पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३०२ कात्यायनवौणा-कादम्बक कात्यायनीव्रत (संको.) कात्यायन्याः व्रतम् तव । कात्यायनी देवीके उद्देश्य किया जानेवाचा एक व्रत। 'किसी स्थल पर सूत्र परिवर्तन किया है। (8) फिर । कात्यायनीय (सं० वि०)

खचविशेष पर पापिनिके सूत्रका दोष देखा उसका

१ कात्यायन-प्रणीत, कात्यायनका बनाया हुवा। (पु.)२ कात्यायन प्रतिषेध किया है। (५) पनिक स्थल पर परिशिष्ट छात्रा सगा दिया है। पतञ्जलिने अपने महाभाष्यमें वाति कपाठ उद्धृत कर उसका भाथ बनाया है। वृन्दावनमें गोपियां श्रीकृष्णको स्वामीरूपसे पानके पाणिनि चौर पतञ्चलि देखो। लिये उषाकाल यमुनामें नहा और बालुकाको इन्हीं कात्यायनने वेदको सर्वानुक्रमणी पौर प्राति- प्रतिमूर्ति बना भगवती कात्यायनीकी पूजा याख्यकी प्रणयन किया है। प्राविभाखा और सानुक्रमी देखी। करती थीं। यह पतनलिके बहुत पूर्ववर्ती और पाणिनिके काथक (सं० पु.) कथकस्य अपत्यं पुमान् कथक- परवर्ती थे। पण। १ कथकके पुत्र । (वि.)२ कथकवंशीय। ५ एक बौह प्राचार्य। इन्होंने अभिधर्मज्ञान ३ कथक सम्बन्धीय। प्रस्थान मामक बीवशास्त्र रचना किया है। नेपाली काथक्य ( सं० पु०) कथकस्य गोवापत्यन् कथक-यन् । बौद्धग्रन्धके पाठसे समझते हैं कि यह बुनिर्वाणके कथक ऋषिधीय पुत्र। ४०० वर्ष पौछ प्रादुर्भूत हुये। काथक्यायन (सं० पु.) कथकस्य गोवापत्यम् कथक- ६ जैनों के एक प्रधान और प्राचीन स्थविर । य-फा । कथक-वंशीय पुत्र। कात्यायनवीणा (सं० स्त्री०) कात्यायनेन पाविष्क ता | काञ्चित्का (सं० वि०) कथञ्चित् ठक् । वीणा, मध्यपदलो। कात्यायन-सृष्ट शततन्त्री विनयादिम्यक् । (पा11४।३५) किसी प्रकार सम्पादन किया हुवा, जो मुश्किलसे कात्यायनी (सं. स्त्री.) कात्यायन-डीप । १ दुर्गा। बना हो। महिषासुर हारा अत्यन्त उत्पीड़ित हो उसके विनाश- | काथरी (हिं. स्त्री०) कन्या, कथरी। साधनको ब्रह्मा, विष्णु और महेखरने अपने अपने काथिक (सं० वि०) कथायां साधः, कथा-ठक् । देशसे यह मूर्ति बनायो. थी। महर्षि कात्यायनके धादिभ्यटक् । पा ४18|१३| १ कथारचनाके विषयमें सर्वप्रथम इनकी अर्चना करनेसे ही यह कात्यायनी | मुनिपुण, पच्छी अच्छी कहानी बनानेवाला । २ कया- कहायौँ। इन्होंने प्राचिनको वष्णचसुदगीको जम्म सम्बन्धीय, कानौसे सरोकार रखनेवाला। लिया और शुक्लसप्तमी, अष्टमी तथा नवमी-तीन दिन | कादम्ब (सं० पु. लो०) कदम्बे समूहे भवः, कदम्ब- कात्यायन ऋषिको पूना ग्रहण कर दशमीको महिषासुर पण। १ कलहंस। इसका मांस शीतल, भेदक, शुक्रबारक और वायु, रश तथा पित्तनाशक है। मारा था। २ कषायवस्त्रपरिधाना प्रौढ़वयस्का विधवा, (राजवल्लम) कदम्ब-खाय प्रण।२ कदम्ब-वृक्ष, कदमका गैबई कपड़े पहने हुयी अधेड़ वैवा पौरत। ३ कषाय पेड़। ३ कदम्ब पुष्य, कदमका फूच। ४ सच, अस। वस्त्र, गेरुहा कपड़ा। ४ कात्याधन ऋषिकी पनी। ५ वाण, तौर। ६ दाविधात्यका एक प्राचीन राजवंय. कात्यायनीतन्त्र (सं० लो०) तन्त्रविशेष। इसमें शिवने कदम्ब देखो। ८ पुष्पविषविशेष, एक जहरीला फूल । कात्यायनीपूजाके मन्त्रादि कहे है। कात्यायनीपुत्र (सं.-पु.) कात्यायन्याः पुनः तत्। कादम्बक (सं• पु०) कदम्ब स्वाथै कन् । वाण, ना। १ कार्तिकेय । २ एक प्रसिद्ध बौनाचार्य । ‘या बुद्धके कादम्बकर (३०) कदम्बहश्य, कदमका पैड़। कादम्बर (20• का.) कादम्बं बदम्बोजाब रर्स चार सौ वर्ष-पोछे प्रावित हुये। वीणा। ५ याज्ञवल्काको द्वितीय पत्री। (वि.) कदम्ब-सम्बधीय।