्छी संरक लग सकता । दक्षिण अफि कामें नदीके. वहावको रोक कर एक . w
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३१८
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